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सरकारी उपेक्षा से आयुर्वेद चिकित्सा चरमरा गई : किरण माहेश्वरी

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20 Feb 20
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सरकारी उपेक्षा से आयुर्वेद चिकित्सा चरमरा गई : किरण माहेश्वरी

पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री एवं विधायक किरण माहेश्वरी (Kiran Maheshwari) ने आज तारांकित प्रश्न के माध्यम से आयुर्वेद चिकित्सा की चरमराती व्यवस्था के प्रति सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। राज्य सरकार ने बताया कि राजस्थान में 3580 आयुर्वेद चिकित्सालय है। इनमें से 41 चिकित्सालय तो एसे है जहां एक कर्मचारी पदस्थापित नहीं है। कर्मचारियों एवं चिकित्सकों (Staff and physicians)के लगभग आधे पद रिक्त है।

किरण माहेश्वरी ने बताया कि राजस्थान में चिकित्सा अधिकारियों के 4363 स्वीकृत पदों में 1333 पद रिक्त है। नर्स एवं कम्पाउण्डर (Nurse and compounder) के 4088 पदों में से 986 पद रिक्त है। परिचारकों के भी 1213 पद रिक्त है। राजसमंद जिले में चिकित्सकों के 113 पदो में से 61 पद रिक्त है। जिले के तीन औषद्यालयों में तो एक भी कर्मचारी नहीं है।

आयुर्वेद विभाग (Ayurveda Department) में अंतिम बार 2015 में 315 पदों पर की गई थी। परिचारकों की अंतिम भर्ती तो 1995 में की गई। किरण माहेश्वरी ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि आयुर्वेद चिकित्सकों, नर्सो एवं परिचारकों के सभी रिक्त पदों को शीघ्र भरें।

होम्योपैथी में नहीं है नि:शुल्क औषधी योजना

किरण माहेश्वरी ने राज्य में होम्योपैथी चिकित्सा (Homeopathy medicine) को लोकप्रिय बनाने के लिए भी सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। उत्तर में सूचना दी गई कि राज्य में 6 राजकीय चिकित्सालय एवं 190 औषद्यालय होम्योपेथी के चल रहे है। उदयपुर संभाग (Udaipur Division) में एक भी चिकित्सालय नहीं है। विगत 4वर्षों मे एक भी नया औषद्यालय या चिकित्सालय नहीं खोला गया है। 56 सामुदायिक एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों (56 Community and Primary Health Centers) पर होम्योपैथी के एकल चिकित्सा केन्द्र विकसित किए गए है।

किरण ने राज्य सरकार से होम्योपैथी एवं आयुर्वेद को भी नि:शुल्क औषधी योजना में सम्मिलत करने की मांग की है।


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