आलोक संस्थान के संस्थापक चेयरमेन, शिक्षाविद्, शिक्षा मंन राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त, जनसंघ के श्यामलाल जी कुमावत पंचतत्व में विलीन
आलोक संस्थान के संस्थापक चेयरमेन, शिक्षाविद,् शिक्षा मंन राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त श्यामलाल जी कुमावत का ०५ जून को स्वर्गवास हो गया था जिनका कल (६जून) अशोक नगर स्थित मोक्षधाम पर अन्तिम संस्कार किया गया।
इस मौके पर इनके बडे बेटे डॉ. प्रदीप कुमावत ने मुख्खाग्नि दी। इस अवसर पर उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा, नारायण सेवा संस्थान के कैलाश मानव, नगर विकास प्रन्यास के अध्यक्ष रवीन्द्र श्रीमाली, महापौर चन्द्रसिंह कोठारी, उप महापौर लोकेश द्विवेदी, दिनेश भट्ट सहित अनेक गणमान्य लोगों सहित हजारों लोग अन्तिम दर्शन को उमडे।
श्यामलाल जी कुमावत का जन्म ०२ अक्टूबर १९३३ को बेहद गरीब परिवार में हुआ।
१९५३ में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के आह्मवान पर स्व. भानुकुमार जी शास्त्री के साथ जन्मू जेल में ६ माह रहे।
१९५८ में ए.जी. ऑफीस जयपुर में भी कार्य किया लेकिन शिक्षा जीवन का लक्ष्य होने के कारण संघ की योजना से वे विद्या निकेतन में प्रधानाध्यापक के रूप में पुनः उदयपुर लौटे।
नव संवत्सर को स्थापित करने का श्रेय श्यामलाल जी कुमावत को ही जाता है। ये अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे।
१९६७ में २९ जून को पंचवटी में आलोक स्कूल की नींव रखी। १९७६ में आलोक हिरण मगरी की स्थापना की। १९८४ में आलोक फतहपुरा की स्थापना करी। आलोक राजसमन्द की स्थापना २००१ व आलोक चित्तौड की स्थापना २०१३ में की।
१९८४ में सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह द्वारा प्रदान किया गया।
ये विभिन्न संगठनों से भी जुडे रहे। आप विश्व हिन्दू परिषद्, भारतीय शिक्षण मण्डल, भारत विकास परिषद्, भारतीय जनसेवा प्रतिष्ठान, भारतीय कुमावत क्षत्रीय महासभा, अखिल भारतीय नववर्ष समारोह समिति, रोटरी क्लब सहित अनेक संगठनों के न केवल सदस्य रहे अपितु उनके विभिन्न उतरदायित्वपूर्ण पदों पर कार्य भी किया।
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