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देश के वैदिक मानचित्र पर नये नक्षत्र के रूप में उभरेगा जावदा का कल्याणलोक

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13 Mar 18
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 देश के वैदिक मानचित्र पर नये नक्षत्र के रूप में उभरेगा जावदा का कल्याणलोक जिले को मिली वैदिक विश्व विद्यालय की सौगात
चित्तौडगढ। श्री कल्ला जी वेदपीठ एवं शोध संस्थान द्वारा अपनी स्थापना के लगभग डेढ दशक के कार्यकाल में लुप्त होती वैदिक संस्कृति को संरक्षण देने एवं जीवन्त करने के उद्धेश्य से स्थापित किये जा रहे श्री कल्ला जी वैदिक विश्व विद्यालय के फलस्वरूप जिले का छोटा सा गांव जावदा का कल्याणलोक देश के वैदिक मानचित्र पर नये नक्षत्र के रूप में अपनी विशिष्ठ पहचान बनायेंगा। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की वैदिक शिक्षा के प्रति गहन रूचि एवं संस्थान के प्रति लगाव के फलस्वरूप उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी द्वारा शुक्रवार को विधानसभा में श्री कल्ला जी वैदिक विश्व विद्यालय की स्थापना, निगमन, संसक्त और अनुषंगिक विषयों के उपबंध करने के लिये प्रस्तुत विधेयक को पारित कर राज्य सरकार ने जिले को वैदिक विश्व विद्यालय की सौगात देते हुए प्रदेश में प्रथम विश्व विद्यालय के रूप में मान्यता प्रदान की है। श्री कल्ला जी राठौड को मेवाड, मालवा, मारवाड, वागड और गुजरात में भले ही लोक देवता के रूप में पूजा जाता हो लेकिन उन्होनें सृष्ठि के कल्याण के सूत्र वेदों में पा लिये थे, ऐसे आध्यात्मिक, वैदिक एवं लौकिक त्रिधारा के दिव्यपूंज वेदमूर्ति श्री शेषावतार कल्ला जी को कल्याण भक्तों ने न केवल आस्था और विश्वास का प्रतीक माना बल्कि जिज्ञासा की विषय वस्तु मानते हुए उन्हीं की प्रेरणा से श्री कल्ला जी वेदपीठ एवं शोध संस्थान की स्थापना जून २००२ में करने के साथ ही निःशुल्क वेद विद्यालय प्रारम्भ किया, जिसके माध्यम से अब तक ३२४ से अधिक विद्यार्थियों को शुक्ल यजुर्वेद में पारंगत करने*अनुकरणीय कार्य किया जा चुका है।***
मुख्य उद्धेश्य वैदिक विश्व विद्यालय की स्थापना
संस्थान का मुख्य उद्देश्य वैदिक विश्व विद्यालय की स्थापना कर राष्ट्र में एक नई सांस्कृतिक चेतना का सूत्र पात करते हुए लुप्त होती वैदिक संस्कृति को संरक्षण देकर वेदों में निहित ज्ञान एवं विज्ञान को जन मानस के लिये तैयार करना है। इसी उद्धेश्य की पूर्ति के लिये राज्य सरकार द्वारा रियायती दर पर ३० एकड भूमि जावदा पंचायत में आवंटित करने के पश्चात् २० अप्रेल २००८ को इस विश्व विद्यालय का भूमि पूजन करने के पश्चात् अब तक कल्याण लोक में लगभग सवा लाख वर्ग फीट निर्माण कार्य पूरा करने के साथ ही विश्व विद्यालय की स्थापना के लिये भौतिक संसाधनों सहित अन्य व्यवस्थाओं पर अब तक लगभग १७ करोड रूपये व्यय करने के बाद आगामी ५ वर्षों में विश्व विद्यालय के सर्वांगिण विकास पर ५० करोड रूपये के निवेश की योजना बनाई गई है। वेद पीठ के प्रवक्ता ने बताया कि यहां वेदों के छः अंगों शिक्षा, कल्प, निरूक्त, व्याकरण, छंद एवं ज्योतिष को आधारभूत रूप में स्वीकार करके भावी पीढी को अध्ययन के लिये प्रेरित कर प्रबुद्ध बौद्धिक समाज का सर्जन करना ही प्रमुख उद्धेश्य रहा है। इस विश्व विद्यालय में संस्कृत अध्ययन के साथ-साथ देव भाषा का प्रचार, व्यवस्थित पाण्डूलिपी, संग्रहालय प्रकाशन के साथ ही वेदों और आधुनिक शिक्षा की शाखाओं की व्यवस्था करना है। यह विश्व विद्यालय इस प्रकार के पाठ्यक्रमों को समाहित करने का प्रयास करेंगा, जो वर्तमान समय की प्रगति के सर्वथा अनुकुल हो तथा आवश्यकतानुसार वैदिक शिक्षा के अध्ययन एवं अनुसंधान को ऐसा आधार देगा, जिससे समाज का उत्कृष्ट हो सकें।
नये भारत के लिये प्राचीन एवं नवीन ज्ञान का समन्वय
भारतीय ज्ञान एवं विज्ञान परम्परा, संस्कृति एवं विचार परम्परा वेदों में निहित है। ऐसे में इस परम्परा का रक्षण एवं व्यवस्थित शिक्षण के साथ ही वेद और वेदांग के रूप में प्राप्त विपुल वांगमय का संरक्षण करते हुए वेदों की समस्त शाखाओं को रक्षित करने का संकल्प लिया गया है। भाषा और व्याकरण साहित्य एवं समीक्षा शास्त्र ज्योतिष*गणित, खगोल विज्ञान, विधिशास्त्र,अर्थशास्त्र, वाणिज्य, कृषि, चिकित्सा, आयुर्वेद, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, कृषि एवं उद्यान शास्त्र सहित अध्ययन के लिये १७ संकायों में विभक्त विभागों द्वारा समस्त प्राचीन भारतीय ज्ञान व आधुनिक ज्ञान को जोडकर मानव संसाधन को प्रस्तुत करने का प्रयास किया जायेगा। वैदिक ज्ञान विज्ञान और भारतीय चिन्तन की परम्परा का आधुनिक उच्च अध्ययन और अनुसंधान को समन्वित करते हुए भारतीय आदर्शों के अनुसार शिक्षण परम्परा का विकास करते हुए इस शिक्षा को निर्धन एवं साधनहीन शिक्षार्थियों व अनुसंधानकर्ताओं तक पहुंचाना इस विश्व विद्यालय का चरम लक्ष्य है।
आर्थिक संम्बल में जन जुडाव की भूमिका
संस्थान की स्थापना के बाद से ही पदाधिकारियों ने नाम और पद की महत्वाकांक्षा को परे रखते हुए अपने आराध्य के प्रति समर्पण भाव के फलस्वरूप मात्र डेढ दशक में ही देश और प्रदेश के लाखों लोगों को संस्थान से जोडने का*अनुकरणीय कार्य किया है। जिसमें सभी आयुवर्ग के समस्त सम्प्रदायों के लोग दृढ-विश्वास के साथ संस्थान को आर्थिक सम्बल प्रदान करते रहे है। इसी कडी में विश्व विद्यालय की स्थापना के लिये राज्य सरकार द्वारा स्वीकृति देने के पश्चात् संस्थान के पदाधिकरियों के साथ ही सम्पूर्ण समाज धार्मिक एवं सामाजिक संगठनों, औद्योगिक प्रतिष्ठानों, प्राचीन संस्कृति में रूची रखने वालों, विद्वानों और संतों का दायित्व और बढ गया है, जिनके*अनुकरणीय योगदान से ही यह विश्व विद्यालय पुष्पित एवं पल्लवित हो सकेगा।
अनूठी उपलब्धि के लिये आभार
राज्य सरकार द्वारा वैदिक विश्व वद्यालय की स्थापना के लिये विधिवत स्वीकृति प्रदान करने पर संस्थान की ओर से मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे, उच्च शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी, नगरीय विकास मंत्री श्रीचन्द कृपलानी, चिकित्सा मंत्री कालीचरण सर्राफ सहित राज्य के सभी मंत्रियों, विधायकों, उच्च शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों, अन्य जनप्रतिनिधियों तथा संस्थान को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से योगदान करने वाले सभी महानुभावों के प्रति कृतज्ञता के साथ आभार प्रकट किया गया है।***


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