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देखते है ,बाल कल्याण आयोग की टीम क्या कुछ नया कर पाती हैं

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07 Nov 19
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देखते है ,बाल कल्याण आयोग की टीम क्या कुछ नया कर पाती हैं

अख्तर खान अकेला,कोटा राजस्थान बालकल्याण आयोग की चेयरमेन संगीता बेनीवाल एक दिवसीय रस्मन सरकारी टूर पर है ,पहले भाजपा सरकार में आयोग चेयरमेन भी लगातार कोटा प्रवास पर रही है ,लेकिन कोटा कोचिंग हब ,,श्रम क़ानूनों के उलंग्घन के साथ साथ ,भिखारी बच्चों का एक व्यापारिक केंद्र होने के बावजूद भी यहां सुधार की कोई खास कारगर सिफारिशें अमल में नहीं आयी है ,,उम्मीद है ,,संगीता बेनीवाल अभी चाहे सरकारी सिस्टम ,समाजकल्याण विभाग ,कलेक्टर ,पुलिस अधीक्षक देहात ,शहर ,,बालकल्याण समिति ,खासकर समाजसेवी संस्थाओं से ,आज फॉर्मल चाहे जो  भी फीडबैक ले ,लेकिन उस पर यक़ीन नहीं  करेंगी , जो  दिखता है वोह होता नहीं है ,खासकर तब ,जब पूर्व सूचना के साथ निरीक्षण टूर बनाये जाए ,तब तो कृत्रिम तैयारियां नज़र आती है ,,इसलिए आकस्मिक जांच ,अपने वफादारों की मुखबिरी रिपोर्ट के आधार पर भी बालकल्याण के लिए कठोर करयवाहियाँ अमल में लाना होंगी ,,संगीता बेनीवाल पुरानी समाजसेविका है ,वोह समस्याओं की नस नस से वाक़िफ़ है ,मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की  नगरी जोधपुर की है ,बच्चों के बारे में उन्हें पृथक से विशेषज्ञ अनुभव है ,,कोटा में कोचिंग हब ,प्राइवेट ,सरकारी स्कूलों में ,शिक्षा फोबिया ,कॉम्पिटिशन ,,स्ट्रेस से दुखी बच्चे या तो भाग रहे है ,आत्महत्याए कर रहे है ,,इन बच्चों को अब तो कोचिंग और प्राइवेट स्कूल कार्यक्रमों में भीड़ के रूप में ले जाने लगे है ,पोलिटिकल सभाओं में ,नेताओं के बीच ,,योग के बीच इस्तेमाल करने लगे है ,, ऐसे में कोचिंग गुरु जहाँ नाबालिग बच्चों  की शैक्षणिक व्यवस्था है वहां का आकस्मिक दोरा ,,बच्चों की ओरिजनल  स्थिति ,बच्चों के ठहराव के हॉस्टल ,पेइंग गेस्ट हाउस का  निरीक्षण भी ज़रूरी है ,कोटा में बालपराधों ,बाल योन शोषण की घटनाओं में वृद्धि हो रही है ,इनके कारण ,निवारण ,,बाल सम्प्रेषण ग्रह से बच्चों का बार बार भाग जाना , दुखद घटनाये है , जो प्रबंधन और सुचना  व्यवस्था को कलंकित करने वाली घटनाये है ,,,,रस्म अदायगी में अपने रिश्तेदार की दुकान पार  खाने के वक़्त या  किसी आवश्यक कार्य के समय आते जाते वक़्त अगर  कोई बच्चा दूकान की रखवाली के लिए बैठ जाये तो उसे बालमज़दूर के नाम पर डिटेन करना ,बाल मज़दूर रोकने का  प्रबंधन  हरगिज़ नहीं ,,बालकों के साथ एक तो जबरिया मज़दूरी के मामले है ,उनके खिलाफ आवाज़ उठाना ज़रूरी है ,,जांच  ज़रूरी है ,,लेकिन ऐसे बच्चे जो खुद अपने भविष्य ,अपने मजबूर माँ बाप के लिए  भीख  मांगने की जगह स्वरोजगार या व्यवस्थाओं में लगे ,है  ,,उन्हें बालमज़दूर कहकर ,श्रम प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी मज़ाक़  ही उड़ाया  जाता है ,गाँव  में सभी बच्चे खेतों में काम करते है ,बकरियां , गांय चराते है ,वोह बालमज़दूर नहीं होते ,ऐसे बच्चों का सर्वे करवाया जाए ,,उन्हें स्कूली ,शिक्षा ,उनके कल्याण के लिए व्यवस्थाएं की जाए ,सरकार से सिफारिशें की जाए ,,खासकर  कोटा और राजस्थान में अब बाल मज़दूरी के अलावा बच्चों का शोषण ,,  जबरिया भिक्षावृत्ति के रूप में हो रहा है , कोटा समाजसेवी संस्थाए ,मानवतस्करी यूनिट ,ज्वेनाइल यूनिट ,,बालकल्याण समिति सहित समाजसेवी संस्थाए इस मामले में गंभीर नहीं है ,चौराहों पर ,लालबत्ती क्रॉसिंग पर ,अदालत परिसर ,स्टेशन ,बस स्टेण्ड सहित कई भीड़ भरे इलाक़ों  में शौकिया भीख मांगने वाले बच्चों की फौज घूम रही  ,है उनके माता पिता ,मजबूरी में नहीं बल्कि एक रोज़गार के रूप में भिक्षा  उद्योग को बढ़ावा देकर ,उनसे रोज़मर्रा कमाई कर रहे है ,और  उनके स्वभाव में काम के प्रति चोरी ,हरामखोरी  को बढ़ावा दे  रहे है  ,ऐसे में स्ट्रेस में रह रहे कोचिंग बच्चे ,हॉस्टल बच्चे , निराशा विचारों में जी रही बच्चे ,,बालअपराध की तरफ आपराधिक गतिविधियों में लिप्त बच्चे भिक्षा रोजगार से जुड़े बच्चे ,बाल कल्याण आयोग की पहली प्राथमिकता होना चाहिए ,,कोटा में एक अशोक जैन मुख्य  न्यायिक मजिस्ट्रेट ने ज्वेनाइअल मजिस्ट्रेट का कार्यभार होने के दौरान ,कोटा शहर की सड़कों ,स्टेशन ,अदालत ,बस स्टेण्ड सहित सभी स्थानों पर अभियान चलाकर भीख रोज़गर में लगे बच्चों को ,निरोधित करवाकर बाल सम्प्रेषण ग्रह में रखा ,, उनकी कौन्सिलिंग  की ,,उनके लिए नये कपड़े ,उनके रहन सहन के तरीके में बदलाव किया ,पढ़ाई की व्यवस्था की ,रोज़मर्रा उन्हें नए नए व्यंजन ,भरपेट खाना ,,मनमर्ज़ी की सब्ज़िया ,,,मिठाइयां बनवा कर खलवाई , लेकिन उनका ट्रांसफर  हुआ और ऐसी  कार्ययोजनाएं कागज़ों की फाइलें बनकर ही रह गयी ,,,,पहले बाल कल्याण आयोग ने कोटा के खूब दोरे किये ,मेने यह मुद्दे उनके समक्ष भी उठाये ,लेकिन अफ़सोस समस्याएं जस की तस है ,हाल ही में दो सप्ताह पहले  कोटा के एक वल्लभबाड़ी न्यू  कॉलोनी   स्थित सीनियर सेकेंडरी स्कूल में बालिकाओं को ,प्रिंसिपल के उत्पीड़न पर  सड़कों पर आना पढ़ा ,दो दिन तक  बच्चियों ने सकड़ों पर प्रदर्शन  किया ,,पुलिस अधिकारी  स्कूल में बच्चियों के बयांन लेने ग़ैरक़ानूनी तरीके से यूनिफॉर्म में पहुंचे ,,जांच ठंडे बस्ते में बंद ,,रोज़मर्रा अख़बारों में सुर्खियाँ बनने वाली बालकल्याण समिति ने , इस स्कूल की बालिकाओं के साथ शैक्षणिक क्षेत्र में क्या हिंसा हुई ,क्या हरकते हुईं ,बच्चियों में आक्रोश की वजह क्या  रही ,दोषी कोन है ,,  इस मामले में जानने  का कोई प्रयास तक नहीं किया  गया ,,बाल कल्याण आयोग  की चेयरमेन बहंन संगीता बेनीवाल ,,इन मुद्दों को कोटा सहित पुरे राजस्थान के दायरे में देखे ,इन  बिमारियों  की नब्ज़  टटोले और  इलाज के लिए राजस्थान सरकार से जो भी सम्भव मदद हो कार्य योजना तैयार करवाए , खसकर   स्कूली बच्चों  में जिनकी आयु 5 वर्ष से 16 वर्ष  है ,  उन बच्चों में नोमोफोबिया अभियान जो ,,सुवि नेत्र  चिकित्सा संस्थान  के डॉक्टर सुरेश पांडेय ने चलाया हुआ  है ,जिसमे इन बच्चों से मोबाइल की लत छुड़वाने का अभियान शामिल है ,उसे भी हिस्सेदार बनाये ,  क्योंकि माँ बाप शेखी बघारने ,रोते हुए बच्चे को बहलाने के लिए ,,मोबाइल देते है ,वोह गेम खेलते है ,फिर धीरे धीरे अश्लील साइट पर भी जाते है ,हिंसक गेम उनकी मनोस्थिति को ,स्वास्थ्य को ,आँखों को बिगाड़ रही ,है ,कई आपराधिक घटनाये ,,मोबाइल गेम और मोबाइल कार्यक्रमों  की लत की वजह से भी हुए है  ,,देखते है ,बाल कल्याण आयोग की टीम क्या कुछ नया कर पाती हैं ।

 


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