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युवाओं को भारतीय संस्कृति और साहित्य से जोड़ना हमारा पहला उद्देश्य: अनिल सक्सेना

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21 Apr 25
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युवाओं को भारतीय संस्कृति और साहित्य से जोड़ना हमारा पहला उद्देश्य: अनिल सक्सेना

 

विभिन्न पंचायतों के कलमकार और कलाकारों ने साहित्यिक आंदोलन में लिया भाग

टोंक। प्रदेशभर में चल रहे राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन की श्रृंखला में टोंक पहुंचने पर 18 अप्रेल को विभिन्न लघु गोष्ठियों का आयोजन हुआ जिसमें टोंक की विभिन्न पंचायतों से कलमकार और कलाकारों ने वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अनिल सक्सेना ‘ललकार‘ से अलग-अलग समूह में साहित्यिक चर्चा की।

 

19 अप्रेल, शनिवार को राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के तत्वावधान में जिला मुख्यालय स्थित होटल शीतल में परिचर्चा आयोजित की गई, जिसमें मंच के अध्यक्ष अनिल सक्सेना ‘ललकार‘ ने सम्बोधित करते हुए कहा कि हम राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों में सन 2010 से लगातार सेमिनार, कार्यशालाएं, गोष्ठियां, चर्चा-परिचर्चा, लेखक की बात, साहित्य उत्सव, पुस्तक मेले जैसे कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी को भारतीय संस्कृति और साहित्य से जोड़ना और भारतीय संस्कृति, साहित्य, कला और पत्रकारिता के उन्नयन के लिए कार्य करना है।

*सक्सेना ने परिचर्चा में 6 सवाल रखे*

सक्सेना ने उपस्थित कलमकार और कलाकारों के समुख 6 सवाल रखे। जिसमें प्रथम क्या युवा भारतीय संस्कृति से दूर हो रहे हैं, दूसरा हमारी संस्कृति से जुडाव बना रहे उसके लिए क्या किया जाना चाहिए, तीसरा वर्तमान में साहित्य के समक्ष किस तरह की चुनोतियां हैं, चौथा साहित्य के प्रति जुडाव बनाये रखने के लिए क्या किया जाना चाहिए, पांचवा क्या मीडिया संस्थान राजनीतिक दलों के हस्तक्षेप से मुक्त हैं तथा छठा सवाल आजादी के बाद व अब की बात करे तो क्या मीडिया के स्तर में गिरावट आयी है।

*कलमकारों और प्रबुद्धजनों ने अपने विचार साझा किये*

 

वरिष्ठ लेखक डाॅ. मनु शर्मा ने कहा कि युवाओं को संस्कृति से जोड़ने के लिए हम वरिष्ठजनों को तर्कसंगत ढंग से सांस्कृतिक मूल्यों का महत्व, सांस्कृतिक पहचान का महत्व और सांस्कृतिक विविधता का महत्व बताया जाना चाहिए।

 

गांधी दर्शन के चिन्तक व विचारक पी.सी. जैन ने कहा कि वर्तमान में आधुनिक गतिविधियों में संस्कृति को एकीकृत करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि युवाओं में अपनी सभ्यता, संस्कृति और मान्यताओं से लगाव बने इसके लिए उनकी मौजूदगी में इस तरह की परिचर्चाएं जरूरी है।

 

वरिष्ठ पत्रकार अशोक सक्सेना ने कहा कि आजादी के बाद और अब में पत्रकारिता में बदलाव आया है। आजादी से पहले पत्रकारिता देश को आजाद कराने के लिए और बाद में कुछ समय तक मिशन पत्रकारिता होती रही थी लेकिन अब पत्रकारिता ने व्यवसाय का रूप ले लिया है।

 

साहित्यकार ममता जाट ने कहा कि बच्चे अपने मां और पिताजी का अनुसरण करते हैं इसलिए पहले हमें अपने बच्चों के समक्ष मिसाल पेश करनी चाहिए जिससे वे भी संस्कृति से जुड़ सके।

 

वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार अनिल सक्सेना ने एक सवाल के जवाब में कहा कि साहित्य के समक्ष हमेशा से ही चुनोतियां रही है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती यह है कि किस तरह से युवा पीढ़ी को साहित्य और अपनी संस्कृति से जोड़ कर रखा जाए। साहित्य के प्रति पाठकों की रूचि कम हो रही है, यह भी चुनौती ही है। लेखक एक-दूसरे की पीठ थपथपा कर ही प्रसन्न हो रहे हैं।    

 

*परिचर्चा मे मीडियाकर्मी, साहित्यकार, लोक संस्कृति से जुडे लोगों, नाट्य कला से जुडे लोगों और शिक्षाविदों ने भाग लिया*

 

 विनोद शर्मा, रमेशचन्द चौधरी, गौवर्धन हिरोनी, शब्बीर नागौरी, डाॅ. अजीज उल्लासिरानी, प्रदीप पंवार, सैयद माकूल अहमद, नदीम, नूर भाई, हरिराम चौधरी, देवेन्द्र जोशी,  शिमला शर्मा, आबिद शाह, अकबर खान, फिरोज खान, मोहम्मद असलम, सत्यनारायण चाॅवला, रेखा जैन, केदार शर्मा, मोहित शर्मा, राजकुमार रजक, प्रेम रघुवंशी, महावीर मीणा, हंसराज हंस, गजराज सिंह राजावत, ब्रजराज सिंह स्नेही, अशोक मीणा, संदीप जैन, हनुमान बादाम, लखन वैष्णव, अशोक पहाड़िया, सुश्री साक्षी शर्मा आदि ने भी पूरे उत्साह के साथ अपने विचार सदन के पटल पर रखे। जिसमें यह सामने आया कि संस्कृति, साहित्य के प्रति रूचि व अनुशासन के लिए हमे अपने ही घरो से ही शुरूआत करनी होगी।

 

*राजस्थान साहित्य अकादमी के द्वारा चुनी गई पांडुलिपियों के लेखकों का सम्मान किया*

 

इस आयोजन में राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर के द्वारा प्रकाशन सहयोग के लिए चुनी गई तीन पांडुलिपियों के टोंक के लेखक ममता जाट, केदार शर्मा व रेखा जैन का अभिनन्दन किया गया।

*राजस्थान का साहित्यिक आंदोलन पुस्तक का विमोचन*

 

राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन के जनक अनिल सक्सेना ‘ललकार‘ के द्वारा लिखी पुस्तक ‘राजस्थान का साहित्यिक आंदोलन‘ का विमोचन टोंक के कलमकार और कलाकारों ने किया। इस पुस्तक में प्रदेश के प्रत्येक जिले और उनकी पंचायतों में सन 2010 से चल रहे राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन के प्रमुख कार्यक्रमों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के प्रदेश सचिव मोरध्वज सिंह द्वारा सरस्वती पूजन के लिए मंचासीन अतिथियों को आमंत्रित किया गया। सरस्वती पूजन के बाद राजस्थान के साहित्यिक आंदोलन के बारे में उन्होंने सदन को जानकारी दी। कार्यक्रम के संयोजक रहे अशोक सक्सेना ने सभी उपस्थित गणमान्यजनों को धन्यवाद ज्ञापित किया।

 


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