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“सुहास परफेक्ट पिता से कोसों दूर है, और यही उसे निभाने लायक दिलचस्प बनाता है” – वरुण बडोला, सोनी सब के इत्ती सी खुशी में अपने किरदार पर

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22 Sep 25
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“सुहास परफेक्ट पिता से कोसों दूर है, और यही उसे निभाने लायक दिलचस्प बनाता है” – वरुण बडोला, सोनी सब के इत्ती सी खुशी में अपने किरदार पर

“मुंबई : सोनी सब का शो इत्ती सी खुशी अपनी सजीव और दिल को छू लेने वाली पारिवारिक कहानी से दर्शकों का दिल जीत रहा है। इस कहानी के केंद्र में है सुहास (वरुण बडोला) – एक ऐसा पिता जो बिल्कुल आदर्श नहीं है। वरुण एक ऐसे इंसान का किरदार निभा रहे हैं जो खामियों से भरा, अप्रत्याशित और भावनात्मक रूप से दूर है, लेकिन जिसकी यात्रा पूरे परिवार के बदलाव में अहम है। उनके अभिनय में दर्शक सुहास की झुंझलाहट, कमज़ोरियाँ और चुपचाप होने वाले सुधार के पल देख पाते हैं – यही बातें इस किरदार को बहस का विषय बनाती हैं। बहु-आयामी भूमिकाओं को जीवंत बनाने की अपनी कला के लिए मशहूर वरुण बताते हैं कि उन्हें इत्ती सी खुशी की कहानी में क्या खींच लाया, किस तरह उन्होंने एक रुढ़ियों से परे पिता की भूमिका निभाने की तैयारी की, और अपनी सह-कलाकार सुम्बुल तौकीर खान (अन्विता) के साथ उनका बंधन कैसा रहा।

1. सुहास ‘परफेक्ट पिता’ की रूढ़ी को तोड़ते हैं – खामियों से भरे, अप्रत्याशित लेकिन जुड़ाव पैदा करने वाले। ऐसे किरदार का हिस्सा बनने का अनुभव कैसा रहा?
हाँ, हर अभिनेता किसी न किसी चुनौती की तलाश करता है और सुहास मुझे वही चुनौती देता है। वह बिल्कुल भी आदर्श पिता नहीं है – उसमें कमियाँ हैं, वह अप्रत्याशित है, कभी-कभी झुंझलाहट पैदा करता है, लेकिन साथ ही बहुत इंसानी भी है। यही चीज़ उसे निभाने लायक मज़ेदार बनाती है। मेरे लिए यह भूमिका बेहद ताज़गीभरी है क्योंकि यह अब तक किए गए किसी भी किरदार से बिल्कुल अलग है। यही विविधता मुझे प्रेरित रखती है।

2. आपने और सुम्बुल (अन्विता) ने ऑनस्क्रीन खट्टे-मीठे पिता-पुत्री के रिश्ते को कैसे गढ़ा?
हमें कोई असाधारण चीज़ करने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। मैंने सुम्बुल का काम देखा है और सच कहूँ तो मैं मानता हूँ कि वह टेलीविजन की सबसे प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक है। मुझे यक़ीन है उसने भी मेरा काम देखा होगा। यही पारस्परिक सम्मान और सहजता उस रिश्ते को मज़बूत बनाती है। कभी-कभी सबसे गहरे रिश्ते ऑफ-कैमरा साधारण या हल्की-फुल्की बातचीत से ही बन जाते हैं। अंततः यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप एक-दूसरे के साथ कितने सहज हैं, क्योंकि वही केमिस्ट्री स्क्रीन पर उतरती है।

3. सुहास के झुंझलाने वाले लेकिन प्यारे व्यक्तित्व को संतुलित करना मुश्किल रहा?
 सच कहूँ तो, मुश्किल नहीं था। मैं जो भी कर रहा हूँ, वह लेखकों और निर्देशक के दिए गए ब्रीफ पर आधारित है। मैं उनकी दृष्टि पर पूरी तरह भरोसा करता हूँ और उसी के अनुसार काम करता हूँ। अगर दर्शकों को सुहास एक साथ झुंझलाने वाला और प्यारा लगता है, तो समझिए हमने अपना काम सही किया है – और यही एक अभिनेता के लिए सबसे संतोषजनक है।

4. सेट पर खासकर युवा कलाकारों के साथ तालमेल कैसा रहा?
 युवा कलाकारों में ग़ज़ब की ऊर्जा है। वे सभी के साथ बहुत अच्छे से घुल-मिल जाते हैं। मेरी दूसरी प्रतिबद्धताओं की वजह से मुझे सेट से बाहर उनके साथ ज़्यादा समय नहीं मिल पाता, लेकिन जब मैं एपिसोड देखता हूँ तो साफ पता चलता है कि हर कोई दिल और मेहनत से काम कर रहा है। उनकी परफॉर्मेंस को स्क्रीन पर जीवंत होते देखना खुशी देता है।

5. दर्शक आगे की कहानी से क्या उम्मीद कर सकते हैं?
 आने वाले एपिसोड्स में कई मोड़ और उतार-चढ़ाव आने वाले हैं। बिना ज़्यादा राज़ खोले इतना कह सकता हूँ कि सुहास की यात्रा दर्शकों को चौंकाएगी और शायद उनके नज़रिए को चुनौती भी देगी। बहुत सारा इमोशनल ड्रामा और गहराई सामने आने वाली है, इसलिए दर्शकों को ज़रूर जुड़े रहना चाहिए।
 


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