जैसलमेर:जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जैसलमेर द्वारा माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली द्वारा प्रवर्तित योजना नालसा आशा (जागरूकता, समर्थन, सहायता और कार्यवाही) मानक संचालन प्रक्रिया - बाल विवाह से मुक्ति की ओर अग्रसर, 2025 के तहत् अमर शहीद सागरमल गोपा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, जैसलमेर पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर के अवसर पर न्याय-रक्षक शिप्रा शर्मा एवं अधिकार मित्र, जगदीश कुमार उपसिथत रहे।शिविर के दौरान न्याय रक्षक शिप्रा शर्मा द्वारा बाल विवाह के संबंध में विधिक जानकारियां प्रदान करते हुए बताया कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति के साथ साथ कानूनी अपराध है, इसकी प्रभावी ढंग से रोकथाम के लिए विधायिका द्वारा बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 पारित किया गया है, जिसके विधिक प्रावधानों के अनुसार विवाह के समय लड़के की आयु कम से कम 21 वर्ष तथा लड़की की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि इस अधिनियम के अनुसार बाल विवाह के लिए 02 वर्ष तक का कारावास और 01 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है। शिविरों में बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में भी अवगत कराया जाकर बताया गया कि बाल विवाह के कारण अवयस्क बच्चों का स्वास्थ्य विपरीत रूप से प्रभावित हो सकता है व उनके व्यक्तित्व का विकास अवरूद्ध हो जाता है।
साथ ही उन्होंने बताया कि बाल विवाह रोकथाम व बाल विवाह पीड़ितों की सहायता के लिए नालसा आशा योजना के तहत् ‘‘आशा इकाई’’ का भी गठन किया गया है।
शिविर के मौके पर इसके अतिरिक्त अधिकार मित्र, जगदीश कुमार ने रालसा के निर्देशों की पालना में बाल विवाह की आवश्यक रोकथाम के लिए संचालित विधिक सहायता हेल्पलाइन नंबर 15100 व चाइल्ड हेल्प लाइन नंबर 1098 के बारे में विस्तार से अवगत कराया व विधिक सेवा प्राप्त करने की प्रक्रिया व पात्रता, लोक अदालत के माध्यम से प्रकरणों के निस्तारण, मध्यस्थता के प्रावधान तथा माननीय राजस्थान उच्च न्यायालय, जोधपुर द्वारा दिव्यांग व्यक्तियों को न्याय तक पहुँच प्रदान करने के लिए बनाए गए एक्सेसिबिलिटी वेब प्रोग्राम ¼Accessibility Web Program½ के बारे में बताया। इस प्रकार इन शिविरों के माध्यम से उपस्थित विद्यार्थियों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों को बेंहतरीन ढंग से जन जागरूक किया गया।