उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र् सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित शास्त्रीय संगीत व नृत्य उत्सव ‘‘ऋतु वसंत’’ के दूसरे दिन शेखावाटी अंचल के चंग की थाप पर जहां शिल्पग्राम में फाग जीवन्त हुआ वहीं वृंदावन के बडे ठाकुर जी महाराज के सानिध्य में भगवान श्रीकृष्ण की रास परंपरा व फूलों की होली में वृंदावन की अनूठी परंपरा को जीवन्त देखने का अवसर मिला।
शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर आयोजित चार दिवसीय ‘ऋतु वसंत’ में सोमवार को ं एकादशी पर दर्शकों को वृंदावन धाम के श्रीमदभागवत रस मर्मज्ञ बडे ठाकुर जी महाराज के रास मण्डल द्वारा प्रस्तुत फूलों की होली में मानों होली के त्यौहार के सभी रंग शिल्पग्राम के मुक्ताकाशी रंगमंच पर अवतरित से हो गये। होली की इस रसमयी प्रस्तुति की शुरूआत मंगला चरण से हुई। बडे ठाकुर जी महाराज ने इसमें समस्त देवों का स्मरण किया। इसके पश्चात पुष्प पर्णों की वर्षा के साथ भगवान श्री कृष्ण राधा जी के संग मंच पर पधारे जहां अतिथि रेल्वे प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य श्री चेतन कुमावत ने सपत्नीक, श्री पी.पी.सिंह तथा केन्द्र निदेशक किरण सोनी गुप्ता ने प्रभु आरती की व पुष्प माला अर्पण की।
इसके उपरान्त मंच पर दर्शकों को ब्रज रास देखने को मिला। इस प्रस्तुति में जहां रास परंपरा को मनोरम ढंग से दर्शाया गया वहीं मयूर नृत्य में मोर पंखधारी गोपियों के साथ श्रीकृष्ण को रास करते हुए सुंदर तरीके से दर्शाया कि दर्शक भक्ति भाव में डूब से गये। वंदावन रास मण्डल द्वारा ही इस अवसर पर प्रिया प्रीतम के प्रथम मिलन को अत्यंत मनोरम ढेग से बताया जिसमें कलाकारों की भाव भंगिमाएं तथा अभिनय सहज और रोमांचक बन सका। भागवत में लीला के प्रसंग में बडे ठाकुर जी महाराज व उनके साथी कलाकारों ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला के माखन चोरी के प्रसंग को रोचक ढंग से दर्शाया। इसके लिये शिल्पग्राम के रंगमंच पर छींकों में मटकी टांग कर माखन चोरी के दृश्य को जीवन्त बनाया गया।
लगभग दो घंटे तक चली इस प्रस्तुति का मुख्य आकर्षण ‘‘होली’’ की प्रस्तुति रहा जिसमें कलाकार दल ने पहले फूलों की होली को अनूठे अंदाज में प्रदर्शित किया। इसके लिये टोकरों में लाल व सफेद गुलाब, पीले गेंदे के फूलों की पत्तियों का प्रयोग किया गया तथा उन्हे हवा में उछाल कर समूचे वातावरण को कृष्णमय बना दिया। शिल्पग्राम के मुकताकाशी रंगमंच पर यत्र् तत्र् फूलों की पांखुरिया अपना अनूठा रंग छोडती नजर आई। इसके बाद साहित्य होली में परंपरानुसार होली के भक्तिपूर्ण वातावरण को दर्शाया गया। इस प्रस्तुति में दर्शकों ने करतल ध्वनि से कलाकारों का अभिवादन किया। इसके पश्चात गुलाल होली के दृश्य ने दर्शकों के समक्ष होली परंपरा का अनूठा और मनोरम रंग बिरंगा दृश्य प्रस्तुत किया। कलाकारों ने एक दूसरे पर गुलाल फेंक तथा हवा में गुलाल उडा कर प्रस्तुति को दर्शनीय बनाया।
फूलों की होली की अंतिम प्रस्तुति के रूप में ठाकुर जी की शयन आरती की गई तथा इसके बाद चरण स्पर्श की परंपरा का निर्वाह भक्ति भाव से किया गया।
इससे पहले राजस्थान के चूरू जिले के गोपाल पाबूसर व उनके साथियों ने शेखावाटी अंचल में होली के अवसर पर की जाने वाली चंग की धमाल को फाग गीतों के साथ रोचक व सुंदर ढंग से दर्शाया जिसमें महिला का वेश धारण किये पुरूष कलाकारों ने चंग बजाते हुए होली की मस्ती का नर्तन किया।
ऋतु वसंत के तीसरे दिन मंगलवार को पं. अनुराधा पॉल का तबला वादन तथा सुजाता गुरव का शास्त्रीय गायन होगा।