भारतीय ज्ञान परम्परा विश्व में अद्भूत - प्रो. सारंगदेवोत
उदयपुर / राजस्थान विद्यापीठ के संघटक लोकमान्य तिलक शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय केे बी.ए.-बी.एड. एवं बी.एससी.-बी.एड. विभाग के विद्यार्थियों की ओर से भारतीय ज्ञान तंत्र आधारित थीम पर ड्रामा, आर्ट एंड एस्थेटिक्स की प्रदर्शनी का शुभारंभ कुलपति प्रो. शिवसिंह सारंगदेवोत, कुलाधिपति भंवर लाल गुर्जर, प्राचार्य प्रो. सरोज गर्ग, डॉ. रचना राठौड, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अमी राठौड़ ने फीता काट कर किया। प्रदर्शनी मेें चतुर्थ वर्ष के छात्र-अध्यापकों ने भारतीय संस्कृति, विज्ञान और अध्यात्म के समन्वय को अपने रचनात्मक कार्यों के माध्यम से जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जिसमें अष्टांग योग, मूल चक्र, पंचांग तिथि, तिलक के प्रकार और उनके प्रभाव, वेद चिन्ह, ओम् का महत्व, स्वस्तिक निर्माण पद्धति, दस महाविद्या एवं सोलह संस्कार जैसे विषयों को वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से दर्शाया गया। साथ ही विद्यार्थियों ने मंडला आर्ट, क्विलिंग आर्ट, मिरर वर्क और हैंडमेड आर्टवर्क के माध्यम से भारतीय सौंदर्यबोध को दर्शाया गया। पर्यावरण संरक्षण के संदेश को साकार करते हुए विद्यार्थियों ने कॉटन बैग्स पर हस्तनिर्मित चित्रांकन कर ‘पर्यावरण बचाओ’ का संदेश दिया।
प्रो. सारंगदेवोत ने विद्यार्थियों का आव्हान किया कि भारतीय ज्ञान परम्परा विश्व में अद्भूत है इसे आने वाली पीढ़ी में रूपांतरित करने की जिम्मेदारी आप सभी की है। इस तरह के आयोजन से विद्यार्थियों में सृजनात्मकता, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक चेतना का विकास होता है।
प्रदर्शनी का संयोजन डॉ. इंदु बाला आचार्य, डॉ. लक्ष्मण रेवाड़ी के निर्देशन में विद्यार्थियों के सहयोग से किया गया।
इस मौके पर डॉ. भूरालाल श्रीमाली, डॉ. नीतू व्यास, डॉ. रजनी धाबाई, डॉ. अनुपम सुथार, डॉ. उषा शर्मा, नरपत सिंह चुंडावत, डॉ. इंदु बाला आचार्य, डॉ. लक्ष्मण रेवाड़ी, भारत कुशवाहा, निजी सचिव कृष्णकांत कुमावत, यशवंत राव , महेश चंद्र पालीवाल, सवाराम डांगी सहित अकादमिक सदस्य उपस्थित थे।