GMCH STORIES

साहित्यकार पुरुषोत्तम पल्लव की 21 वीं पुस्तक ‘मां शबरी’ का हुआ विमोचन

( Read 5796 Times)

14 May 24
Share |
Print This Page
साहित्यकार पुरुषोत्तम पल्लव की 21 वीं पुस्तक ‘मां शबरी’ का हुआ विमोचन


उदयपुर,  राजस्थान भाषा एवं संस्कृति अकादमी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. देव कोठारी ने कहा है कि राज्य के समृद्ध राजस्थानी साहित्य जगत में ‘मां शबरी’ पुस्तक तत्कालीन जनजातीय परिवेश, कला एवं संस्कृति का जीवंत प्रतिरूप है और इस प्रकार का साहित्य सृजन राजस्थानी साहित्य जगत को और अधिक परिपूर्ण कर रहा है।


 
डाॅ. कोठारी में उदयपुर के विज्ञान समिति सभागार में राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति अकादमी बीकानेर द्वारा आगीवाण सम्मान से विभूषित उदयपुर के वरिष्ठ साहित्यकार पुरुषोत्तम ‘पल्लव’ की 21 वीं पुस्तक ‘मां शबरी’ के विमोचन समारोह में बतौर अतिथि संबोधित कर रहे थे। 
इस मौके पर उन्होंने कहा ‘मां शबरी’ पुस्तक साहित्यकार पल्लव की 60 वर्षों की सृजन यात्रा और लंबे शोध का निचोड़ है। उन्होंने पल्लव की राजस्थानी साहित्य सृजन की सुदीर्घ यात्रा और इस पुस्तक की विषयवस्तु की तारीफ भी की।  
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में सुखाड़िया विश्विद्यालय के राजस्थानी विभागाध्यक्ष डॉ. सुरेश सालवी ने कहा कि मां शबरी पर मेवाड़ी में पहली बार लेखन हुआ है और साहित्यकार पल्लव ने इस पुस्तक में वर्षों से अनछुए पहलु पर अपनी शोधपरक दृष्टि डालकर लेखन किया है।  
बतौर अतिथि यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष और समाजसेवी रविन्द्र श्रीमाली ने साहित्यकार पल्लव के साहित्य सृजन कौशल की सराहना करते हुए कहा कि पल्लव की राजस्थानी और विशेषकर मेवाड़ी में अच्छी पकड़ा है। उन्होंने अपने सृजन में स्थानीय संस्कृति के विविध पक्षों का समावेश किया है। श्रीमाली ने कहा कि मातृक छंद में ‘मां शबरी’ पर काव्यात्मक सर्जना इस अंचल की राजस्थानी  साहित्य जगत को महत्वपूर्ण देन है।

 
विमोचन समारोह की अतिथि बप्पा रावल पत्रिका की संपादक डॉ. राधिका लड्ढा ने कहा कि वे लंबे समय से वनवासियों के मध्य वनवासी क्षेत्रों मंे काम कर रही हैं परंतु पहली बार वनवासी संस्कृति से संबद्ध विषय पर गूढ़ साहित्य लेखन देखने में आया है। उन्होंने पल्लव को इस अनछुए विषय पर अपनी लेखनी चलाने के लिए साहित्यकार पल्लव को बधाई दी।

 
समारोह में युगधारा के संस्थापक जयप्रकाश पंड्या ज्योतिपुंज ने काव्य पाठ किया व पुस्तक के सफल प्रकाशन की बधाई दी वहीं  लोक धरोहर के संस्थापक निदेशक दीपक दीक्षित ने पल्लव की पुस्तक ‘मां शबरी’ को आधार बनाकर नाट्य मंचन की अपनी प्रतिबद्धता दिखाई।

 
आरंभ में साहित्यकार पल्लव ने अपनी पुस्तक की विषयवस्तु के बारे में जानकारी दी। डाॅ. प्रियंका भट्ट की सरस्वती वंदना से प्रारंभ हुए इस समारोह में पुस्तक की समीक्षा युगधारा अध्यक्ष किरण बाला किरण ने की। कार्यक्रम का आकर्षक काव्यात्मक संचालन पल्लव के सुपुत्र और सनातनी साहित्यकार कपिल पालीवाल द्वारा किया गया।  


व्यक्तित्वों का हुआ सम्मान:
समारोह में अतिथियों द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार पुरुषोत्तम ‘पल्लव’ की 21 वीं पुस्तक ‘मां शबरी’ के सफल प्रकाशन के लिए शाॅल ओढ़ाकर और पुष्पहार पहना कर अभिनंदन किया गया। इसी प्रकार कला व संस्कृति जगत से जुड़े संस्थान लोकधरोहर की ओर से साहित्य और कला से जुड़े 30 व्यक्तित्वों का सम्मान भी किया गया। इस अवसर पर साहित्यकार प्रमोद सनाढ्य, त्रिलोकी मोहन पुरोहित, राधेश्याम सरावगी, माधव दरक, तरुण दाधीच, महासचिव डॉ. सिम्मी सिंह, प्रकाश तातेड़, डाॅ. निर्मल गर्ग, धरोहर के को-फाउंडर कीर्ति दीक्षित, शिल्पकार हेमंत जोशी सहित उदयपुर, नाथद्वारा, कांकरोली एवं अन्य कई शहरों के साहित्यकार और कलाप्रेमी मौजूद रहे।


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like