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राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के नामांकन के आखिरी दिन भी हुआ खेला

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05 Apr 24
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गोपेन्द्र नाथ भट्ट

राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के नामांकन के आखिरी दिन भी हुआ खेला

राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए गुरुवार को नामांकन के अंतिम दिन भी दिलचस्प सियासी खेल देखने को मिला। वैसे इस बार राजस्थान में शुरू से ही सियासी उलटफेर का खेल चल रहा है।

राजस्थान में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की नामांकन प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद
कुल 218 उम्मीदवारो ने 308 नामांकन पत्र दाखिल किए है। प्रदेश में दूसरे चरण में 13 लोकसभा सीटों पर 26 अप्रेल को मतदान होंगा। राज्य में इस बार होम वोटिंग के लिए रिकॉर्ड संख्या में 76 हजार 636 मतदाताओं ने अपने पंजीकरण कराए है जिसमें 58 हजार से ज्यादा बुजुर्ग और 17 हजार से ज्यादा दिव्यांग अपने घर से मतदान करेंगे।लोकसभा चुनाव को लेकर राजस्थान में बी एस पी ने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए है. सूची जारी कर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया गया है। बसपा ने श्रीगंगानगर से देवकरण नायक और बीकानेर से खेताराम,चूरु से दईराम, झुंझुनूं से बंशीधर नारनोलिया, सीकर से अमरचंद चौधरी, जयपुर ग्रामीण से हनुमान सहाय, जयपुर शहर से राजेश तंवर और अलवर से फजल हुसैन को उम्मीदवार बनाया है। 

लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को एक बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहें गौरव वल्लभ भाजपा में शामिल हो गए है। गौरव वल्लभ ने आज दिल्ली में भाजपा मुख्यालय पर भाजपा जॉइन की। गौरव वल्लभ ने कहा कि मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों एवम प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं। गौरतलब है कि गौरव वल्लभ ने राजस्थान में उदयपुर से कांग्रेस के टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव लडा था।

उधर बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर जहां दूसरे चरण में 26 अप्रेल को चुनाव होना है, वहां इस सीट पर नामांकन के आखिरी दिन गुरुवार को नामांकन भरने के निर्धारित समय से पहले कांग्रेस के घोषित उम्मीदवार बांसवाड़ा के वर्तमान विधायक पूर्व मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया अपना नॉमिनेशन भरने ही नहीं पहुंचे और पार्टी ने अपने डमी उम्मीदवार अरविंद डामोर का पर्चा दाखिल करवा दिया। इस सीट पर अब  त्रिकोणीय संघर्ष तय हो गया है। अरविंद डामोर यूथ कांग्रेस के नेता और नया चेहरा है। अरविंद डामोर के पर्चा भरने की कहानी किसी रोमांचक कहानी से कम नहीं है। नामांकन के आखिरी दिन बांसवाड़ा में पर्चा दाखिल करने से एक घंटे पहले कांग्रेस के अंदर यह बड़ा खेल हो गया है।

भारतीय आदिवासी पार्टी बाप के साथ गठबंधन पर चर्चा के चलते  बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट पर  कांग्रेस ने अंतिम समय तक किसी उम्मीदवार का नाम फाइनल नहीं किया था लेकिन गुरुवार को ऐन वक्त पर विधायक अर्जुन सिंह बामनिया का नाम सामने आया लेकिन विश्वस्त सूत्रों के अनुसार बामनिया इसके लिए तैयार नही हुए । यह भी बताया जा रहा है कि कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के निर्देश पर प्रदेश कांग्रेस ने जिला कांग्रेस कमेटी बांसवाड़ा को पार्टी का सिंबल भेज दिया और बामनिया के चुनाव नही लड़ने की स्थिति में वैकल्पिक उम्मीदवार के बारे में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार भी जिला कांग्रेस कमेटी को ही दे दिया। इस पर बांसवाड़ा के तीन और डूंगरपुर जिले के एक कांग्रेस विधायको ने अर्जुन सिंह बामनिया की आनाकानी के मध्य बांसवाड़ा जिला कांग्रेस अध्यक्ष रमेश चंद्र पंड्या की अगुवाई में अरविंद डामोर का पर्चा भराने का फैसला ले लिया। बताया जा रहा है कि डामोर ने पार्टी के अधिकृत कैंडिडेट के रूप में अपना पर्चा दाखिल किया है,जबकि राजनीतिक क्षेत्रों में पहले उनके बारे में किसी तरह की चर्चा नही थी।अरविंद डामोर बांसवाड़ा में कांग्रेस की एक पार्षद रही कांग्रेस नेत्री के पुत्र है। भारतीय आदिवासी पार्टी बाप ने डूंगरपुर जिले की चौरासी से निर्वाचित विधायक राजकुमार रोत का नामांकन दाखिल करवाया है।

डूंगरपुर और बांसवाडा की जिला कांग्रेस शुरू से ही बाप के साथ चुनावी गठबंधन करने के पक्ष में नहीं थी। इसका कारण दोनों जिलों में कांग्रेस के वजूद की रक्षा करना बताया जाता है। पूर्व सांसद ताराचंद भगोरा और बांसवाड़ा जिला पार्टी अध्यक्ष रमेश चंद्र पंड्या के अनुसार पिछले विधान सभा चुनाव  में बांसवाड़ा संसदीय क्षेत्र के आठ विधान सभा क्षेत्रों में कांग्रेस को एक लाख मतों की बढ़त रही है और पिछले विधानसभा चुनाव में दोनों जिलों में पार्टी के पांच विधायक जीते थे। महेंद्र जीत मालविया के कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने के बावजूद दोनों जिलों में अभी भी पार्टी के चार विधायक है।ऐसे में बाप के साथ चुनावी गठबंधन करना पार्टी के लिए आत्मघाती होता। काफी सोच विचार के बाद और बाप पार्टी द्वारा बागीदौरा विधानसभा सीट भी देने की मांग और उदयपुर सीट से अपने उम्मीदवार का नाम वापस नही लेने की हठ के चलते दिनों पार्टियों के मध्य समझौता मुक्कमल नही हो पाया। हालाकि मालविया को सबक सिखाने तथा मतों का विभाजन रोकने के लिए कांग्रेस पार्टी का हाई कमान इंडिया गठबंधन के तहत समझौता के पक्ष में था। यह कयास लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस आलाकमान से अभी भी इस पर कोई नया निर्देश आ सकता है क्योंकि 8 अप्रैल तक नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख है। दूसरी ओर भारतीय आदिवासी पार्टी बाप ने भी कांग्रेस से समर्थन की मांग की है । बाप के उम्मीदवार राजकुमार रोत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर कहा है कि, बांसवाड़ा-डूंगरपुर सीट पर भारतीय आदिवासी पार्टी को समर्थन करते हुए इण्डिया गठबंधन में कांग्रेस इस सीट को छोड़ती है तो हम और यहां के समस्त रहवासी कांग्रेस आलाकमान के आभारी रहेंगे और भाजपा को धूल चटाएंगे।

कांग्रेस के दिग्गज आदिवासी नेता महेंद्र जीत सिंह मालवीय द्वारा बीजेपी का दामन थाम लेने से पूरे दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी अंचल में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। मालवीय को बीजेपी ने बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।

बहरहाल, बांसवाड़ा-डूंगरपुर लोकसभा सीट को लेकर आगे क्या खेल चलेगा यह देखना दिलचस्प होंगा?
 


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