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जीवोत्थान - पंचांगम् 29/05/2020,- शुक्रवार

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28 May 20
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जीवोत्थान - पंचांगम् 29/05/2020,- शुक्रवार

Dainikam Jeevotthan Panchangam, Sanskaritam -  दिनांके -(आँग्ल) 29/05/2020,-शुक्रवार
राष्ट्रीय भारतीय दिनांक - 08/03/1942
08ज्येष्ठ 1942)
भारतीय पंचांगं दिनांक
22/03/2077( इसे यहाँ निम्नानुसार लिखा है - सूर्योदयी तिथि सौरतः कृष्ण पक्षतः या गताग्र /पूर्णिमांत चैत्रादि मास /विक्रम संवत्|तिथि /मास में वृद्धि पर +, क्षय पर - अंकित, स्थानीय व्यवस्था)
सौर ज्येष्ठ  , शुक्ल पक्ष।
ग्रीष्म ऋतु। उत्तर गोलायन।
तिथि सप्तमी21:54:45तक।
पक्ष शुक्ल
नक्षत्र आश्लेषा06:57:10तक।तदग्रे मघा।
योग व्याघात22:04:45
करण गर10:44:07तक।
करण वणिज21:54:45
वार शुक्रवार
माह (अमावस्यांत)ज्येष्ठ
माह (पूर्णिमांत)ज्येष्ठ
चन्द्र राशि   कर्क 06:57:10तक।
चन्द्र राशि   सिंह  06:57:10से।
सूर्य राशि  वृष
प्रमादीविक्रम संवत् 2077
शाकाब्द 1942
सूर्योदय05:48:07
सूर्यास्त19:17:26
दिन काल13:29:19
रात्री काल10:30:29
चंद्रोदय11:37:07
चंद्रास्त25:03:40*
लग्न सूर्योदयी   वृषभ13°58' ,
'सूर्य नक्षत्र रोहिणी
चन्द्र नक्षत्र आश्लेषापद,
चरण4
नामकरण
चरण 4-डो आश्लेषा06:57:10तक।
1 म मघा 12:45:46
2 मी मघा 18:32:42
3 मू मघा 24:18:02*
मुहूर्त
राहुकाल10:52 - 12:33अशुभ
यमघंटा15:55 - 17:36अशुभ
अभिजित् 12:06 -12:59शुभ
दूरमुहूर्त08:30 - 09:24अशुभ
दूर मुहूर्त12:59 - 13:54अशुभ
चोघडिया, दिन
चर05:48 - 07:29शुभ
लाभ07:29 - 09:10शुभ
अमृत09:10 - 10:52शुभ
काल10:52 - 12:33अशुभ
शुभ12:33 - 14:14शुभ
रोग14:14 - 15:55अशुभ
उद्वेग15:55 - 17:36अशुभ
चर17:36 - 19:17शुभ
चोघडिया, रात
रोग19:17 - 20:36अशुभ
काल20:36 - 21:55अशुभ
लाभ21:55 - 23:14शुभ
उद्वेग23:14 - 24:33*अशुभ
शुभ24:33* - 25:51*शुभ
अमृत25:51* - 27:10*शुभ
चर27:10* - 28:29*शुभ
रोग28:29* - 29:48*अशुभ
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आकाशदर्शन/स्वाध्याय बोध - आर्द्रा गत बुध। रवि योग श्लेषा में , । व्यापार उद्योग शिक्षा-तकनीकी एवं न्याय विद्वत् सज्जन में उच्चता। । वृषार्क,अपेक्षाकृत घटना क्रम वृद्धि। नीचे तथा पृथ्वी सतह से अंदर भाग प्रभावित।कहीं कहीं भूचर जानवर दृष्टिगोचर। ( कंठ गला प्रभावित।) ##############
*अन्तिम कालम अन्त  समाप्तिकाल है।   
*समय आधी रात के बाद, लेकिन अगले दिन के सूर्योदय से पहले। तिथि - वार- नक्षत्र - योग - करण पंचांग में किसी के अशुभ प्रभाव में शुभाधिक्यता में सुयोग की तथा भद्रादि के यथा परिहार की मान्यता प्रचलित। कहीं स्थानीय यथाव्यवस्था देशाचारीय मान्यता से व्रतपर्वोत्सवोंकी व्यावहारिकता प्रचलित । जीवोत्थान स्थानीय देशान्तर - अक्षांश पर संगणित। विशेषार्थ आपके स्थलीय पंचांग दृष्टव्य।  


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