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अशोक गहलोत की राजनीतिक जादूगरी और गुगली क्या विरोधियों का विकेट उखाड़ पाएगी?

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18 Mar 23
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-नीति गोपेंद्र भट्ट -

अशोक गहलोत की राजनीतिक जादूगरी और गुगली क्या विरोधियों का विकेट उखाड़ पाएगी?

नई दिल्ली।मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी राजनीतिक जादूगरी का एक बार फिर से प्रदर्शन कर राजस्थानमें 19 नए जिले और 3 नए संभाग बांसवाड़ा, सीकर और पाली बनाने की घोषणा की है। उन्होंने  राज्यविधानसभा में बजट पर हुई बहस का जवाब देते हुए यह अप्रत्याशित घोषणा की है जबकि उन्होंने कुछ दिनोंपहले ही राम लुभाया कमेटी का कार्यकाल छह महिने बढ़ाने की घोषणा करने के बाद कहा था  कि राम लुभायाकमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही नए जिलों के बारे में कोई फैसला लिया जाएगा लेकिन आज उन्होंने अपनीजादूगरी का मास्टर स्ट्रोक लगा कर सभी को चकित कर दिया। 

गहलोत ने कहाकि प्रशासनिक व्यवस्थाओं को बेहतर  और चुस्त दुरुस्त बनाने के लिए यह नए जिले औरसंभाग बनाए गए है। नए जिलों मे अनूपगढ़(श्रीगंगानगर), बालोतरा(बाड़मेर) , ब्यावर(अजमेर) , डीग(भरतपुर) , डीडवाना-कुचामनसिटी(नागौर) , दूदू (जयपुर), गंगापुर सिटी(सवाईमाधोपुर), जयपुर-उत्तर, जयपुर-दक्षिण, जोधपुर पूर्व, जोधपुर पश्चिम, केकड़ी (अजमेर), कोटपूतली-बहरोड़ (जयपुर), खैरथल (अलवर) नीम का थाना(सीकर), फलोदी (जोधपुर), सलूंबर (उदयपुर), सांचोर (जालोर), शाहपुरा (भीलवाड़ा) के नाम शामिल हैं।

इसके साथ ही अब राजस्थान में 50 जिले और 10 संभाग हो जायेंगे। इससे पहले तक जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, भरतपुर, कोटा, अजमेर और बीकानेर सात संभाग थे। अब तीन और संभाग बांसवाड़ा, सीकर औरपाली और उपरोक्त 19 नए जिले बनने से कमोबेश राजस्थान का भूगोल ही बदल जायेगा।

देश में क्षेत्रफल के लिहाज से सबसे बड़े प्रदेश राजस्थान में इससे पहले भेरोंसिंह शेखावत वसुन्धरा राजे औरस्वयं अशोक गहलोत के कार्यकाल में नए जिले /संभाग बने और इसके बाद पिछलें कुछ वर्षों में पुनः नए जिलोंके गठन की मांग परवान चढ़ी । उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चुनावी वर्ष के अपने अंतिम बजट मेंइसे अमलीजामा पहना देंगे लेकिन उन्होंने अपने मूल बजट भाषण में इसकी घोषणा नहीं की इससे प्रदेश कीजनता और कुछ विधायक निराश हुए तथा  बालोतरा को जिला बनाने के लिए तों  विधायक मदन प्रजापतपिछलें कई महीनों से नंगे पैर चल रहें थे , लेकिन गहलोत सही समय पर सही मास्टर स्ट्रोक लगाने के लिए जानेजाते है और उन्होंने अपनी इसी राजनीतिक कुशलता का परिचय देकर आखिर सभी को निरुत्तर कर ही दिया।

पिछलें दशकों में भारत सरकार ने सर्वांगीण और बेहतर विकास के आधार पर छोटे राज्यों का गठन किया एवंमध्य प्रदेश से अलग होकर जब छत्तीसगढ़ बना तो राजस्थान भारत का भू भाग की दृष्टि से सबसे बड़ा प्रांत बनगया।हालाँकि इससे पहले भी राजस्थान देश के बड़े प्रदेशों में शुमार था।

राजस्थान की विषम भौगोलिक परिस्थितियों  और प्रायः सूखा और अकाल जैसे हालातों को देखते हुए साठएवं सत्तर के दशक में राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के तत्कालीन नेता महारावल लक्ष्मण सिंह डूंगरपुर नेविश्व की सबसे प्राचीन अरावली  की प्रदेश से गुजर रही पर्वत श्रृंखला को आधार मान कर राजस्थान को दोभागों में विभक्त करने और एक अलग “मरू-प्रदेश” बनाने की मांग रखी थी जिसे एकीकृत राजस्थान बनाने मेंमहारावल के योगदान की दुहाई देते हुए स्वीकार नहीं किया गया लेकिन अब इसकी तोड़ के रूप में गहलोत नेआजादी के बाद प्रदेश में एक साथ सबसे अधिक जिले बनाने का एक नया रिकार्ड बनाया है। साथ ही इतनेअधिक जिलों का गठन कर वे प्रदेश के सबसे अग्रणी मुख्यमंत्री बन गए है और उन्होंने अपनी राजनीतिकदूरदर्शिता का परिचय भी दिया है।

राजस्थान में इस वर्ष के अंत में विधान सभा के चुनाव होने है । इसलिए गहलोत की  इस घोषणा को  राजनीतिक लाभ लेने की मंशा से भी इंकार नहीं किया जा सकता। राजनीतिक जानकारों का कहना है किगहलोत इस बार अपनी सरकार को रिपीट करने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते है और यदि ऐसा होता है तोवर्षों से प्रदेश में बारी बारी से भाजपा और कांग्रेस की सरकारें बनने की परम्परा टूटने के साथ ही उन पर खुद कीपार्टी के नेताओं द्वारा सरकार रिपीट नहीं करने की अक्षमता का आरोप लगाने वाले लोगों को उनका कराराजवाब हो सकता है। गहलोत की पुरानी पेंशन योजना पूरे देश में एक आंधी में तब्दील हो रही है । साथ हीउनकी स्वास्थ्य तथा अन्य जन कल्याणकारी योजनाओं का डंका भी चारों ओर बज रहा है अब देखना होगा किउनकी यह गुगली विरोधियों का विकेट उखाड़ पाएगी अथवा नही?


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