GMCH STORIES

“राष्ट्रोन्नति के लिये वैदिक चिन्तन आवश्यक: प्रो0 डा0 महावीर”

( Read 5135 Times)

18 Jun 22
Share |
Print This Page
“राष्ट्रोन्नति के लिये वैदिक चिन्तन आवश्यक: प्रो0 डा0 महावीर”

    अध्यात्म पथ मासिक पत्रिका द्वारा ऑनलाइन जूम पर अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आर्य विद्वान आचार्य चन्द्रशेखर शास्त्री के संयोजन व संचालन में आयोजित चतुर्दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वेद सम्मेलन का आयोजन किया गया। ’पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार’ के प्रति-उपकुलपति मुख्यवक्ता प्रो0 डा0 महावीर अग्रवाल जी ने कहा कि वेदों में राष्ट्रोन्नति का चिन्तन वेदों के दीवाने ऋषिवर दयानंद ने सर्वप्रथम देश, राष्ट्र, भाषा तथा संस्कृति के उत्थान के लिये प्रदान किया था। वेदों के इसी चिन्तन के कारण भारतमाता की रक्षा के लिए लाखों देशवासियायें ने बलिदान देकर देश को सुरक्षित रखा ।

            प्रो. अग्रवाल ने कहा कि ऋषिवर दयानन्द ने पाखण्ड-खण्डनी पताका फैहराते हुये भारत की स्वतन्त्रता के लिए महारानी लक्ष्मीबाई व सैकड़ों की संख्या में देशभक्त वीरों को वैदिक चिन्तन की प्रेरणा देते हुये राष्ट्रवादी विचारधारा व भावनाओं से ओतप्रोत किया था। वेद रूपी सरोवर में अनेकों मंत्रों में राष्ट्र-प्रेम भरा पड़ा है। ऋषिवर दयानन्द व उनके अनुयायी देशभक्त स्वतन्त्रताप्रेमियों ने राष्ट्र कल्याण का जो स्वप्न देखा था वह वेदों के चिन्तन व उनके प्रचार व क्रियान्वयन से ही सफल हुआ ।

    द्रोणस्थली कन्या गुरूकुल, देहरादून की आचार्या श्रद्धांजलि व गुरूकुल गौतम नगर, दिल्ली के ब्रह्मचारियों द्वारा वेदमंत्रों के पाठ से कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। आर्य विदुषी उर्मिला आर्या जी ने 50 आर्य बहनों के साथ दीप प्रज्जवलित करके अन्तर्राष्ट्रीय वेद सम्मेलन का विधिवत शुभारंभ किया। आर्य जगत के सुविख्यात तपोनिष्ठ स्वामी प्रणवानंद सरस्वती जी व अन्तर्राष्ट्रीय वैदिक विद्वान डा0 तुलसी राम शर्मा जी (कनाडा) ने अपने आशीर्वचनों से वेदज्ञान को घर-घर पहुचाने का आह्वान किया ।

    मुख्य अतिथि के रूप में सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, दिल्ली के मंत्री प्रो. विट्टठल राव जी व अन्तर्राष्ट्रीय विद्वान डा0 उदय नारायण गंगू जी (मौरिशस) ने वेद सम्मत सार्वभौमिक चिन्तन पर प्रकाश डाला। सारस्वत अतिथि विद्वतवरेण्य नरदेव यजुर्वेदी, डा0 अशोक आर्य व दैनिक जागरण बरेली के पूर्व सम्पादक चन्द्र कान्त त्रिपाठी जी ने वेद के राष्ट्रीय चिन्तन पर अपना मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा वेद भारतीय चिंतन तथा भारतीय संस्कृति का मूल आधार है।

    वेदों के चिन्तन के साथ भजन सम्राट नरेन्द्र आर्य सुमन, सुश्री श्रुति सेतिया, पं रमेश चन्द्र कौशिक, सुश्री स्वर्णा सेतिया, श्री संजय सेतिया ने गीत-संगीत व भजनों से मन्त्रमुग्ध कर दिया । युवाकवि विनय शुक्ल विनम्र द्वारा काव्यपाठ किया गया।

    विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री यशपाल आर्य, श्री ललित चैधरी, श्रीमती सरोजनी जौहर, कनाडा व डा. त्यागी जी ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य राम तीर्थ शास्त्री जी ने की।

              बंगलौर के सुविख्यात समाजसेवी फकीरे दयानंद एस.पी. कुमार के सानिध्य में वेद सम्मेलन के गरिमामय वातावरण को सुशोभित किया। श्रीमती प्रेम हंस (आस्ट्रेलिया), गुरूदेव चातुरी (मारिशस), ज्ञान देव शर्मा, शशि सहगल, श्रीमती युक्ता लाल (कनाडा), डॉ. अजय आर्य, प्रिं. अरूण आर्य, अश्विनी नांगिया, सूर्य कांत मिश्रा, मंजू वाधवा, रचना आर्या, रेणु त्यागी, अनुराग मिश्रा ,कल्याणी वर्मा, भावना आर्या, अवनीश मैत्रेयी ,प्रेम अरोडा आदि की गरिमामय उपस्थिति में कार्यक्रम सफल हुआ।

    कार्यक्रम के अंत में अध्यात्म पथ पत्रिका के संपादक आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री जी ने सभी का आभार प्रकट करते हुए एक कविता की कुछ पंक्तियों का पाठ किया। उन्होंने कहा ‘ज्ञान का सागर चार वेद ये वाणी है भगवान की, इसी से मिलती सब सामग्री जीवन के कल्याण की।’

    कार्यक्रम के अंत में आचार्य चंद्रशेखर शास्त्री जी ने कहा कि आज संपूर्ण विश्व द्वेष और प्रतिस्पर्धा की आग में झुलस रहा है। इस प्रतिकूल परिस्थिति में वेद मंत्र और वैदिक विचार ही विश्व को शांति का पाठ पढ़ा सकते हैं।
       -मनमोहन कुमार आर्य
पताः 196 चुक्खूवाला-2
देहरादून-248001
फोनः09412985121
 


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories : Chintan ,
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like