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अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन, 2025 बाली (इण्डोनेशिया) में ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के इतिहासकारों के शोध पत्र स्वीकृत

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14 Oct 25
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दिनांक 14 अक्टूबर, 2025 से 16 अक्टूबर, 2025 तक होने वाले 4वीं अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत काँफ्रेंस (2025), बाली इण्डोनेशिया में ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के संस्थापक अध्यक्ष डाॅ. जी. एल. मेनारिया और उनके साथ सह लेखिका डाॅ. नीतू मेनारिया, तक्षशिला विद्यापीठ संस्थान, उदयपुर के संस्कृत विभाग की प्रोफेसर द्वारा लिखित शोध पत्र विषय ‘‘मेवाड़ रियासत (उदयपुर राज्य) का संस्कृत भाषा और संस्कृति के विकास में योगदान’’ तथा इतिहास की प्रोफेसर डाॅ. नीलम मेनारिया और सह लेखिका डाॅ. मीनाक्षी मेनारिया, प्राचार्य तक्षशिला विद्यापीठ द्वारा लिखित शोध पत्र विषय ‘‘अन्हिलवाड़ा पाटन (गुजरात): विश्व में प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान एवं शोध का प्रधान केन्द्र’’ स्वीकृत किए गए।

ग्लोबल हिस्ट्री फोरम के संस्थापक अध्यक्ष डाॅ. जी. एल. मेनारिया ने बताया कि हर्षोत्तर कालीन भारत में दक्षिणी पूर्वी एशिया में हिन्द महासागर में कई हिन्दू उपनिवेश थे। जिनमें बाली (इण्डोनेशिया) और जावा तथा बोरनियो विश्व विख्यात कलात्मक भव्य भवनों के लिए जाने जाते हैं। इनमें जावा के बोरोबुदुर नामक बौद्ध स्तूप एवं बाली (कम्बोज-कम्बोडिया), अंकोरवाट का विष्णु मन्दिर आज विश्व के पर्यटको के आकर्षण के स्थल है।

स्मरण रहे कि रामायण युगीन बाली द्वीप के इस अंकोरवाट स्थित विश्व विख्यात मन्दिर की बाह्य दीवारों पर रामायण की कथाओं, प्रमुख घटनाओं और ऐतिहासिक पात्रों का प्रस्तरांकन किया गया है। जो आज भी राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान, सुग्रीव, बाली इत्यादि की मूर्तियाँ एवं दृश्य बड़ी सजीव, भव्य और कलात्मक है। वस्तुतः इण्डोनेशिया के बाली द्वीप में आज भी एक सुग्रीव राज्य है। यह समस्त स्मारक रामायण कालीन इतिहास और संस्कृति को जानने के सजीव पुरातात्त्विक है। इसे विश्व का आठवां आश्चर्य कहा जाता है। इसी बाली द्वीप में कल से दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन प्रारम्भ होने जा रहा है। जिसका मुख्य उद्देश्य प्राचीन भारतीय ज्ञान, विज्ञान, शिक्षा, साहित्य और विशेष रूप से संस्कृत भाषा साहित्य पर विश्व के विद्वानों और शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किए जाऐंगे। जिसमें ग्लोबल हिस्ट्री फोरम उदयपुर के महासचिव डाॅ. अजातशुत्र सिंह राणावत एवं शोधार्थी सुरेन्द्र सिंह चैहान, तक्षशिला विद्यापीठ के अध्यक्ष डाॅ. चन्द्रकान्त पुरोहित, हिमाचल विश्वविद्यालय की इतिहास की प्रोफेसर शारदा वर्मा एवं डाॅ. रामसिंह राठौड़ ग्लोबल हिस्ट्री फोरम का प्रतिनिधित्व करेंगे।


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