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गौरी शंकर कमलेश राजस्थानी भाषा साहित्य पुरस्कार 

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25 Nov 24
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गौरी शंकर कमलेश राजस्थानी भाषा साहित्य पुरस्कार 

 

     कोटा कवि की वाणी और यश सृष्टि में अमर रहता है। रचनाएं लोक जीवन के बीच से आती है अतः वो शाश्वत है। यह विचार ३१ वें गौरीशंकर कमलेश स्मृति राजस्थानी भाषा पुरस्कार 2024में बोलते हुए पुरस्कृत और समादृत साहित्यकार डॉ गजादान चारण शक्तिसुत ने रखे। उन्होंने कहा कि ऋग्वेद बताता है कि राजस्थानी भाषा आदिकाल से चली आ रही है। राजस्थानी भाषा 73 बोलियों से बनी हुई भाषा है जो हमारे लोक जीवन में व्याप्त है। डॉ गजादान चारण शक्तिसुत को ज्ञान भारती संस्था कोटा द्वारा आयोजित समारोह सचिव  सुरेंद्र शर्मा पुरस्कार सचिव जितेंद्र निर्मोही और संस्था द्वारा समादृत कर 11000/ नकद शाल श्रीफल माला, सम्मान पत्र, सम्मान प्रतीक भेंट किया गया। इस आयोजन में जितेन्द्र निर्मोही की की राजस्थानी नवगीत कृति " कुरजां राणी छंद रचै" का लोकार्पण भी किया गया। कृति पर बोलते हुए विशिष्ट अतिथि जय सिंह आशावत नैनवां ने कहा इस कृति में वर्तमान समय, श्रंगार काव्य,लोक जीवन , राजस्थानी भाषा के अमर कवियों पर लिखे नवगीत है जो उनके रचनाकर्म को बताते हैं। जितेन्द्र निर्मोही इस समय के बड़े राजस्थानी भाषा के लेखक हैं जिन्होंने नई लेखक पीढ़ी को खड़ा किया । आज़ का राजस्थानी भाषा समारोह समय का दस्तावेज है। समारोह के मुख्य अतिथि हनुमानगढ़ से आये बाल साहित्य पुरोधा दीनदयाल शर्मा ने कहा कि हाड़ौती अंचल का यह समारोह राष्ट्रीय स्वरुप ले चुका है। राजस्थानी भाषा के प्रेमी चाहे इस देश में हो या विदेश में इस आयोजन को बड़ा मान देते हैं। अध्यक्ष विश्वामित्र दाधीच ने लोक में फैली हुई राजस्थानी भाषा की और ध्यान दिलाया इस अवसर उन्होंने अपना गीत भी पढ़कर सुनाया। समारोह में हनुमानगढ़ से आयी कवियित्री मानसी शर्मा को उनकी काव्य कृति " प्रेम, प्यार और प्रीत"पर तीसरा कमला कमलेश राजस्थानी लेखिका पुरस्कार पुरस्कार राशि 5001/नकद, शाल श्रीफल माला सम्मान पत्र, सम्मान प्रतीक पत्र देकर सम्मानित किया गया।यह सम्मान सुमन शर्मा, श्यामा शर्मा, वीणा शर्मा और स्मिता शर्मा ने किया। डॉ गजादान चारण शक्तिसुत की " राजस्थानी साहित्य:साख और संवेदना" पर नंदू राजस्थानी टोंक और कृति "प्रेम, प्यार और प्रीत"  पर दिलीप सिंह हाड़ा हरप्रीत ने शानदार पत्रवाचन किया। समारोह का संचालन नहुष व्यास द्वारा किया गया।
       समारोह का प्रारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। उसके बाद स्वागत भाषण सुरेन्द्र शर्मा एडवोकेट सचिव ज्ञान भारती ने दिया। बीज वक्तव्य देते हुए जितेन्द्र निर्मोही ने कहा कि यह समारोह राष्ट्रीय पहचान बना चुका है। ज्ञान भारती संस्था के पिछले 31 वर्षों के कार्य और पुरस्कृत किये गए साहित्यकारों पर पृथक से शोध कार्य हो सकता है।यह संस्था हाड़ौती अंचल के साहित्य,कला और संस्कृति के क्षेत्र की थाती है। समारोह में पर्यावरण के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य के लिए तपेश्वर सिंह भाटी को सम्मानित किया गया। इससे पूर्व संस्था पर्यावरण विद डॉ एल के दाधीच को अपने प्रारंभिक चरण में सम्मानित कर चुकी है। भाटी ने बोलते हुए कहा आज़ पर्यावरण बचाना हम सब की जिम्मेदारी है। राजस्थानी भाषा को जन जन तक पहुंचाए जाने के लिए वरिष्ठ संवाददाता धनराज टांक को सम्मानित किया गया उन्होंने कहा कि मैंने राजस्थानी भाषा बूढ़ादित में राजस्थानी कवियों के बीच ही सीखी है। यूं ट्यूब के माध्यम से राजस्थानी भाषा को जन जन तक पहुंचाने वाले गोपाल सिंह सोलंकी फूफा को गौरी शंकर कमलेश सम्मान 2024 से नवाजा गया। उन्होंने कहा कि मेरी बात पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं अधिक गंभीरता से सुनती है। मैं अपना सौभाग्य मानता हूं कि मुझे पूरे राजस्थान से पधारे राजस्थानी भाषा के उद्भट विद्वान बंधुओं के सामने सम्मानित किया जा रहा है। सभा में सुकवि मुकुट मणिराज, बाबू बंजारा, मुरली धर गौड़, भगवती प्रसाद गौतम, रामेश्वर शर्मा रामू भैया,रेखा पंचोली, डॉ. युगल सिंह, डॉ ओम प्रकाश , पत्रकार बंधु आदि मौजूद थे। धन्यवाद राजकुमार शर्मा स्वागत अध्यक्ष ने किया।
** राजस्थानी नवगीत कृति "कुरजां राणी छंद रचै " का लोकार्पण :
इस अवसर पर कोटा के साहित्यकार जितेन्द्र निर्मोही कोटा की राजस्थानी नवगीत कृति "कुरजां राणी छंद रचै " का  लोकार्पण किया गया।  कृति पर बोलते हुए विशिष्ट अतिथि जय सिंह आशावत ने राष्ट्रीय स्तर के मंचों की शोभा रहे वरिष्ठ गीतकार जितेन्द्र निर्मोही अपनी उम्र के इस पड़ाव पर आते आते बहुमुखी हो जाते हैं। उनके नवगीतों में श्रंगार की रवानी भी है, सामाजिक विद्रुपताएं भी,समाजिक वैषम्य भी लेकिन वो इन सबका निदान निकालते नजर आते हैं।उनके गीतों के छंदों से सूक्तियां भी निकाली जा सकती है और उक्तियां भी, उन्होंने नई पीढ़ी का समय पर मार्गदर्शन किया है तो इस कृति में आदिकाल से लेकर आज तक के कुछ विशिष्ट राजस्थानी कवियों को उनके कृतित्व के साथ याद किया है।उनका काव्य कौशल अद्भुत है। कृति में प्रोफेसर राधेश्याम मेहर उनकी लम्बी काव्य यात्रा पर प्रकाश डालते हुए नजर आते हैं तो डा गजे सिंह राजपुरोहित इस कृति को को काव्य का सतरंगी प्रवाह बताते हैं।
  साहित्यकार डॉ गजादान चारण शक्तिसुत डीडवाना ने कहा संसार की सारी सम्पादाएं नश्वर है कवि की वाणी अजर अमर है। मुख्य अतिथि हनुमानगढ़ से आये वरिष्ठ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने कहा कि निर्मोही जी का समन्वय कौशल अद्भुत है वो पुरानी पीढ़ी को अनूठे ढंग से अनूठे अंदाज से प्रस्तुत करते हैं तो नई पीढ़ी को मार्गदर्शन करते हुए दिखाई देते है।  वो इन दिनों बाल साहित्य पर जो कार्य करवा रहे हैं वो दस्तावेज जैसा है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे विश्वामित्र दाधीच ने कहा कवि जब जनमानस और लोक मान्यताओं के साथ जाना जाता है वो कभी भुलाया नहीं जा सकता।  


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