GMCH STORIES

केसर खां एवं डोकर खां का मकबरा,

( Read 421 Times)

18 Sep 25
Share |
Print This Page

केसर खां एवं डोकर खां का मकबरा,

कोटा पुरातत्व दर्शन की यात्रा के अगले पड़ाव पर आपको ले चलते हैं कोटा शहर के मध्य गीता भवन के पीछे हजीरा कब्रिस्तान स्थित केसर खां एवं डोकर खां का मकबरा के बारे में जानने के लिए। मैं शनिवार 17 सितंबर  को अपने मित्र के. डी.अब्बासी के साथ मोटरसाइकिल पर इस मकबरे को देखने गया। जे.पी.मार्केट से सब्जी मंडी वाली सड़क पर जाते समय बीच में दाईं ओर एक रास्ता इस मकबरे की तरफ जाता है। सड़क से ही एक गेट मस्जिद की ओर जाता है और मस्जिद से बाईं ओर रास्ता इस ऐतिहासिक मकबरे तक ले जाता है।

** यह मकबरा एक टीले पर बना है। जहां से सीढियां शुरू होती हैं। सीढ़ियों के समीप ही पुरातत्व विभाग का सूचना पट्ट इनके संरक्षित धरोहर होने की गवाही दे रहा था। जमीन से ही टीन शेड के नीचे 19 सीढियां चढ कर एक चौंक आता है और करीब 6 फुट के चबूतरे पर मकबरा निर्मित है। मकबरे तक जाने के लिए चौंक से दोनों तरफ 5 - 5 सीढयां बनाई गई हैं।

सीढियां और चौंक कोटा स्टोन से बने हैं जबकि मकबरे का फर्श और कब्रे संगमरमर स्टोन से बने हैं। 

** मकबरे में दो पठान भाइयों की कब्रें साथ - साथ बनाई गई हैं और सिर की तरफ उनकी पगड़ी दिखाई देती हैं। दाईं कब्र केसर खां की और बाईं कब्र डोकर खां की है। कब्रों को सफेद चादर ओढ़ा रखी है। कब्रों के चारों ओर स्टील के  फ्रेम से सुंदर पलंग बनाया है।अहसास होता है जैसे दोनों भाई सो रहे हो।  इससे कब्रों को अतिरिक्त सुरक्षा भी प्राप्त हुई है। कब्रों के ऊपर कांच की कलाकारी युक्त एक झूमर लटकाया गया है। मकबरे की दीवारें वैसे तो साधारण हैं पर कहीं - कहीं हल्की पेंटिंग कर सुंदरता प्रदान की गई हैं। बाहर से रोशनी अंदर आने के लिए दीवारों के मध्य चौकोर जालीनुमा खिड़कियां बनाई गई है जो देखने में बहुत अच्छी लगती हैं।

** मकबरे के लोहे के दरवाजे चौखट के ऊपर  दोनों पठान भाइयों के नाम अंकित किए गए हैं। इन दरवाजों पर यहां आने वालों ने मन्नत मांगने और पूरी होने के डोरे बांध रखे हैं। इससे अंदाजा लगता है कि यहां आने से लोगों की मन्नतें भी पूरी होती हैं। मकबरे के चारों तरफ बड़े - बड़े वृक्षों से मकबरे का परिवेश हरा - भरा दिखाई देता हैं।

** पुरातत्व विभाग से ज्ञात जानकारी के मुताबिक  1531ईस्वी में मालवा के दो पठान भाईयों केसर खां एवं डोकर खां ने अचानक हमला कर हाड़ा राजाओं से उनका राज्य छीन लिया था। उन्होंने 26 वर्षों तक यहां शासन किया। जब बून्दी में राव सुर्जन गद्दी पर बैठा, तब उसने इन पठानों को युद्ध में हराकर कोटा में पुनः हाड़ाओं का शासन स्थापित किया। युद्ध में दोनों भाई मारे गए और इनकी स्मृति में मकबरे में उनकी कब्रे बनवाई गई। 

** ( मकबरे का संक्षिप्त एतिहासिक महत्व यही है यदि आप पठान भाइयों की विस्तृत जानकारी चाहते हैं तो इतिहासविद फिरोज अहमद की पुस्तक " हाड़ोती इतिहास - लेखमाला" पढ़ सकते हैं।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like