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पाली सासंद पीपी चौधरी का यूएन मुख्यालय में हिन्दी दिवस पर उद्बोधन

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11 Oct 25
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पाली सासंद पीपी चौधरी का यूएन मुख्यालय में हिन्दी दिवस पर उद्बोधन

हिन्दी भारत की आत्मा है, और यह अब सीमाओं से परे पूरी दुनिया में अपनी मधुर गूंज फैला रही है-पीपी चौधरी

नीति गोपेन्द्र भट्ट 

नई दिल्ली/पाली/। 

संयुक्त राष्ट्र महासभा में गए भारत के पहले प्रतिनिधिमंडल के नेता, पाली (राजस्थान) के सांसद , पूर्व केन्द्रीय राज्य मन्त्री और एक राष्ट्र एक चुनाव संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पी.पी. चौधरी ने न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में आयोजित हिन्दी दिवस वार्षिक समारोह  में राजभाषा हिन्दी भाषा की शक्ति और उसकी प्रगति में भारत के द्वारा किए गए प्रयासों को विश्व समुदाय के समक्ष रखा। उन्होंने कहा कि विश्व की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में हिन्दी का स्थान बहुत ऊँचा है । आज लगभग छः सौ मिलियन लोग इसे बोलते हैं।हिन्दी केवल एक भाषा नहीं है, यह भारत की भावना, पहचान और एकता का प्रतीक है। यह वह सूत्र है जो उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक पूरे देश को जोड़ता है। भाषा का यह संबंध हमें एक-दूसरे के और करीब लाने का एक सशक्त माध्यम है। वर्तमान समय में वैश्विक मंचों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हिंदी में दिए गए भाषणों से, हिंदी का वैश्विक कद मजबूत हुआ है।

 

समारोह में सांसद चौधरी ने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि पूरे विश्व में हिन्दी का प्रयोग लगातार बढ़ रहा है। मॉरीशस, नेपाल, श्रीलंका, सूरीनाम, फिजी, गुयाना जैसे कई देशों में हिंदी को सिखाया जा रहा है और दैनिक जीवन में  इसका उपयोग किया जा रहा है। मॉरीशस में स्थित विश्व हिंदी सचिवालय हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। संयुक्त राज्य अमेरिका में भी हिन्दी बोलने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या मौजूद है और येल जैसे विश्व विद्यालयों में हिन्दी में वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा हार्वर्ड, कोलंबिया, कार्नेल, शिकागो और टेक्सास जैसे प्रतिष्ठित विश्व विद्यालयों में हिन्दी के कोर्स उपलब्ध हैं। इंग्लैंड के ऑक्सफ़ोर्ड और कैंब्रिज विश्व विद्यालयों में भी हिन्दी लोकप्रिय है। 

 

सांसद चौधरी ने अपने उद्बोधन में भारत की आजादी में हिन्दी के उल्लेखनीय योगदान को रेखाकिंत करते हुए कहा कि गुलामी के दौर में जब भारत के लोग अलग-अलग क्षेत्रों और भाषाओं से आते थे, हिन्दी ने उन्हें एक मंच पर खड़ा किया। “वन्दे मातरम” और “जय हिन्द” जैसे नारे हिन्दी के माध्यम से जन-जन तक पहुँचे और आज भी हमारे दिलों में गूंजते हैं। स्वतंत्रता के बाद भी हिन्दी ने भारत की राजनीतिक और सामाजिक एकता को मजबूत करने में अहम योगदान दिया। हमारे संविधान ने देवनागरी लिपि में हिन्दी को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया है ।यह इस बात का प्रतीक है कि भाषा केवल बोलचाल का माध्यम नहीं, बल्कि एकता और सम्मान का प्रतीक भी है।

सांसद चौधरी ने हिन्दी की सार्वभौमिकता बतलाते हुए कहा कि हिन्दी ने न केवल राजनीति, बल्कि संस्कृति और कला के क्षेत्र में भी अपना अमिट प्रभाव छोड़ा है। हिन्दी गीतों और फिल्मों के माध्यम से यह भाषा आज रूस, मिस्र, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका तक पहुँच चुकी है। लोग बिना अर्थ जाने भी हिन्दी गीतों की धुनों पर झूमते हैं, यही हिन्दी की जादुई शक्ति है। आज के डिजिटल युग में भी हिन्दी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। सोशल मीडिया, योग, और अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के माध्यम से हिन्दी अब विश्व संवाद की भाषा बनती जा रही है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में 10 जून 2025 को बहुभाषावाद पर भारत द्वारा सह-प्रायोजित एक प्रस्ताव अपनाया गया। इस प्रस्ताव में पहली बार हिंदी भाषा का उल्लेख किया गया था। इस पहल के तहत, संयुक्त राष्ट्र से कहा गया कि वह अपनी महत्वपूर्ण सूचनाओं को हिंदी सहित गैर-आधिकारिक भाषाओं में भी प्रसारित करना जारी रखे। सितंबर 2024 में, बहुभाषावाद पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में हिंदी भाषा का फिर से उल्लेख किया गया।   

 

अपने उद्बोधन के अंत में सांसद चौधरी ने कहा कि भाषा केवल शब्दों का समूह नहीं होती, वह हृदय की भावना होती है। हिन्दी भारत की आत्मा है, और यह आत्मा अब सीमाओं से परे पूरी दुनिया में अपनी मधुर गूंज फैला रही है। उन्होंने इस समारोह में सभी सदस्य देशों से आए प्रतिनिधियों से हिन्दी भाषा को और आगे ले जाने के लिए आग्रह किया। इस कार्यक्रम में भारत के संसद सदस्यों, स्थायी प्रतिनिधियों, उप स्थायी प्रतिनिधियों, राजनयिकों और कई संयुक्त राष्ट्र कर्मियों के प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया।


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