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90 वर्षों से कार्यरत विद्या भवन ने शिक्षा के क्षेत्र में किए कई नवाचार विकसित

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20 Jun 22
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90 वर्षों से कार्यरत विद्या भवन ने शिक्षा के क्षेत्र में किए कई नवाचार विकसित

सन् 1931 में स्थापित विद्या भवन उदयपुर में सबसे पुराने शैक्षिक संस्थानों में से एक है। पिछले 90 वर्षों से अधिक के कार्यकाल में विद्या भवन ने शिक्षा के क्षेत्र में कई नवाचार विकसित किए और मूल्य-परक शिक्षा, सह-शिक्षा, जिम्मेदार नागरिकता की शिक्षा, पर्यावरण शिक्षा, टिकाऊ खेती, खेल-कूद, संगीत, ललित कला और कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता रहा है। 
    इस समय विद्या भवन के अन्तर्गत 10 संस्थान कार्यरत हैं जिनमें तीन विद्यालय, एक महाविद्यालय, दो शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, पॉलीटेक्नीक, कृषि विज्ञान केन्द्र, शैक्षिक शोध पर आधारित एक संदर्भ केन्द्र और पर्यावरणीय शिक्षा के लिए एक प्रकृति साधना केन्द्र शामिल हैं।
    कोविड-19 की आपदा में अन्य संस्थानों की तरह विद्या भवन के संस्थान भी बन्द रहे और सभी संस्थानों में ‘ऑनलाइन’ शिक्षा प्रदान की गयी। चूंकि इस आपदा से पहले ‘ऑनलाइन’ शिक्षा का कोई प्रावधान नहीं था। इसलिए विद्या भवन में कार्यरत विशेषज्ञों ने ऑनलाइन शिक्षा को और प्रभावी बनाने के लिए अध्यापकों को प्रशिक्षित किया। इसके अतिरिक्त सभी संस्थानों में ‘ऑनलाइन’ शिक्षा को उचित रूप से संचालित करने के लिए आवश्यक उपकरण लगाए गए।
    ‘ऑनलाइन’ शिक्षा के प्रभाव का आंकलन करने के लिए विद्या भवन ने अपने सभी वर्तमान छात्रों का सर्वे किया जिससे पता चला कि दो-तिहाई छात्रों से ज्यादा अभिभावकों की मासिक आय रू. 15000 से कम थी और कोविड काल में यह घटती जा ही रही थी। (सर्वे के निष्कर्षों को फ्रन्ट लाइन पत्रिका और इण्डीयन एक्सप्रेस अख़बार ने छापा था)
    सर्वे से यह भी पता चला कि इनमें से बहुत से छात्रों के अभिभावक इस स्थिति में नहीं थे कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई जारी रख सकें। इससे बहुत से छात्रों की अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ने की सम्भावना थी जिसके कारण विद्या भवन ने अपने शुभचिन्तकों से अनुरोध किया कि वे उनकी पढ़ाई जारी रखने में हमारी सहायता करें। उनकी सहायता के फलस्वरूप विद्या भवन ने 4.25 करोड़ रूपये इकत्र किए जिससे 1500 छात्रों को स्कॉलरशिप की सहायता मिली। इसका परिणाम यह हुआ कि कोविड के कारण किसी भी छात्र की पढ़ाई में व्यधान नहीं पड़ा। जिन बच्चों के अभिभावकों की कोविड़ के कारण मृत्यु हो गई थी उनके लिए कक्षा 12वीं तक मुफ्त शिक्षा का प्रबंध किया गया है।
इस प्रकार विद्या भवन की सातों शैक्षणिक संस्थानों में कोविड के समय में भी शिक्षण कार्य सुचारू रूप से चलता रहा। इसके अतिरिक्त, तमाम वित्तीय परेशानियों के बावजूद विद्या भवन ने अपने किसी भी कार्यकर्ता को संस्था से अलग नहीं किया और उन्हें उनके वेतन इत्यादि पूर्व की भांति ही मिलते रहे।
    स्कूल और कॉलेज शुरू होने के तुरन्त बाद दो वर्ष की ‘ऑनलाइन’ पढ़ाई के दौरान बच्चों में जो कमियाँ रह गई थीं उन पर सबसे पहले कार्य शुरू किया गया। इसके साथ ही दा वर्षों के दौरान घरों में बन्द रहने के कारण बच्चे जिन कुण्ठाओं के शिकार होने लगे उनके लिए भी ‘वेलनेस टीम’ ने विशेष सत्र आयोजित किए जो अभी भी चल रहे हैं। ये सत्र विद्या भवन के छात्रों और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ अभिभावकों और अन्य बाहरी लोगों के लिए खुले होते हैं जिनमें प्रतिभागी अपने सवाल व संशय वक्ताओं के सामने रख सकते हैं।
    खेल एवं अन्य गतिविधियाँ विद्या भवन के शैक्षणिक प्रयासों का अभिन्न अंग रहे हैं। हालांकि, कोविड काल में इन पर इतना काम नहीं हो पाया लेकिन संस्थाओं के खुलने के बाद इन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। विद्या भवन की हॉकी टीमों (लड़के और लड़कियों की टीमों) ने जिला स्तरीय चारों चैंपीयनशिप जीतीं। इन टीमों के 28 खिलाड़ियों ने राजस्तरीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया। विद्या भवन के एक छात्र आशीष मसार उदयपुर की जिला टीम के कप्तान भी बने। हीना और आशीष राजस्तरीय हॉकी एकडेमी के लिए भी चयनित हुए। स्कूल की जिमनास्टिक टीम ने 14 स्वर्ण जीते और 2 खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए चयनित हुए। 
विद्या भवन रूरल इंस्टीट्यूट की नीलम डांगी को ‘वेट लिफ्टिंग और पावर लिफ्टिंग ’ में स्ट्राँग वुमन का अवार्ड मिला जबकि रग्बी में भावना गमेती को राज्य स्तर पर बेस्ट वुमन का अवार्ड मिला। रूरल इंस्टीट्यूट ने लड़कों के वॉलीबॉल और लड़के और लड़कियों की तीरंदाजी और लड़कियों की वेट लिफ्टिंग में विश्वविद्यालय की चैंपीयनशीप जीती। संस्था के 4 खिलाड़ी ऑल इण्डिया अमेरिकन फुटबाल टीम में चयनित हुए। 
विद्या भवन पब्लिक स्कूल में शतरंज की कहानी असाधारण रही। सन् 2015 में ‘स्कूल में शतरंज’ नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया गया था। शतरंज एक अपेक्षाकृत महंगा खेल है क्योंकि इसमें कोचिंग की जरूरत होती है और प्रतियोगिताओं में भाग लेना पड़ता है। सामान्य विद्यार्थियों के लिए इस खेल में उत्कृष्टता हांसिल करना संभव नहीं है। इसलिए स्कूल ने एक बहुत काबि़ल शतरंज प्रशिक्षक को नियुक्त किया और छात्रों को विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए समस्त खर्चों का वहन किया। छात्रों ने इस तरह के सहयोग के कारण शतरंज के खेल में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और जिले और प्रदेश स्तर की प्रतियोगिताएं जीती। आपदा कोल में उनका ‘ऑनलाइन’ प्रशिक्षण चालू रखा गया व उनको ‘ऑनलाइन’ प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया। उनमें से कक्षा 10 के व्रशांक ने 17 वर्ष से कम एशियाई स्कूल प्रतियोगिता और 14 वर्ष से कम आयु की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में रजत पदक जीते। व्रशांक ने राजस्थान जूनियर और राजस्थन सीनियर शतरंज प्रतियोगिताएँ भी जीती हैं और वे राजस्थान से राष्ट्रीय शतरंज प्रतियोगिता के लिए चयनित हुए हैं। कक्षा 9वीं की दक्षिता चौहान ने 16 वर्ष से कम आयु, 14 वर्ष से कम और 12 वर्ष से कम आयु की राज्यस्तरीय शतरंज चैंपियनशीप जीती हैं और वहीं कक्षा 9वंी की चारवी पाटीदार 20 वर्ष से कम, और 16 और 14 वर्ष से कम की राज्यस्तरीय शतरंज प्रतियोगिताओं में उपविजेता रही हैं। इंटरनेशनल चेस फेडेरेशन ;थ्प्क्म्द्ध ने जून 2022 में व्रशांक को राजस्थान का सर्वश्रेष्ठ एक्टिव खिलाड़ी व दक्षिता को सर्वश्रेष्ठ एक्टिव महिला खिलाड़ी घोषित किया है। 
खेलों के साथ-साथ संगीत और ललित कलाएँ भी विद्या भवन की शिक्षा का एक महत्वपूर्ण अंग रही हैं। विद्या भवन पब्लिक स्कूल का ‘3 ऑक्टेव बैण्ड’ नाम का अपना बैण्ड है जिसने विभिन्न अन्तरविद्यालयी प्रतियोगिताएँ और जोनल प्रतियोगिताएँ जीती हैं तथा अन्तर्राष्ट्रीय समारोहों में भाग लिया है। विद्या भवन में यह महसूस किया जाता रहा है कि संगीत की शिक्षा से छात्रों का व्यक्तित्व निर्मित होता है और उन्हें दूसरे विषयों को समझने में भी सहायता मिली है। संगीत और अन्य ललित कलाओं के अभ्यास से पूरे परिसर में एक सकारात्मक माहोल बनता है।
विद्या भवन, यहाँ पढ़ने वाले 4000 छात्रों के अतिरिक्त शिक्षा संबल और शिक्षा संवर्धन कार्यक्रमों के अन्तर्गत राजस्थान के 5 जिलों के 85 सरकारी स्कूलों के 18000 छात्रों तक पहुंचने में कामयाब हुआ है। इन कार्यक्रमों के दौरान विद्या भवन और विभिन्न विषयों जैसे- गणित, अंग्रेजी और विज्ञान की शिक्षा की गुणवत्ता को सुधारने का प्रयास करता है और छात्रों की पढ़ने की आदतों को गांवों के पुस्तकालय बना कर बढ़ाता है। इसके अलावा स्थानीय समुदायों को विद्या भवन और उनके बच्चों की शिक्षा के नज़दीक लाता है। इसके अलावा कक्षा 8वीं, 10वीं और 12वीं के कुछ चुने हुए छात्रों के लिए आवासीय समर केम्प भी आयोजित करता है जिसमें उत्कृष्ट स्तर की शिक्षा के अतिरिक्त नियमित खेल-कूद की, सांस्कृतिक व पर्यावरीणय गतिविधियां होती हैं उनको विशेषज्ञों द्वारा कुछ उपयोगी कौशल जैसे सुथारी, आर्ट एवं क्राफ्ट, कंप्यूटर तथा थिएटर इत्यादि में सिखाए जाते हैं। आपदा के दौरान भी विद्या भवन शिक्षा संदर्भ केन्द्र ने इन स्कूलों के 9वीं व 10वीं कक्षा के 7000 छात्रों के लिए ऑनलाइन स्ट्डी फोरम्स बनाए और उनके घरों पर नियमित रूप से विजिट किया गया।
प्रतिष्ठित पत्रिका इकोनोमिक एवं पोलिटिकल वीकली में विद्या भवन शिक्षा संदर्भ केन्द्र के द्वारा विकसित ऑनलाइन शिक्षा के लिए नई मूल्यांकन पद्धति के ऊपर एक प्रकाशित किया। विद्या भवन ने ऑनलाइन शिक्षा में सीखने में हुई कमियों को दूर करने के लिए 2021 में शीतकालीन शिविर आयोजित किए जिसमें कक्षा-10 के 1800 छात्रों ने भाग लिया। इन छात्रों को विद्या भवन के कार्यकर्ताओं के अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय और आईआईएसईआर, मोहाली के स्वंयसेवकों (वोलियंटर्स) ने प्रशिक्षित किया। अभी ग्रीष्मकालीन शिविर में 300 आवासीय और 1500 गैर-आवासीय विद्यार्थी भाग ले रहे हैं। 
विद्या भवन शिक्षा संदर्भ केन्द्र ने एनसीईआरटी व बिहार और आन्ध्र प्रदेश के एससीईआरटी के साथ पाठ्यक्रम पुनर्निर्माण के ऊपर कार्य किया। केन्द्र ने बड़े पैमाने पर शिक्षकों के क्षमता संवर्धन और प्रशिक्षण कार्यक्रम छत्तीसगढ़ और बिहार प्रदेशों के लिए आयोजित किए। केन्द्र ने एनसीईआरटी के लिए गणित की व आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के लिए भाषा, गणित व विज्ञान पाठ्यपुस्तकंे बनाई। केन्द्र ने लीड्स विश्वविद्यालय, मेनचेस्टर मेट्रोपोलीटन विश्वविद्यालय और आईआईएम उदयपुर के साथ मिलकर विभिन्न शोध परियोजनाओं पर भी कार्य किया। केन्द्र ने पूर्व प्राथमिक स्तर के लिए सेवा मंदिर के लिए भाषा सीखने की सामग्री तैयार की, केयर इण्डिया के लिए विज्ञान मॉडूयल बनाए, मेकमिलन इण्डिया के लिए पाठ्यपुस्तके बनाईं और रूम टू रीड के लिए अध्ययन सामग्री विकसित की। इसके अतिरिक्त यह रूम टू रीड के लिए यूएस-ऐड के वित्तीय समर्थन से ंसंचालित शुरूआती शिक्षा कार्यक्रम के तहत उत्तर प्रदेश में सामाजिक, भाषाई सर्वे कर रहा है। केन्द्र ने दक्षिण राजस्थान के पाँच ग्रामीण ब्लॉक्स के 1300 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को पूर्व प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम और सीखने की पद्धतियों के ऊपर प्रशिक्षण दिया। 
विद्या भवन पॉलीटेक्नीेक कॉलेज राजस्थान का सबसे पुराना पॉलीटेक्नीक कॉलेज है जो सिविल, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रीकल, कंम्पयूटर सांइस और सूचना प्रौद्योगिकी में डिप्लोमा कार्यक्रम संचालित करता है। इसके अतिरिक्त यह पॉलीमर विज्ञान व रबर तकनीक पर पोस्ट-डिप्लोमा कार्यक्रम और मेकाट्रॉनिक्स पर सर्टिफीकेट कोर्स चलाता है। इसके अतिरिक्त यह विभिन्न अंशकालीन कौशल विकास कार्यक्रम भी चलाता है। पॉलीटेक्नीक में विश्वस्तरीय ‘सरस्वती मेकाट्रॉनिक्स सेन्टर’ सरस्वती सिंघल फाउन्डेशन व बोस कम्पनी के सहयोग से स्थापित किया गया है। पॉलीटेक्नीक के उत्तर भारत के 9 प्रदेशों के लिए उस समय के मानव संसाधन विभाग द्वारा आउटस्टैन्डींग टेक्नीकल इन्स्टीटीयूट ऑफ नादर्न रीजन का पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा इसे सीडीटीपी योजना को क्रियान्वित करने वाले सर्वश्रेष्ठ पॉलीटेक्नीक का भी अवार्ड दिया गया। पॉलीटेक्नीक पानी व सफाई व्यवस्था के ऊपर राष्ट्रीय व अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं के साथ उत्कृष्ट शोध कर रहा है। पॉलीटेक्नीक ने एक सेफ्टी टैंक मेन्यूअल तैयार किया है जिसमें सेफ्टी टैंक की उचित बनावट, निर्माण, रख-रखाव के ऊपर मार्गदर्शिकाएँ बनाई गई हैंे। इस मेन्यूअल को उदयपुर नगर निगम ने स्वीकार कर लागू किया है। पॉलीटेक्नीक उदयपुर के सफाई कार्यकर्ताओं को सुरक्षा संबंधी उपायों और सेफ्टिक टैंक के सुरक्षित रख-रखाव और सफाई के ऊपर प्रशिक्षण दे रहा है जिससे इस तरह के कार्य करने से उनके स्वास्थ्य पर होने वाले दुष्प्रभावों को कम किया जा सके। पॉलीटेक्नीक उदयपुर शहर के लिए मल अपशिष्ट ट्रीटमेन्ट प्लान्ट को बनाने की प्रक्रिया में सहयेाग दे रहा है जो बहुत जल्द ही उदयपुर में स्थापित होगा। डेनमार्क सरकार की सहायता से पॉलीटेक्नीक आयड़ नदी बेसिन एकीकृत जल संसाधन प्रबन्धन के ऊपर एक शोध कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहा है। एआईसीटीई ने विद्या भवन पॉलीटेक्नीक को भारत की झीलों के संरक्षण का रोड़मैप बनाने के लिए चयनित किया है। यह देश का एक अकेला ऐसा पॉलीटेक्नीक है जो इस कार्य के लिए चयनित हुआ है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के सारे पॉलीटेक्नीक विद्यालयों में से विद्या भवन पॉलीटेक्नीक का कैम्पस प्लेसमेण्ट सर्वश्रेष्ठ पॉलीटेक्नीक है। 
विद्या भवन रूरल इन्स्टीयूट में एक रोवर इकाई है जिसके 4 विद्यार्थियों को राज्यस्तरीय पुरस्कार मिले हैं। एनएसएस और रोवर्स उदयपुर के भीलों का बेदला गाँव को विभिन्न सामाजिक व शैक्षिक गतिविधियों के लिए गोद लिया है। 
विद्या भवन ने हाल ही में एक कार्यक्रम ‘अपना-सपना’ की शुरूआत की है जिसके अन्तर्गत कक्षा 11 के छात्रों को विभिन्न अभियांत्रिकी ;म्दहपदममतपदहद्ध प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी कराई जाती है। विद्या भवन और आस-पास के दूसरे स्कूलों में ऐसे बहुत से छात्र हैं जो कोचिंग संस्थानों की महंगी फीस नहीं दे सकते हैं। ‘अपना-सपना’ कार्यक्रम इसी तरह के बच्चों के लिए है, जिसमें प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी के अतिरिक्त अंग्रेजी भाषा, सम्प्रेषण, प्रस्तुतीकरण, इत्यादि के कौशल सिखाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त उनका खेल-कूद और व्यक्तित्व विकास के कार्यक्रमों में भाग लेना सुनिश्चित किया जाता है। इस कार्यक्रम के पहले बैच में 32 छात्र हैं जिसमें से 16 विद्या भवन के, दो दूसरे निजी विद्यालयों के, और 14 छात्र सरकारी विद्यालयों के हैं।
विद्या भवन हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के वित्तीय सहयोग से ‘ऊंची-उड़ान’ नामक एक और कार्यक्रम भी संचालित कर रहा है जिसमें राजस्थान के 5 जिलों व अन्य प्रदेशों के कमज़ोर वर्ग के बच्चों को कक्षा 9वीं के बच्चों को अभियांत्रिकी महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए चार साल की आवासीय शिक्षा प्रदान की जाती है। अब तक 78 बच्चों के तीन बैच निकल चुके हैं जिनमे से 58 बच्चे विभिन्न अभियांत्रिकी महाविद्यालयों में प्रवेश प्राप्त किया और वहां पढ़ाई कर रहे हैं। इन 58 छात्रों में से 4 छात्र विभिन्न आईआईटीज में और 4 छात्र विभिन्न एनआईआईटीज में गए हैं। 17 छात्र राजस्थान के सबसे उत्कृष्ट अभियांत्रिक महाविद्यालय एनबीएम विश्वविद्यालय जोधपुर और 10 छात्र टीटीई उदयपुर में अध्ययन कर रहे हैं। इस समय इस कार्यक्रम के अन्तर्गत 130 छात्र विद्या भवन के छात्रावासों में रहकर अपनी पढ़ाई कर रहे हैं। 
एक अन्य कार्यक्रम के अन्तर्गत विद्या भवन स्कूल में झाड़ोल और कोटड़ा आदिवासी क्षेत्रों के 50 बच्चों को विद्या भवन में लाया गया जो अपने क्षेत्रों में स्कूल छोड़ चुके थे या पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। इन 50 छात्रों में से 40 बच्चों ने कक्षा 12वीं की परीक्षा पास कर ली है। पढ़ाई के अतिरिक्त उनको हॉकी खेलना भी सिखाया गया। इनमें 8 बच्चे राज्य स्तर, 4 बच्चे जिला स्तर जबकि एक बालिका राजस्थान की हॉकी टीम में प्रतिनिधित्व करने के लिए चयनित हुई है। एक दूसरी बालिका का राज्यस्तरीय हॉकी एकेडमी के लिए चयन हुआ है। 
विद्या भवन कृषि विज्ञान केन्द्र (वीबीकेवीके) किसानों के लिए विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों को क्रियान्वित करने के अलावा क सलूम्बर और गोगुन्दा की आदिवासी महिलाओं के लिए एक पोषण कार्यक्रम में शामिल है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत महिलाओं को सब्जी-भाजी उगाने के लिए प्रशिक्षण दिया जाना और बीज उपलब्ध कराए जाते हैं। अब तक 120 महिलाएँ इस कार्यक्रम से लाभान्वित हो चुकी हैं। इसी तरह इस वर्ष आदिवासी परिवारोंे की आय को बढ़ाने के लिए कड़कनाथ व अंकलेश्वर नस्ल के 16000 चूजों को आदिवासी परिवारों में वितरित किया गया है। इसके अतिरिक्त उनको मुर्गीपालन का प्रशिक्षण दिया गया और उसके लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाई। इस कार्यक्रम से अब तक 700 परिवार लाभान्वित हो चुके हैं। इसके अतिरिक्त बकरी विकास कार्यक्रम के तहत सिरोही नस्ल को बढ़ावा देने के लिए इस वर्ष 73 बकरियाँ और 4 बकरे वितरित किए गए। इस कार्यक्रम से अब तक 175 परिवार लाभान्वित हो चुके हैं। इन सबको बकरी पालन से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया है।
 


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