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अमेरिका से मुलाकात": यात्रा साहित्य की बेमिसाल प्रस्तुति

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06 May 25
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अमेरिका से मुलाकात": यात्रा साहित्य की बेमिसाल प्रस्तुति

लेखिका डॉ. विमला भंडारी की यह यात्रा-वृत्तांत कृति न केवल अमेरिका के भौगोलिक सौंदर्य को उजागर करती है, बल्कि उसकी सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक संरचना को भी पाठकों के सामने जीवंत करती है।

"सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल..." – ख्वाजा मीर दर्द का यह शेर जिस भावना को दर्शाता है, वह भावना इस पुस्तक के हर पन्ने में प्रवाहित होती है। डॉ. विमला भंडारी अपने अनुभवों और दृष्टिकोण से यह बताती हैं कि यात्रा केवल एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना नहीं है, बल्कि वह एक गहन मानसिक और सांस्कृतिक विस्तार है।

तीन विधाओं का समावेश:
पुस्तक में संस्मरण, रिपोर्ताज और डायरी शैली का सुंदर समन्वय किया गया है, जो न केवल घटनाओं को क्रमबद्ध करता है, बल्कि पाठक को उस समय और स्थान में ले जाकर खड़ा कर देता है।

अमेरिका के प्रति आकर्षण:
लेखिका बताती हैं कि आज के युवा अमेरिका को अपने सपनों की धरती मानते हैं – जहां बेहतर शिक्षा, नौकरी, जीवन स्तर और सुविधाएं उपलब्ध हैं। लेखिका ने अमेरिका की संरचनात्मक और सांस्कृतिक विशेषताओं का विस्तार से वर्णन किया है, साथ ही इस बात को भी उजागर किया कि यह देश वैश्विक युवाओं के लिए एक केंद्र क्यों बन गया है।

प्राकृतिक सौंदर्य और सामाजिक अनुभव:
नियाग्रा फॉल्स की भव्यता से लेकर शिकागो के मिलेनियम पार्क तक, हर स्थान का विवरण ऐसा है जैसे पाठक स्वयं वहाँ खड़ा हो। बच्चों का किताबों के प्रति लगाव, स्कूलों का प्रकृति से जुड़ा वातावरण, और अमेरिका की साफ-सुथरी, व्यवस्थित जीवनशैली का चित्रण अत्यंत प्रभावी है।

शिकागो – कला और संस्कृति का संगम:
शिकागो शहर के विभिन्न पहलुओं – स्वामी विवेकानंद के संसद भाषण से लेकर मिशिगन ग्रांट पार्क के विश्व-प्रसिद्ध कला संस्थान तक – का वर्णन इस पुस्तक को एक सांस्कृतिक अध्ययन की दिशा में भी अग्रसर करता है।

सामाजिक व्यवहार और जीवन मूल्य:
लेखिका अमेरिका के नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और कानून के प्रति अनुशासन की प्रशंसा करते हुए यह भी बताती हैं कि वहां की प्रशासनिक व्यवस्था किस तरह आम नागरिक को आगे बढ़ने का अवसर देती है।

स्मृतियों में बसी परंपरा:
बारबेक्यू के अनुभव के माध्यम से लेखिका भारत की पारंपरिक रसोई की यादों को अमेरिका की आधुनिक व्यवस्था से जोड़ती हैं। यह भाग पाठकों को भावुक कर देता है और याद दिलाता है कि चाहे स्थान कोई भी हो, अनुभवों में अपनी जड़ें हमेशा कहीं न कहीं प्रकट हो ही जाती हैं।

निष्कर्षतः,
“अमेरिका से मुलाकात” केवल एक यात्रा वृतांत नहीं है, यह एक सांस्कृतिक और वैचारिक यात्रा है। यह पुस्तक न केवल पर्यटन प्रेमियों के लिए एक प्रेरणास्रोत है, बल्कि युवा पीढ़ी को भी यह संदेश देती है कि विश्व को जानना, समझना और अनुभव करना जीवन की आवश्यक प्रक्रिया है।

क्या आप चाहेंगे कि इस पुस्तक की समीक्षा को एक साहित्यिक पत्रिका या ब्लॉग पोस्ट के रूप में भी प्रकाशित करने योग्य रूप में ढाल दूं?


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