वरिष्ठ पत्रकार और समाचार जगत के संस्थापक सम्पादक श्री राजेंद्र गोधा जी शनिवार 19 जून 21 को इस दुनिया से अपनी देह त्याग विदा हो गए ।
समाचारों और समाचार पत्रों की दुनिया किसी साधना से कम नही होती। विशेष कर बड़े-बड़े अख़बारों के मध्य एक नया अख़बार निकाल कर अपने अस्तित्व को बनाए रखना किसी महायज्ञ से कम नही है। ख़ास कर इस यज्ञ में हर रोज आहूति देकर इसे जिंदा रखने की कसौटी पर खरा उतरना भी एक अग्नि परीक्षा के समान है ।इस कठिन परीक्षा और कसौटी में सफल होकर तथा पत्रकारिता के लम्बे संघर्ष को सफलता पूर्वक पार कर गोधा जी इसके उत्कृष्ट स्थान पर पहुँचे।
गोधाजी ने जयपुर से अपना अख़बार निकाला और इसका नाम समाचार जगत रखा । कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद उन्होंने इस छोटे से पोधे को वटवृक्ष का रूप देकर समाचार जगत में अपना अलग ही साम्राज्य स्थापित किया । उन्होंने अपने अख़बार के नई दिल्ली संस्करण सहित अन्य कई संस्करण भी निकाले।
गोधा जी की यह खूबी थी कि उनके सभी के साथ अच्छे सम्बन्ध रहें। हर राजनीतिक दल उनकी व्यवहार कुशलता का मुरीद था । प्रदेश के सभी राज्यपालों,मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों, सांसदों,विधायकों,छोटे से बड़े अधिकारियों,पत्रकार जगत के साथियों तथा समाज के हर वर्ग के लोगों के साथ हमेशा उनके प्रगाढ़ सम्बन्ध रहें।
गोधाजी ने समाचार जगत में अपने धर्म गुरुओं को अहम स्थान दिया। मुझे याद है कि श्रीमहावीर जी के वार्षिक मेला में जब मैं दिल्ली से राष्ट्रीय मीडिया दल को लेकर जाता था तो वे उत्साह के साथ सबसे घुलमिल जाते थे। वे न केवल जैन धर्मावलम्बियों को अपने अख़बार मेंअहम कवरेज देते थे वरन अन्य धर्मों के कवरेज को भी व्यापक स्थान दिलाते थे।
वे नवोदित पत्रकारों को हमेशा प्रोत्साहित करते थे। मेरी पत्नी नीति भट्ट ने पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट करने के बाद जब सक्रिय पत्रकारिता में आना चाहा तो गोधाजी ने अपने अख़बार में नियमित लिखने को कहा। साफ़गोई इतनी थी की कि उन्होंने कहा कि हम आपको मानदेय नही दे पायेंगे।गोधाजी की भावना का सम्मान करते हुए आज पिछलें 25 वर्षों से भी अधिक समय से हम दोनों समाचार जगत को अपने लेखन से योगदान प्रदान कर रहे है।
आज हक़ीक़त में विश्वास नही हो रहा है कि गोधाजी हमारे मध्य नही है। यह अविश्वसनीय सा है । हमारी लेखनी भी निःशब्द सी हो गई है । वे पत्रकारिता के एक ऐसे बेजोड़ और पुरोधा पुरुष थे जिन्होंने अपने सरल व्यक्तित्व से हर किसी का दिल जीता था । वे हँसमुख, विनम्र, कार्य के प्रति समर्पित, सहृदय सहयोगी,उमंग और जीवटता से भरपूर, परिश्रमी,अच्छे सलाहकार, धर्मावलम्बी,सहिष्णुता वाले और कर्मयोगी व्यक्तित्व के धनी थे।
श्री राजेंद्र गोधा जी के निधन की खबर दिल को दुखाने और व्यथित करने वाली है। काफी दिनों से वे अस्पताल में भर्ती थे। उन्होंने पत्रकारिता एवं सामाजिक क्षेत्र में अपना उल्लेखनीय योगदान दिया। उनके देहान्त से पत्रकारिता जगत को एक बड़ी क्षति हुई है।
आज समाचार जगत का एक और मज़बूत स्तम्भ ढह गया जो सूरज के अस्त होने के बाद अंधेरा छा जाने जैसा काला दिवस है । उम्मीद है पत्रकारिता जगत के पुरोधा राजेन्द्र गोधा जी के अधूरे कामों को उनके पुत्र शैलेंद्र गोधा और परिवार के अन्य सदस्य आगे बढ़ायेंगे और उनके नाम से एक व्याख्यान माला और पत्रकारिता अवार्ड तथा पत्रकारिता के विध्यर्थियो के लिए छात्रवृतियाँ आदि कल्याणकारी कार्य शुरू करेंगे । यहीं उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजली होंगी।
समाचार जगत के इस सच्चे पूजारी राजेन्द्र गोधा जी को हमारी हार्दिक श्रद्धांजली और शत शत नमन.....