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कवियों ने जमाए विविध रंग

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15 Sep 18
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कवियों ने जमाए विविध रंग झालावाड़ । भाषा एवं पुस्तकालय विभाग तथा सेन्ट्रल बैंक ऑफ इण्डिया के संयुक्त तत्वाधान में गुरूवार को भवानी नाट्यशाला में हिन्दी दिवस के अवसर पर कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन के दौरानं कवियों ने अपने काव्य के विविध रंगों से श्रोताओं को गुदगुदाया।
काव्य गोष्ठी का प्रारंभ मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन व कोटा से आई कवयित्री मीनू शर्मा द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना से हुआ। सरस्वती वन्दना में पिड़ावा से आए गीतकार अनिल उपहार के गीतों एवं मुक्तकों पर श्रोताओं ने मुक्तकंठ से तालियाँ बजाकर अपनी प्रसन्नता जताई। उनका द्वारा प्रस्तुत गीत ‘‘परिन्दों के परों को देखने उड़ान लिखता हूँ’’ देश की साम्प्रदायिक समस्या व तनाव पर उनका व्यंग्य ‘‘अंजानों-आरती के स्वर यहां हर दिन मचलते हैं’’ को श्रोताओं ने खूब सराहा। मध्य प्रदेश नागदा से आए डॉ. लक्ष्मीनारायण सारस्वत ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का सन्देश ‘‘मत लिख खून की कहानी, है थ्हारी प्यार की निशानी’’ द्वारा दिया। जिसको श्रोताओं ने बहुत पसन्द किया। मांगरोल से आए कवि जगदीश ‘निराला’ ने हिन्दी भाषा के गौरवगान को यूं स्वर दिया ‘‘हिन्दी हिन्दुस्तान की माँ’’ इसी क्रम में उनकी स्पष्ट चेतावनी ‘‘वरना सच कहता हूँ प्यारों फिर गुलाम हो जायेंगे’’ पर भी खूब तालियाँ बजी।
संयोजन कर रहे नागदा से आए कवि कमलेश दवे व मीनू शर्मा की साहित्यिक नौंक-झौंक बहुत सराही गई। कोटा से आए कवि कृष्ण बिहारी भारतीय के मधुर गीत सागरों के तीर रहकर भी रहे मछुआरे हम पर श्रोताओं ने झूम-झूम उसका आनन्द उठाया।
कवि सम्मेलन में धनीराम समर्थ, मुराद खान ‘मुराद’, अमन नामदेव, हेमराज बागरी, सुरेश निगम, राज कुमार शर्मा, चैतन्य शर्मा, राधेश्याम सौलंकी, मीनू शर्मा, आशारानी जैन ‘आशु’, कृष्ण सिंह हाड़ा, प्रतिमा ‘पुलक’, परमानन्द भारती, राकेश नैय्यर, जगदीश नारायण सोनी, राजकुमार मीणा, नरेन्द्र दुबे आदि ने भी अपनी श्रेष्ठ रचनाओं से श्रोताओं को आनन्दित कर दिया।
कवि सम्मेलन में आए सभी कवियों का राजभाषा संपर्क अधिकारी हेमन्त सिंह एवं पुस्तकालध्यक्ष कैलाश चन्द राव ने शॉल एवं श्रीफल व स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मान किया और अंत में आभार व्यक्त किया।
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