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आकाश में इन्द्र दिल्ली में नरेन्द्र और गुजरात में भूपेन्द्र...दादा बन गए मुख्यमंत्री

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14 Sep 21
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आकाश में इन्द्र दिल्ली में नरेन्द्र और गुजरात में भूपेन्द्र...दादा बन गए मुख्यमंत्री

नई दिल्ली (गोपेंद्र भट्ट) । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजनीति को नज़दीक से समझने वाले लोग इस बात को भलीभाँति जानते है कि एक सामान्य राजनीतिज्ञ की सौच जहां खत्म होती है वहाँ से मोदी जी की सौच शुरु होती है। वे ऐसे जननेता है कि उनकी सौच की थाह ले पाना अच्छे-अच्छे राजनेताओं के बस की बात नही है।

मोदी ने एक बार फिर सभी को चौंकाते हुए राजनीति के एक अनजान शख्स भूपेंद्र रजनीकांत पटेल को गुजरात का मुख्यमंत्री चुना,जबकि नए मुख्यमंत्री की रेस में प्रदेश के दिग्गज नेताओं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया, केंद्रीय मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री पुरषोत्तम रुपाला, गुजरात के उप-मुख्यमंत्री नितिन पटेल और गुजरात भाजपा के अध्यक्ष सीआर पाटिल आदि बड़े-बड़े नाम चर्चाओं में थे,जबकि रेस में भूपेंद्र पटेल का नाम का नाम एक बार भी सामने नहीं आया था, बल्कि वे स्वयं भी इससे अनभिज्ञ रविवार को अपने घर के पोधों को पानी से सींच रहें थे। साथ ही विधायक दल की बैठक में भी वे सबसे अन्तिम पंक्ति में सामान्य विधायक की तरह बैठे थे, लेकिन उन्हें स्वयं भी तब आश्चर्य का ठिकाना नही रहा जब उनके नाम का ऐलान किया गया। 

खास बात यह रही कि भूपेंद्र पटेल पहली बार के विधायक है फिर भी कई बार के वरिष्ठ विधायकों को नज़रअन्दाज़ कर उन्हें  मुख्यमंत्री बनाया गया। इसके साथ ही गुजरात में अब एक नया नारा चल पड़ा
 है कि “आकाश में इन्द्र, दिल्ली में नरेन्द्र और गुजरात में भूपेन्द्र......”

गुजरात में विजय रुपाणी के इस्तीफे के चौबीस घंटे में नए मुख्यमंत्री का  फैसला हो गया। मुख्यमंत्री के रुप में भूपेंद्र पटेल के नाम ने सभी को इसलिए चौंकाया क्योंकि इसके लिए एक बार भी इनका नाम सामने नहीं आया, बल्कि विधायक दल की बैठक के बाद सीधे ही उनके नाम का ऐलान किया गया। विजय रुपाणी ने विधायक दल की बैठक में भूपेंद्रभाई पटेल के नाम का प्रस्ताव रखा और डिप्टी सीएम नितिन पटेल ने इसका समर्थन किया।इस मौके पर केन्द्रीय पर्यवेक्षक के रूप में केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद जोशी और भूपेंद्र यादव आदि भी मौजूद थे। 
बताते है कि भूपेंद्र पटेल लो प्रोफाइल नेता हैं लेकिन पाटीदार समाज में उनकी अच्छी पैठ है। साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से भी उनका लम्बा जुड़ाव औररहा है। वे मोदी-शाह की गुड बुक में भी शामिल माने जाते हैं।

भूपेन्द्र पटेल ने  सोमवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली है। गुजरात के नए  मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल केवल 12वीं पास और सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किए है। वे कडवा पाटीदार समाज के नेता होने के साथ ही राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के करीबी माने जाते हैं। पटेल ने 2017 के विधानसभा चुनाव में आनंदी बेन के चुनाव लड़ने से इंकार करने पर उनकी सीट अहमदाबाद जिले की घाटलोडिया पर रिकॉर्ड 1.17 लाख वोट से जीत दर्ज की थी।

भूपेंद्र पटेल को उनके निर्वाचन क्षेत्र में कार्यकर्ता ‘दादा’ उपनाम से ही पुकारते हैं। राजनीति में पूरी तरह सक्रिय होने  से पहले वे अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण (एयूडीए) के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। इतना ही नहीं जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे थे, तब 1999-2001 के बीच पटेल अहमदाबाद नगरपालिका की स्टैंडिंग कमेट के अध्यक्ष रहे, जबकि 2008-10 के बीच वे अहमदाबाद नगरपालिका स्कूल बोर्ड के उपाध्यक्ष रहे। 2010 से 2015 के दौरान वे अहमदाबाद के ही थालतेज वार्ड से पार्षद भी रहें हैं।

अब भूपेन्द्र पटेल के सामने चुनोतियाँ भी कम नही है। अपने से सीनियर नेताओं का मंत्रिपरिषद और पार्टी संगठन में समायोजन और 2022 के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनावों में बीजेपी को जिताना टेडी खीर के समान है।

गुजरात में भूपेन्द्र पटेल जैसे अनजान नेता का मुख्यमंत्री बनना कोई पहला मौक़ा नही है । इससे पहले मोदी ऐसा प्रयोग हरियाणा,महाराष्ट्र,कर्नाटक,उत्तराखंड,असम, हिमाचल आदि कई प्रदेशों में भी कर चुके है जो इस बात का संकेत है कि भाजपा में मुख्यमंत्री के रूप में चर्चा में रहने वालों की लोटरी आसानी से नही लगने वाली।


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