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कविता -  'दीवाली की रात'

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17 Oct 25
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अंजुरि में भर लाई खुशियां
दीवाली की रात
तम के सायों से आई लडऩे
दीवाली की रात

गांव-नगर सब दमक उठे
दीवाली की रात
खिली रंगोली अंगना-अंगना
दीवाली की रात

अवनि-अम्बर भी लगे झूमने
दीवाली की रात
शीत गुलाबी ने दी दस्तक
दीवाली की रात

दीप ज्ञान का हो ज्योतित
दीवाली की रात
निर्मल मन, उज्ज्वल तन हो
दीवाली की रात

जन-जन बन जाएं स्वजन
दीवाली की रात
करें कामना सबके शुभ की
दीवाली की रात

दसों-दिशाएं हों, जगमग
दीवाली की रात
सबके घर छूटें फुलझडिय़ां
दीवाली की रात

जहां अंधेरा, चलो बुहारें
दीवाली की रात
यत्न करें, हर रात बने
दीवाली की रात


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