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पर्यटन से जोड़ती उपनगरीय और मेट्रो रेलवे

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26 Jun 22
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पर्यटन से जोड़ती उपनगरीय और मेट्रो रेलवे


पर्यटकों की सुविधाओं का विस्तार कर पर्यटन विकास में भारतीय रेल जिस प्रकार देश में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत के सभी प्रमुख पर्यटन स्थल रेलवे से जुड़े हैं। रेलवे जहां पूरे भारत देश को अपने विशाल तंत्र से जोड़ते हुए हर साल लाखों पर्यटकों के पर्यटन के सपनों को साकार करती है वैसे ही देश के महानगरों में काफी दूरी पर स्थित पर्यटन स्थलों तक सेवाएं सुलभ कराने में उपनगरीय रेल और मेट्रो रेल भी भरपूर योगदान कर रही हैं।

बड़े - बड़े शहरों को आस पास के छोटे शहरों और उपनगरीय क्षेत्रों को जोड़ने वाली रेल सेवाओं को उपनगरीय रेल सेवाएं भी काफी समय से पर्यटकों को सेवाएं उपलब्ध हैं। ये सेवाएं पर्यटक के लिए ही नहीं वरन रोजमर्रा के दैनिक यात्रियों को चाहे वह नोकरी करने या व्यापार के काम से आते - जाते हो के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं। इन रेल सेवाओं से कम खर्च और कम समय में उन्हें उम्दा सेवाएं सुलभ होती हैं। शहरों में जन संख्या वृद्धि, रोजगार, शिक्षा और शहरों की चकाचौंध, औद्योगिकरण जैसे कई कारणों से गांवों से शहरों की ओर पलायन से शहरों का व्यापक विस्तार हुआ। शहरी यातायात पर दबाव बढ़ा। ऐसे में उपनगरीय रेल सेवा की उपादेयता को समझा जा सकता है।

जैसे - जैसे समय का चक्र आगे बढ़ा और तकनीकी विकास की रफ्तार तेज हुई महानगरों में मेट्रो सेवा की नई अवधारणा अस्तित्व में आयी। यातायात दबाव के रहते मेट्रो से पर्यटकों को प्रदूषण मुक्त बेहतर सेवाएं उपलब्ध हुई और ये सेवाएं पर्यटन विकास में सहायक बनी।

पर्यटक जो बड़े शहरों में दर्शनीय स्थलों को देखना चाहते हैं उनके पर्यटन स्थलों के नजदीक लेजाने में उप नगरीय रेल सेवा के साथ मेट्रो ने एक कदम आगे बढ़ाया। यह कहे कि दिल्ली,

मुंबई,कोलकाता,बेंगलुरु, चेनई, लखनऊ,जयपुर जैसे अन्य महानगरों में आज पर्यटन स्थलों को देखने के लिए मेट्रो रेल ही एक मात्र ऐसा साधन है जिससे पर्यटक कम खर्च और कम समय में देख सकते हैं तोअतिशयोक्ति नहीं होगी।

इन शहरों में पर्यटन स्थलों को बसों, टैक्सी, केब आदि से देखना अत्यंत उबाऊ और थकान देह होने के साथ - साथ अधिक खर्चीला है और समय भी बहुत जाया होता हैं। इनसे होने वाले खर्च और समय को मेट्रो ने कई गुणा कम कर दिया है। पर्यटक नजदीकी मेट्रो स्टेशन पर उतर कर आसानी से कम खर्च में ऑटो, केब आदि से पर्यटक स्थल तक पहुंच सकते हैं। पर्यटक पूरे दिन मेट्रो में धूमने का रियायती टिकट भी ले सकते हैं जिस से बार - बार टिकट लेने के झंझट नहीं रहेगा। महत्वपूर्ण त्थय है कि जब ये रेल सेवाएं शुरू की गई थी तब से आज में सेवाओं का व्यापक विस्तार हुआ, नवीनीकरण हुआ, आधुनिक तकनीकी का समावेश हुआ और वर्ल्ड क्लास स्टेशन और रेल

सुविधाएं सुलभ हो रही हैं, जिससे इनकी ग्रहियता और लोकप्रियता में कई गुना वृद्धि हुई है।विविध सुविधाओं के साथ पर्यटन विकास में सहायक बनी उपनगरीय रेल सेवाएं वर्तमान में

भारत के कोलकाता,चेन्नई,दिल्ली, लखनऊ,

पुणे,हैदराबाद, बाराबंकी एवं परनेम में संचालित की जा रही हैं।

कोलकाता

कोलकाता उपनगरीय रेलवे भारत का सबसे बड़ा उपनगरीय रेलवे नेटवर्क है, जो कोलकाता के उपनगरों में सेवारत है। कोलकाता उप-शहरी रेलवे में 348 स्टेशन हैं और एक ट्रैक लंबाई 1,172 किमी है। उपनगरीय रेलगाड़ी 31.51 लाख लोगों को रोजाना ले जाती है।

मुंबई

उपनगरीय रेलवे प्रणाली 464 किमी रेल मार्ग पर चालित है। उपनगरीय रेलवे सात लाइनों पर संचालित है। जिनमें पश्चिमी लाइन पर 39, मध्य लाइन पर 51, हार्बर लाइन पर 32, ट्रांस-हार्बर लाइन पर 6,पनवेल-दिवा-वसई लाइन पर 10,नेरुल-उरण लाइन पर 9 एवं पनवेल-कर्जत लाइन पर 3 स्टेशन स्थापित हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस उपनगरीय रेलवे का मुख्यालय है।

दिल्ली

यह रेल सेवा दिल्ली को फरीदाबाद, गाजियाबाद और हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आस-पास के जिलों के नहरों को जोड़ने के साथ-साथ दिल्ली शहर को कवर करती है। दिल्ली उपनगरीय रेलवे उन्हीं रेल पटरियों का उपयोग करता है जो लंबी दूरी की गाड़ियों के लिए भी उपयोग की जाती हैं। सन 2009 में नई दिल्ली और पलवल और नई दिल्ली से गाजियाबाद और पानीपत के बीच लेडीज स्पेशल ट्रेनें शुरू की गईं।

चेन्नई

चेन्नई उपनगरीय रेलवे भारत के चेन्नई शहर शहर और उपनगर को जोड़ती दैनिक यात्रियों हेतु संचालित स्थानीय रेल सुविधा है। चेन्नई उपनगरीय रेलवे में 4 प्रमुख उपनगरीय रेलवे लाइनें हैं जो चेन्नई शहर में लाखों लोगों को रोजाना सेवा प्रदान करती हैं

लखनऊ

लखनऊ - कानपुर उपनगरीय रेलवे प्रणाली उत्तरी रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे और उत्तर पूर्वी रेलवे द्वारा प्रशासित राजधानी लखनऊ से कानपुर के मध्य संचालित एक कम्यूटर रेल सेवा है। लखनऊ और कानपुर के बीच की दूरी 72 किमी है और इस दूरी को लोकल ट्रेन एक घंटा और 50 मिनट में कवर कर लेती हैं। इस सेवा से प्रतिदिन हजारों यात्री लाभ उठाते हैं।

पुणे

पुणे की उपनगरीय रेलवे सेवा दो मार्गों पर उपलब्ध है। पुणे जंक्शन से लोनावला और पुणे जंक्शन से तळेगाव तक। पुणे रेलवे जंक्शन-लोनावला मार्ग पर 18 रेलगाड़ियां और पुणे रेलवे जंक्शन-तळेगाव मार्ग पर 5 रेलगाड़ियां संचालित की जा रही हैं।

हैदराबाद

हैदराबाद में उपनगरीय रेल प्रणाली को मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम कहा जाता है, जो दक्षिण मध्य रेलवे द्वारा संचालित किया जाता है। हैदराबाद का मल्टी मोडल ट्रांसपोर्ट सिस्टम का पहला चरण पूरा हो गया है और विशेष मार्गों पर कार्यरत है। बाराबंकी - लखनऊ उपनगरीय रेलवे उत्तरी रेलवे, उत्तर मध्य रेलवे और उत्तर पूर्वी रेलवे द्वारा लखनऊ से बाराबंकी को जोड़ने के लिए संचालित एक कम्यूटर रेल सेवा है। ये सेवाएं अधिकतर ईएमयू और मेमू रेक्स का उपयोग कर चलती हैं।

पेर्नेम - कारवार

कोंकण रेल मार्ग के साथ गोवा में सबसे पहले डेमू ट्रेन सेवा, पेर्नेम और कारवार के बीच शुरू हुई थी। परनेम और कारवार डेमू ट्रेन उपनगरीय हैं। जैसे गोवा, मडगांव और कारवार में कोंकण रेलवे के स्थानीय स्टेशनों को जोड़ने वाली सेवाएं हैं।

स्टेटस सिंबल मेट्रो रेल

किसी भी राज्य के विकास में मेट्रो रेल का होना आज स्टेटस सिंबल बन गया है। तेज गति से बढ़ते शहरीकरण के साथ, देश के सभी नगरों और शहरों में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली पर दबाव बढ़ रहा है। मास रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम, एमआरटीएस श्रेणी- प्रथम एवं श्रेणी- द्वितीय शहरों में रहने वाले लोगों के लिए गतिशीलता के सबसे प्रभावी माध्यमों में से एक के रूप में उभरा है और मेट्रो एक प्रमुख साधन बन गया है। देश के बड़े और व्यस्ततम शहरों यात्रियों की आवागमन सुविधा के लिए शुरू की गई मेट्रो रेल सेवाएं पर्यटन विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। मेट्रों के विस्तार से स्थानीय एवं शहरों के बीच की यात्रा सरल हुई है, गतिशीलता एवं संपर्क में भी वृद्धि हुई है और पर्यटक भ्रमण के लिए पर्यटन स्थल के नजदीकी स्टेशन पर मेट्रो से आसानी से पहुंचने लगे हैं। मेट्रो ने पर्यटन स्थलों को देखना आसान, कम खर्चीला,आरामदेह और सुरक्षित बना दिया है। कई मेट्रो स्टेशन शहर के किसी भी पर्यटक स्थल से काफी निकट हैं। मेट्रो ने सड़क परिवहन साधनों की तुलना में समय में 50 से 75 फीसदी कमी करदी है और सड़क दुर्घटनाओं में भी भारी कमी दर्ज की गई है।भारत में सन 1984 में कोलकाता में

मात्र 3.4 किमी.से शुरू हो कर मेट्रो रेल सेवाएं आने वाले कुछ वर्षो में बढ़ कर करीब एक हज़ार किमी. तक हो जाएंगी।

रोचक - त्थय

वर्तमान में देश में 18 शहरों में 733 किलोमीटर मेट्रो परिचालन है, 16 शहरों में 1046 किलोमीटर निर्माणाधीन हैं और 6 प्रस्तावों का मूल्यांकन किया जा रहा है। कोलकाता सबसे पुराना प्रथम मेट्रो रेल सिस्टम है। नवीनतम मेट्रो रेल सिस्टम नागपुर मेट्रो है। सबसे छोटी मेट्रो प्रणाली 6 किमी.अहमदाबाद एवं सबसे बड़ी मेट्रो प्रणाली 374 किमी. एवं सबसे व्यस्ततम दिल्ली मेट्रो है। संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में 2 नवंबर, 2021 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी का वक्तव्य उल्लेखनीय है जिसमें उन्होंने कहा था “स्वच्छ सार्वजनिक परिवहन मोदी सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है। पिछले 5 वर्षों में मेट्रो रेल वाले शहरों की संख्या 5 से बढ़कर 18 हो गई है। इसका उद्देश्य 2025 तक इसे 25 शहरों तक बढ़ाना है"।

देश जब आजादी का 100 वां साल का जश्न मनाएगा मेट्रो सेवाओं का विस्तार 5 हज़ार किमी.में करने का स्वप्न संजोया गया है।

भारत में मेट्रो रेल की शुरुआत 24 फ़रवरी 1984 से मानी जाती है जब पहली मेट्रो रेल पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में चलाई गई थी। मेट्रो रेल की शुरुआत और इसका विकास मेट्रो मेन के नाम से विख्यात ई. श्रीधऱन के अथक प्रयासों के द्वारा ही संभव हो सका है।दिल्ली में मेट्रो रेल की शुरुआत सन 2002 में हुई थी। गुरुग्राम स्थित रैपिड मेट्रो रेल की शुरुआत सन 2013 में हुई थी। वर्तमान में भारत में कोलकाता, चेन्नई, दिल्ली, बंगलौर, गुरुग्राम, मुंबई,जयपुर, लखनऊ और हैदराबाद शहरों में मेट्रो रेल सफलता पूर्वक चल रही है। कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी मेट्रो रेल का उद्घाटन किया गया था। वर्तमान में मेट्रो रेल कोच्चि, नई मुंबई , नागपुर, लखनऊ , अहमदाबाद, गांधीनगर और नोएडा आदि शहरों में मेट्रो निर्माण का कार्य तेजी के साथ हो रहा है। भविष्य में भारत के कानपुर, मेरठ, पटना, विजयवाडा, तिरुवंतपुरम, गुवाहाटी,भोपाल, इंदौर और चंडीगढ़ आदि शहरों में मेट्रो सेवाओं से जोड़ने का उद्देश्य रखा गया है।

क्षेत्रीय रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम

(आरआरटीएस) के अधीन 373.15 किमी. परियोजनाओं में दिल्ली-मेरठ 82.15 किमी.,

दिल्ली-पानीपत किमी.111 किमी. एवं दिल्ली-अलवर 180 किमी परियोजनाएं हैं। मुम्बई मोनो रेल चरण- द्वितीय के 11 किलोमीटर एवं महाराष्ट्र की राज्य सरकारों द्वारा स्वीकृत एमएमआरडीए की अन्य मेट्रो परियोजनाएं निजी क्षेत्र की भागी से प्रस्तावित हैं।

कोलकाता मेट्रो

कोलकाता मेट्रो भारत की पहली मेट्रो रेल प्रणाली है। इसकी शुरुआत 24 अक्टूबर 1984 को हुई थी। शुरुआत में इसे केवल 3.4 किलोमीटर के हिस्से में शुरू किया गया था। सन1971 में कोलकाता में तीन मेट्रो लाइन के प्रस्ताव पास किए गए जिनकी कुल लंबाई 97.5 किलोमीटर थी लेकिन इनमें से केवल एक पर ही काम शुरू हो सका और यह मार्ग कोलकाता के साल्ट लेक से लेकर हावड़ा मैदान कोलकाता तक है जिसकी कुल लंबाई 16.6 किलोमीटर है। इसमें 6 एलिवेटिड और 6 अंडरग्राउंड स्टेशन हैं। इसमें सियालदाह और हावड़ा रेलवे स्टेशन पर इंटरचेंज स्टेशन हैं।कोलकाता मेट्रो को 29 दिसंबर 2010 को भारतीय रेलवे के 17वें जोन के रुप में शामिल किया गया जो रेल मंत्रालय के तहत आता है।

हुगली नदी के नीचे सुरंग में मेट्रो

ईस्ट वेस्ट मेट्रो परियोजना के तहत कोलकाता के साल्टलेक सेक्टर- 5 से हावड़ा मैदान को जोड़ने वाले महत्वाकांक्षी मेट्रो परियोजना के तहत कोलकाता को हावड़ा से जोड़ने के लिए हुगली नदी के नीचे से शीघ्र मेट्रो चलने की तैयारी है जो देश में अपनी तरह की पहली मेट्रो परियोजना है।इसमें हावड़ा स्टेशन के बाद का रास्ता हुगली नदी के नीचे से होते हुए कोलकाता के महाकरण (राइटर्स) मेट्रो स्टेशन तक पहुंचेगा। कुल 14.67 किमी. लंबी ईस्ट वेस्ट मेट्रो परियोजना में 8.90 किलोमीटर का क्षेत्र भूमिगत होगा जबकि 5.77 किलोमीटर रेल लाइन एलिवेटेड (ऊपरी हिस्से) में होगा। इसमें कुल 12 स्टेशन होंगे, जिसमें हावड़ा मैदान, हावड़ा स्टेशन, महाकरण, एस्प्लेनेड, सियालदह व फूलबागान स्टेशन जमीन के नीचे होंगे, जबकि साल्टलेक स्टेशन, बंगाल केमिकल, सिटी सेंटर, सेंट्रल पार्क, करुणामयी व साल्टलेक सेक्टर-5 स्टेशन एलिवेटेड होगा। इसमें साल्टलेक सेक्टर-5 से फूलबागान तक मेट्रो सेवा शुरू हो चुकी है एवं व फूलबागान से सियालदह स्टेशन तक मेट्रो सेवा जल्द शुरू होने की उम्मीद है। इसके बाद सबसे व्यस्त स्टेशनों में शुमार सियालदह भी मेट्रो सेवा से सीधे जुड़ जाएगा।

इस परियोजना में वर्तमान हावड़ा स्टेशन की जमीन से 33 मीटर गहराई में मेट्रो स्टेशन बनाया जा रहा है जबकि एशिया का सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन हांगकांग में है, जिसकी गहराई करीब 60 मीटर है। इस प्रकार हांगकांग के बाद हावड़ा का भूमिगत स्टेशन एशिया का दूसरा सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन होगा। भूमिगत हावड़ा मेट्रो स्टेशन की लंबाई 230 मीटर जबकि चौड़ाई 32 मीटर होगी। इसमें दो निकासी द्वार होंगे। मुख्य निकासी द्वार हावड़ा स्टेशन के 16 नंबर प्लेटफार्म के पास ठीक नीचे होगा जिससे यात्री मेट्रो में प्रवेश करेंगेे। यह निकासी द्वार 100 मीटर लंबे और आठ मीटर चौड़े उप मार्ग से जुड़ा होगा। इस उप मार्ग से ही यात्री स्वचालित सीढ़ी और लिफ्ट के माध्यम से मेट्रो स्टेशन के प्लेटफार्म पर जा सकेंगे। हुगली नदी के नीचे मेट्रो सुरंग भी मेट्रो सुरंग की गहराई जमीन से करीब 32 मीटर नीचे है जो लगभग तैयार हो चुकी है। हावड़ा स्टेशन से हावड़ा मैदान मेट्रो स्टेशन की दूरी लगभग 750 मीटर रहेगी। ईस्ट वेस्ट मेट्रो परियोजना का काम अंतिम चरण में हैै और इसे वर्ष 2023 के शुरुआती महीनों में पूर्ण होने की आशा की जा रही हैं।

कोलकाता मेट्रो नेटवर्क की योजना 2026 तक 100 किलोमीटर की दूरी तय करने की है। मेट्रो रेलवे के महाप्रबंधक अरुण अरोड़ा के अनुसार, कोलकाता मेट्रो नेटवर्क के अगले चार वर्षों में लगभग 100 किलोमीटर की लंबाई को कवर करने की संभावना है। इसमें जोका से एस्प्लेनेड और न्यू गरिया से कोलकाता एयरपोर्ट सेक्शन का फेज प्रथम शामिल होगा। इसके अलावा, सियालदह खंड इसी वर्ष 2022 में चालू किए जाने की भी तैयारी है। दिल्ली की तर्ज पर कोलकाता मेट्रो में भी लाइनों के प्लेटफार्म को लाल-नीले हरे-पीले पैरों के निशान से चिह्नित किया जाएगा जिससे मेट्रो के यात्री भी आसानी से एक रूट की मेट्रो से उतर सकें और लाइन के बजाय दूसरे रूट की ट्रेन में चढ़ सकें।

दिल्ली मेट्रो

कोलकाता मेट्रो के बाद यह भारत की दूसरी सबसे पुरानी मेट्रो है। यह भारत में सबसे बड़ा और व्यस्ततम मेट्रो है, और दुनिया की 9 वीं सबसे लंबी मेट्रो प्रणाली है। दिल्ली मेट्रो को सर्वप्रथम दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा वर्ष 2002 में रेड लाइन पर वेलकम स्टेशन से तीस हजारी स्टेशन तक शुरू किया गया था।

दिल्ली मेट्रो भारत के दिल्ली और एनसीआर शहरों की सेवा करने वाली एक तेज यातायात प्रणाली है जिसमें गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरूगांव, नोएडा, बहादुरगढ़ और बल्लभगढ़ शहर शामिल हैं। दिल्ली मेट्रो भारत में सबसे व्यस्त और सबसे बड़ी मेट्रो प्रणाली है जिसमें सबसे अधिक स्टेशन हैं।।वर्तमान में दिल्ली मेट्रो नेटवर्क में 230 सक्रिय स्टेशन हैं। लगभग 350 किमी ट्रैक पर मेट्रो में अंडरग्राउंड, एलिवेटेड और ग्राउंड लेवल सहित कई प्लेटफॉर्म सिस्टम हैं। दिल्ली मेट्रो में रेडियल लाइन, सर्कुलर लाइन और सेमी सर्कुलर लाइन शामिल हैं।

मेट्रो ट्रेन की 10 लाइनें हैं। दिल्ली मेट्रो लाइन्स (टर्मिनल स्टेशन) मेट्रो लाइन्स, लाल लाइन शहीद स्थल रिठाला, पीली लाइन समयपुर बादलीहुडा सिटी सेंटर, नीली मेन लाइ नोएडा इलेक्ट्रॉनिक सि सिटी द्वारका सेक्टर 21,नीली ब्रांच लाइन वैशाली द्वारका सेक्टर 21, हरी मेन लाइन इंद्रलोक ब्रिगेडियर होशियार सिंह, हरी ब्रांच लाइन कीर्ति नगर अशोक पार्क मेन, बैंगनी लाइन कश्मीरी गेट राजा नाहर सिंह, संतरी लाइन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन द्वारका सेक्टर 21,गुलाबी मेन लाइन मौजपुर बाबरपुर मजलिस पार्क, गुलाबी ब्रांच लाइन शिव विहार मौजपुर बाबरपुर, मैजेंटा लाइन जनकपुरी पश्चिम बोटैनिकल गार्डन एवम ग्रे लाइन द्वारका ढांसा बस स्टैंड। हौज खास मेट्रो स्टेशन (पिंक लाइन), जमीन से 29 मीटर नीचे, सबसे गहरा स्टेशन है। आजादी के अमृत महोत्सव पर दिल्ली मेट्रो ने एक स्‍पेशल ट्रेन को हरी झंडी दी। ब्लू लाइन के यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन पर पहुंची इस स्पेशल ट्रेन को उद्घाटन के तुरंत बाद ही यात्रियों के लिए रवाना कर दिया गया। 8 डिब्बों वाली इस स्पेशल ट्रेन को भारत के शानदार इतिहास, संस्कृति और उपलब्धियों को दिखाते फोटोग्राफ्स से सजाया गया है। इस प्रणाली में ब्रॉड-गेज और मानक-गेज दोनों का उपयोग करके भूमिगत, एट-ग्रेड और उन्नत स्टेशनों का मिश्रण है। दिल्ली मेट्रो का प्रबंधन और स्वामित्व दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन द्वारा किया जाता है, जो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली क्षेत्र और भारत सरकार के बीच एक संयुक्त उद्यम है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन को विश्व के 18 इंटरनेशनल मेट्रो सिस्टम्स में से दूसरा स्थान दिया गया है। मेट्रोो ट्रेन आमतौर पर छह और आठ कोच लंबाई की होती है। करीब 200 मेट्रो ट्रेनों के प्रतिदिन 2700 फेरे होते हैंऔर अनुमान है कि करीब एक अरब यात्री प्रति वर्ष मेट्रो सेवा का लाभ उठाते हैं। मेट्रो का समय प्रातः 5 बजे से रात 11.30 बजे तक है।

मुंबई मेट्रो

मुंबई मेट्रो एक तेजी से पारगमन प्रणाली है जो 15 साल की अवधि में तीन चरणों में बनाई जा रही है और 2025 में समग्र रूप से पूरा होने की आशा है। जून 2006 में, प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने मुंबई मेट्रो परियोजना के पहले चरण की आधारशिला रखी थी। मई 2013 में सफल परीक्षण के पश्चात सिस्टम की पहली नीली लाइन वर्सोवा से घाटकोपर तक एलिवेटेड मेट्रो

8 जून 2014 से परिचालन में आई। यह लाइन 11.4 किमी.है। इस लाइन पर प्रथम स्टेशन वर्सोवा से, डीएन नगर,आजाद नगर, अंधेरी, वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे,चकला,एयरपोर्ट रोड,मरोल नाकास,

साकीनाका,असलफा,जागृति नगर से अंतिम स्टेशन घाटकोपर कुल 12 स्टेशन हैं। चार डिब्बों की मेट्रो शुरू की गई जो प्रातः 8 से शाम 8 बजे तक चलती है। मुंबई मेट्रो की यह लाइन पूरी तरह से एलिवेटेड है और इसके निर्माण पर लगभग 4,300 करोड़ रुपए व्यय किए गए हैं।

मेट्रो-7 और मेट्रो-2 ए कॉरिडोर के 34 किमी लंबे दोनों कॉरिडोर के 20 किमी रूट पर 2022 में सेवा शुरू हो गई है। वर्तमान में मुंबई में 7 मेट्रो लाइनों का कार्य निर्माणाधीन है।

नवी मुंबई मेट्रो

नवी मुंबई के लिए रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के हिस्से के रूप में क्षेत्र, नवी मुंबई मेट्रो परियोजना को शहर और औद्योगिक विकास निगम (सिडको) द्वारा कार्यान्वित और संचालित किया जा रहा है। नवी मुंबई मेट्रो के 23 किलोमीटर के हिस्से में 20 मेट्रो स्टेशन होंगे। पूरा प्रोजेक्ट 4,163 करोड़ की लागत से बनया जाएगा।

बेंगलूरु मेट्रो

कर्नाटक राज्य के महानगर बेंगलुरु में मेट्रो जिसे क न्न ड में हमारी मेट्रो कहा जाता है की शुरुआत 20 अक्टूबर 2011 को हुई जब

बैय्यप्पनहल्ली और महात्मा गांधी रोड के बीच पर्पल लाइन खंड को जनता के लिए खोला गया। इस दिन मेट्रो नेटवर्क में दो रंग-कोडित लाइनें शामिल हैं, जिनकी कुल लंबाई 45 किमी है और इन लाइनों पर पर 51 स्टेशन हैं। इसमें दक्षिण भारत में पहली भूमिगत मेट्रो लाइन भी शामिल है। प्रथम लाइन बयप्पनहल्ली से महात्मा गाँधी मार्ग (एम.जी.रोड) के बीच बनी है। यह वर्तमान में दिल्ली मेट्रो और हैदराबाद मेट्रो के बाद भारत में तीसरा सबसे लंबा परिचालन मेट्रो नेटवर्क है। ईस्टवेस्ट कॉरिडोर को बैंगनी लाइन और सबसे उत्तरी कॉरिडोर को हरी लाइन नाम दिया गया है। नम्मा मेट्रो अधिकतम 80 किमी प्रति घंटे और औसत 34 किमी प्रति घंटे की गति से चलती है। मेट्रो की सेवाएं सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक उपलब्ध कराई गई हैं। शेष दिनों में बैंगनी लाइन पर पहली ट्रेन सुबह 05:00 बजे और आखिरी ट्रेन 23:35 बजे मैसूर रोड की ओर चलती है। बैयप्पनहल्ली की ओर पहली ट्रेन सुबह 05:00 बजे और आखिरी ट्रेन 23:40 बजे चलती है। नागसांद्रा से येलचेनहल्ली के लिए पहली ट्रेन सुबह 05:00 बजे और आखिरी ट्रेन 23:25 बजे चलती है।

इस मेट्रो से भविष्य में मैजेस्टिक (कैम्पेगौड़ा बस अड्डा एवं बेंगलुरु सिटी रेलवे स्टेशन), सैम्पीज रोड, हडसन सर्किल एवं एम.जी.रोड जैसे क्षेत्रों के यातायात दबाव में कमी आएगी।

विस्तार प्रोजेक्ट

बेंगलुरु मेट्रो के 56 किमी. विस्तार प्रोजेक्ट को भी तेज गति प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें दो नई मेट्रो लाइनों का निर्माण किया जाएगा। प्रोजेक्ट के लिए एशियन डेवलपमेंट बैंक और भारत सरकार के बीच $500 मिलियन ( तकरीबन 3,700 करोड़ रुपए)

के लोन पर करार किया गया है।

लखनऊ मेट्रो

लखनऊ मेट्रो उत्तर प्रदेश के लखनऊ शहर के लिए एक मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम है। यहां मेट्रो रेल लाइन का निर्माण कार्य 27 सितंबर 2014 को शुरू हुआ और 5 सितंबर 2017 को रेल संचालन शुरू किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 मार्च 2019 को लखनऊ मेट्रो की रेड लाइन के पूर्ण खंड का उद्घाटन किया। मेट्रो ट्रेन के सामने का आकार लखनऊ के शानदार रूमी गेट, बड़ा-इमांबड़ा और आसिफी मस्जिद की सांस्कृतिक समृद्धि को दर्शाता है। मेट्रो की 22.87 किमी. लाइन पर 21 स्टेशन है जिन

पर मुफ्त आरओ पीने का पानी, शौचालय, एस्केलेटर, लिफ्ट और प्रत्येक स्टेशन पर स्मार्ट कार्ड धारकों के लिए निःशुल्क वाई-फाई की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। मेट्रो की सुरक्षा हाइब्रिड मॉडल पर आधारित है।

लखनऊ मेट्रो परियोजना उत्तर प्रदेश में अब तक की सबसे महंगी परिवहन प्रणाली है, जिसकी अनुमानित कुल लागत चरण 1ए (रेड लाइन) और 1बी (ब्लू लाइन) के लिए लगभग 2 बिलियन डॉलर है, जिसमें से 6,928 करोड़ रुपए खर्च किया जा रहा है। परियोजना के अंतर्गत लखनऊ मेट्रो में 2 लाइनों में से एक 1 ए लाल (उत्तर-दक्षिण) लाइन है जो चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से मुंशी पुलिया चौराहा तक 22.87 किमी की कुल लंबाई के साथ प्रारम्भ हो चुकी है। एक छोर से दूसरे छोर तक जाने में करीब 40 मिनट का समय लगता है। दूसरी लाइन 1बी

ब्लू लाइन (पूर्व-पश्चिम) चारबाग रेलवे स्टेशन से वसंत कुंज तक चलेगी और चारबाग रेलवे स्टेशन दो लाइनों के बीच जंक्शन स्टेशन के रूप में काम करेगा। इसमें लखनऊ चारबाग रेलवे स्टेशन से वसंत कुंज तक 12 मेट्रो स्टेशन शामिल हैं, जिनकी कुल दूरी 11.098 किमी है। इसके अलावा, मेट्रो फेज 2 और 3 में 74 किमी की 6 लाइनें शामिल होंगी। लखनऊ मेट्रो सेवा सुबह 06:00 बजे (पहली ट्रेन) से शुरू होती है और आखिरी ट्रेन दोपहर 22:00 बजे चलती है।

जयपुर मेट्रो

राजस्थान राज्य के जयपुर शहर में मेट्रो रेल सेवा प्रदेश की पहली मेट्रो प्रणाली है।जयपुर मेट्रो रेल प्रणाली कोलकाता, दिल्ली एनसीआर, बैंगलोर, गुड़गांव और मुंबई के बाद भारत की छठी मेट्रो रेल प्रणाली है। जयपुर के मानसरोवर से चांदपोल बाजार तक 9.63 किमी मार्ग वाले फेज 1ए नामक पहली लाइन के ज्यादातर ऊंचे हिस्से पर निर्माण 13 नवंबर 2010 को शुरू हुआ। मेट्रो रेल सेफ्टी कमिश्नर (सीएमआरएस) से सुरक्षा मंजूरी मिलने के बाद जयपुर मेट्रो ने 3 जून 2015 को चांदपोल और मानसरोवर के बीच परिचालन सेवा प्रारम्भ हो चुकी है। इस प्रथम चरण -ए मार्ग 9.718 कि.मी लाइन पर मानसरोवर – न्यू आतिश मार्केट - विवेक विहार - श्याम नगर - राम नगर - सिविल लाइंस - रेलवे स्टेशन - सिंधी कैंप - चांदपोल स्टेशन

हैं। यह भारत में पहली मेट्रो है जो दो मंजिला एलिवेटेड रोड और मेट्रो ट्रैक पर चलती है। मेट्रो का संचालन सुबह 6.45 बजे से शुरू होता है और अंतिम ट्रेन रात्रि 9 बजे रवाना होती है।

जयपुर मेट्रो परियोजना को दो कॉरिडोरों, पूर्व-पश्चिम कॉरिडोर पिंक लाइन और उत्तर-दक्षिण कोरिडोर ऑरेंज लाइन के साथ प्रारम्भ की गई है। पूर्व-पश्चिम कोरिडोर की कुल लंबाई मानसरोवर से लेकर बड़ी चौपड़ तक 12.067 कि.मी. है। उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर की कुल लंबाई अम्बा बाडी से सीतापुर तक 23.099 कि.मी. है।

पिंक लाइन जयपुर मेट्रो रेल का पहला मार्ग है जो मानसरोवर को बडी चौपड़ से जोड़ता है। इस मार्ग की कुल लंबाई 12.067 कि.मी. है और इसमें 11 मेट्रो स्टेशन (8 एलिवेटेड जमीन परऔर 3 भूमिगत) हैं। इसे प्रथम चरण- ए और प्रथम चरण -बी में विभाजित किया गया है। मानसरोवर से चांदपोल तक के स्टेशन प्रथम चरण-ए के अन्तर्गत आते हैैं और इसमें नौ स्टेशन हैं, जबकि प्रथम चरण -बी के अन्तर्गत दो स्टेशन, छोटी चौपड़ और बडी चौपड़ हैं।

प्रथम चरण -बी की कुल लंबाई 2.349 कि.मी. है का कार्य तेजी से चल रहा है। यह मेट्रो रेल नेटवर्क वर्तमान में शहर के पूर्वी हिस्से को पश्चिम से जोड़ता है।

जयपुर मेट्रो रेल का दूसरा प्रस्तावित मार्ग

ऑरेंज लाइन है जो सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र को अम्बा बाडी से जोड़ देगी। इस मार्ग की कुल लंबाई लगभग 23 कि.मी. है और इसमें 20 मेट्रो स्टेशन (15 जमीन पर और 5 भूमिगत) होंगे। इस लाइन का निर्माण कार्य भी तेजी पर चल रहा है। इस लाइन सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र - प्रताप नगर - हल्दी घाटी गेट - सांगानेर - लक्ष्मी नगर - दुर्गापुर - महावीर नगर - गोपालपुरा - देव नगर - टोंकफाटक - गांधी नगर मोडे - सवाई मानसिंह स्टेडियम - नारायण सिंह सर्किल - एसएमएस अस्पताल - अजमेर गेट - सरकारी छात्रावास - सिंधी कैंप - सुभाष नगर - पानी पेच – अम्बा बाडी स्टेशन होंगे।

आगामी चरणों में, उत्तर-दक्षिण गलियारे से राज्य की राजधानी राजस्थान में कनेक्टिविटी को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।

जयपुर मेट्रो फेज-आईबी

यह फेज-IA का विस्तारित हिस्सा है, क्योंकि यह चांदपोल को बड़ी चौपड़ से जोड़ता है। यह मानसरोवर मेट्रो स्टेशन से सिविल लाइंस और चांदपोल के रास्ते बड़ी चौपड़ तक पिंक लाइन के पूरा होने का भी प्रतीक है। इस मार्ग को सितंबर 2020 में सार्वजनिक उपयोग के लिए खोल दिया गया था। इस खंड की कुल लंबाई 2.3 किलोमीटर है।

हैदराबाद मेट्रो

हैदराबाद मेट्रो एक तेजी से पारगमन प्रणाली है, जिसके मेट्रो रेल नेटवर्क में 56 स्टेशनों सहित

72 किमी. लम्बी रेल लाइन के तीन गलियारे हैं। एक लाल लाइन मियापुरी से बी. नगर, दूसरा नीली लाइन नागोले से रायदुर्ग एवं तीसरा हरी लाइ जे.बी.एस.परेड ग्राउंड से फलकनुमा तक। प्रथम चरण में मियापुर से नागोले तक लाल लाइन 30 किमी. का परिचालन 28 नवंबर 2017 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया था। इसमें हैदराबाद के व्यस्ततम इलाके जैसे राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, उस्मानिया विश्वविद्यालय, सिकंदराबाद जंक्शन आदि आते हैं। इस लाइन पर 24 स्टेशन हैं। यह मेट्रो मार्ग मियापुर, एमजीबीएस, कोटि,

दिलसुखनगर, चारमीनार और जुबली बस स्टेशन पर प्रमुख बस स्टेशनों को जोड़ता है, और सिकंदराबाद, बेगमपेट और नामपल्ली में मौजूदा रेल टर्मिनलों के साथ एकीकृत करता है। मेट्रो रेल सभी टर्मिनल स्टेशनों से सप्ताह के दिनों और सप्ताहांत में 06:30 बजे से 22:00 बजे तक चलती है।

मेट्रो हरी लाइन मियापुर से एलबी नगर तक 16.6 किमी की एलिवेटेड लाइन पर 15 स्टेशन हैं। इसे 7 फ़रवरी 2020 को शुरू किया गया। मेट्रो हरी लाइन पर संग्रहालय, चारमीनार, शाह-अली-बांदा,शमशेरगंज, एवं फलकनुमा स्टेशन हैं।जेबीएस परेड ग्राउंड से एमजी बस स्टेशन तक सिकंदराबाद पश्चिम,गांधी अस्पताल, मुशीराबाद, आर टी सी क्रॉस

रोड्स, चिक्कड़पल्ली, नारायणगुडा एवं सुल्तान बाजार स्टेशनोंं पर ट्रेन एक्सचेंज कर सकते हैं।

इस लाइन पर दो इंटरचेंज स्टेशन परेड ग्राउंड पर ब्लू लाइन और एमजी पर रेड लाइन पर दूसरा बस स्टेशन हैं।

वारंगल योजना

हैदराबाद के बाद मेट्रो रेल के लिए वारंगल तेलंगाना के दूसरे शहर के रूप में उभारने के लिए भी योजना प्रस्तावित है। वारंगल एक नियो सिस्टम होगा और 21 स्टेशनों के साथ 15.5 किमी की दूरी को कवर करते हुए जमीनी और एलिवेटेड सिस्टम दोनों का संयोजन होगा।

कोच्चि मेट्रो

दक्षिण भारत के केरल राज्य में कोच्चि मेट्रो एक तेज यातायात प्रणाली है। कोच्चि में मेट्रो फेज एक के पलारीवोट्टम से महाराजा कॉलेज मेट्रो स्टेशन तक 5 किमी के खंड का उद्घाटन 17 जून 2017 को किया गया। सितंबर 2019 में महाराजा कॉलेज से थाईकूडम तक 5.65 किलोमीटर लंबे मार्ग का उद्घाटन किया गया।

अक्टूबर 2017: पलारीवोट्टम से महाराजा कॉलेज मेट्रो स्टेशन तक 5 किमी के खंड का उद्घाटन किया गया। सितंबर 2020 को कोच्चि मेट्रो का पहला चरण पूरी तरह से चालू हो गया। इसकी आधारशिला 2012 में रखी गई थी। पांच वर्ष की रिकार्ड अवधि में निर्मित यह रेल प्रणाली 25.16 किमी. है। अलुवा से पलारीवट्टोम के मध्य सुविधाओं युक्त 22 स्टेशनों से गुजरती है। प्रत्येक मेट्रो स्टेशन को केरल की संस्कृति और भूगोल के एक विशिष्ट विषय पर डिजाइन किया गया है। फेज एक मेंअलुआ,पुलिनचोडु,कंपनीपैडी,अंबट्टुकावु,मुट्टम (डिपो), कलमसरी,कोचीन विश्वविद्यालय,

पाथडीपालम,एडापल्ली,चंगमपुझा पार्क,पलारीवतोम,जेएलएन स्टेडियम,कलूर,नगर हॉल,एमजी रोड,महाराजा कॉलेज,एर्नाकुलम साउथ,कदावनथरा,एलमकुलम,व्यट्टिया,थाईकूडाम,पेट्टा,वडक्केकोट्टा,एसएन जंक्शन एवं

त्रिपुनिथुरा टर्मिनल स्टेशन हैं। यह देश की पहली मेट्रो है जो रेल, सड़क और जल परिवहन सुविधाओं को जोड़ती है। खास बात यह है कि इसका पूरा प्रबंधन संचालन महिलाओं द्वारा किया जाता है। सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक मेट्रो की सेवाएं चलती है। फेज एक का ए और बी निर्माणाधीन हैंं।

कोच्चि मेट्रो चरण 2 (अनुमोदित)

चरण 2 के तहत मेट्रो लाइन जेएलएन स्टेडियम से इन्फोपार्क तक चलेगी, जिसकी कुल लंबाई 11.2 किलोमीटर होगी। यह एक एलिवेटेड रूट होगा जिसमें एलिवेटेड रूट पर 11 मेट्रो स्टेशन शामिल होंगे, जो कक्कनड तक फैला होगा जो कि सेज सहित एक प्रमुख आवासीय और वाणिज्यिक केंद्र है। इस चरण में मेट्रो लाइन को जल परिवहन-नौका प्रणाली, बस प्रणाली, साइकिल पार्किंग आदि से जोड़कर बहु-मॉडल एकीकरण को शामिल किया जाएगा।


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