कोटा शहर के कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र के लैंडमार्क कोचिंग इलाके में एक कोचिंग के छात्र के गले में फंदा डालकर आत्महत्या कर ली । छात्र हरियाणा के रोहतक से मेडिकल प्रवेश परीक्षा नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस एग्जाम ( नी ट यूजी 2024) की तैयारी करने कोटा आया था। वह पिछले 1 साल से कोटा में रहकर तैयारी कर रहा था। उसने अपने हॉस्टल के रूम में ही सुसाइड किया है।घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंच कर तहकीकात शुरू की। पुलिस ने छात्र के शव को कब्जे में लेकर पुलिस ने एमबीएस अस्पताल की मोर्चरी में रखवा था। छात्र के परिजनों के आज कोटा पहुंचने पर छात्र के शव का हुआ पोस्टमार्टम।
पुलिस पुलिस उप उपाधीक्षक द्वितीय राजेश कुमार सोनी
ने बताया कि घटना रविवार रात करीब 10:30 बजे की है। रेजीडेंसी मे
सुमित के कमरे में एंटी हैंगिग डिवाइस नहीं लगी हुई थी। जबकि प्रशासन ने सभी पीजी और हॉस्टल संचालकों को कमरे में एंटी हैंगिग डिवाइस लगवाना अनिवार्य किया हुआ है। पुलिस उपाधीक्षक राजेश सोनी ने बताया कि हॉस्टल में 12 में से 10 कमरों में एंटी हैंगिग डिवाइस लगा हुआ था। दो कमरों में नहीं था। उसमें से एक कमरे में सुमित रहता था। 5 मई को एग्जाम था। दो-तीन दिन बाद परिजन इसको लेने आने वाले थे। उससे पहले ही ये घटना हो गई।
सुमित के पिता फेब्रिकेशन की दुकान चलाते है, बेटे की मौत की खबर के बाद जब वे कोटा पहुंचे तो अपने आंसू रोक नहीं पाए।
तीन भाई बहन में सबसे बड़ा था सुमित था।सुमित के पिता विजयपाल ने बताया कि सुमित को कोई परेशानी नहीं थी। चार-पांच दिन पहले भी बात हुई थी। बिल्कुल खुश था। कोई प्रेशर नहीं था। हर बार मैं उसको कहता था कि कोई टेंशन नहीं लेना, नंबर आएंगे जितने आ जाएंगे, लेकिन टेंशन नहीं लेनी। सुबह 11 बजे मैंने उसको फोन किया था। उसने फोन नहीं उठाया, दोपहर और शाम को फोन किया तब भी उसने फोन नहीं उठाया। मैंने हॉस्टल वार्डन को फोन किया। तब जाकर उन्होंने ऊपर जाकर देखा।
दादा बोले- एसआईटी गठित कर जांच हो
दादा रामकुमार पांचाल ने बताया घटना वाले दिन सुबह और दिन में स्टाफ (कुक) से बात हुई थी, उन्होंने ठीक-ठाक बताया। मुझे नहीं लगता यह सुसाइड केस है। इसकी तीन गठित कर जांच करवानी चाहिए।
चाचा बोले- यह सुसाइड नहीं, मर्डर है
चाचा सुरेंद्र ने बताया सुमित की बॉडी को देखकर नहीं लगता है कि उसने सुसाइड किया है। इसके हाथ, बाजू तक लाल है। रस्सी ने 1 इंच गर्दन काट रखी है। उससे लगता नहीं कि यह सुसाइड है। स्टूल से डेढ़ से दो फीट हाइट से गिरने से इतना गर्दन नहीं कर सकती। हमारी मांगे इसकी जांच के लिए प्रशासन टीम गठित करें। मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम हो। कोटा में आए देने से हादसे होते हैं। इन पर नकेल कसी जानी चाहिए। यह हॉस्टल व इंस्टीट्यूट की जिम्मेदारी होनी चाहिए। क्योंकि परिजन उनके भरोसे पर ही अपने बच्चों को यहां छोड़कर जाते हैं। परिजनों के लिए बच्चों की बॉडी लेकर जाना कितना दुखदाई है। प्रशासन को समझना चाहिए।
बता दें कि यह कोटा शहर में इस साल का छठा आत्महत्या का मामला है।