बाजार नियामक सेबी के बीएसईं को प्रीमियम मूल्य के बजाय उसके विकल्प अनुबंधों के कुल मूल्य के आधार पर शुल्क का भुगतान करने का निर्देश देने के बाद शेयर बाजार को अब अधिक नियामक शुल्क चुकाना पड़ सकता है। बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अलुबंध के कुल मूल्य (नोशनल वैल्यू) तथा प्रीमियम मूल्यों के बीच बड़े अंतर के कारण सेबी को बीएसईं के नियामक शुल्क भुगतान में वृद्धि होगी। एक्सचेंज को पिछले वर्षो के अंतर भुगतान को ब्याज सहित चुकाने को कहा गया है। बीएसईं के शुरआती आंकड़ों से पता चलता है कि एक्सचेंज को 165 करोड़ रपये के साथ जीएसटी का भुगतान पड़ सकता है। भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) के इस कदम के बाद बीएसईं का शेयर सोमवार को एनएसईं में 13.31 प्रतिशत तक गिरकर 2,783 रपये पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय करीब 19 प्रतिशत तक लुढ़क गया था। बीएसईं ने शुावार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसईं) को दी सूचना में कहा, बीएसईं को विकल्प अनुबंध के मामले में कुल मूल्य पर विचार करते हुए सेबी को वार्षिक कारोबार के आधार पर नियामक शुल्क का भुगतान करने की सलाह दी जाती है।