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हिन्दी दिवस पर “ भारतीय ज्ञान परंपरा “ विषय पर व्याख्यान माला

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16 Sep 25
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हिन्दी दिवस पर “ भारतीय ज्ञान परंपरा “ विषय पर व्याख्यान माला

कोटा। राजकीय सार्वजनिक मण्डल पुस्तकालय, कोटा के डॉ. एस.आर. रंगानाथन कान्वेंशनल हॉल में हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में “भारतीय ज्ञान परंपरा” विषय पर व्याख्यान माला का भव्य आयोजन किया गया। इस विशेष आयोजन का संयुक्त संचालन मण्डल पुस्तकालय एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद, कोटा इकाई ने किया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता विष्णु शर्मा 'हरिहर', अध्यक्ष, चित्तौड़ प्रान्त अ.भा.सा. परिषद ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे डॉ. दीपक कुमार श्रीवास्तव, मण्डल पुस्तकालय अध्यक्ष। अपने उद्बोधन में डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि “मातृभाषा हिन्दी, भारतीय संस्कृति का आभूषण है और इसकी रक्षा एवं संवर्धन प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है।”

व्याख्यान सत्र में श्री योगी राज योगी ने “हिन्दी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार्यता के समक्ष चुनौतियाँ” विषय पर विचार रखे, वहीं श्री राधेश्याम शर्मा ने “भारतीय ज्ञान परंपरा, मातृभाषा और जीवन विकास” पर प्रभावी व्याख्यान प्रस्तुत किया।

वाद-विवाद प्रतियोगिता बनी आकर्षण का केंद्र

हिन्दी दिवस के अवसर पर आयोजित वाद-विवाद प्रतियोगिता का विषय था – “हिन्दी बेहतर या अंग्रेजी बेहतर”।

  • नव्या शर्मा ने हिन्दी के पक्ष में सशक्त तर्क प्रस्तुत कर प्रथम स्थान प्राप्त किया।
  • उन्नति मिश्रा ने अंग्रेजी के समर्थन में प्रभावी प्रस्तुति देकर द्वितीय स्थान हासिल किया।
    निर्णायक की भूमिका विष्णु शर्मा 'हरिहर' एवं योगीराज योगी ने निभाई।

साहित्यकारों का हुआ सम्मान – पुस्तकालय परिसर गूंजा तालियों से

इस अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के अनेक प्रतिष्ठित साहित्यकारों और पुस्तकालय से जुड़े विद्वानों का सम्मान किया गया। सम्मानित व्यक्तित्वों में विष्णु शर्मा, राम मोहन कौशिक, दुर्गाशंकर, कालीचरण राजपूत और दीपक शर्मा प्रमुख रहे।

दीप प्रज्वलन से हुआ शुभारंभ – वरिष्ठ साहित्यकारों की रही उपस्थिति

कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। सरस्वती वंदना का गायन डॉ शशि जैन ने किया | संचालन राम मोहन एवं राजेन्द्र जी ने किया। इस अवसर पर रामू भैया, भगवती प्रसाद गौतम, गिरिराज खण्डेलवाल, कमलेश कमल, राम गोपाल, सुरेन्द्र दाधीच, जी.पी. शर्मा, नन्द किशोर, रमेश खण्डेलवाल, दुर्गा शंकर एवं श्रीमती मंजू किशोर रश्मि सहित अनेक साहित्यकारों और छात्रों की उपस्थिति ने आयोजन को विशेष बना दिया।


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