उदयपुर। भूपाल नोबल्स विश्वविद्यालय की कन्या इकाई में अर्न एंड लर्न की थीम पर कार्निवाल (मेले) का आयोजन बीएन कन्या इकाई के परिसर में हुआ। जहां मेलार्थियों के जोश, उमंग, मस्ती, रोमांचक खेलों और स्वादिष्ट भारतीय पारंपरिक व्यंजनों, चाटमसालों के जायके सभी को आनन्द रस से सराबोर कर रहे थे। विद्यार्थियों में मेले को लेकर खासा उत्साह दिखाई दिया। कार्निवाल का उद्घाटन विश्वविद्यालय के चैयरपर्सन एवं विद्या प्रचारिणी सभा के कार्यवाहक अध्यक्ष प्रो कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत, विद्या प्रचारिणी सभा के मंत्री डाॅ. महेन्द्र सिंह राठौड़, भूपाल नोबल्स संस्थान के प्रबंध निदेशक श्रीमान् मोहब्बत सिंह राठौड़ आदि ने फीता खोलकर किया। प्रो कर्नल शिवसिंह सारंगदेवोत ने विद्यार्थियों को उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों के लिए लाभदायक होते हैं। इसके माध्यम से विद्यार्थी बाजार की मांग और पूर्ति जैसी अवधारणाओं को भी समझ सकने में समर्थ हो सकेगे। वे विद्यार्थी जो मेले जैसी संकल्पनाओं से परिचित नहीं है उन्हें मेले में बिक्री संबंधी तथ्यों से परिचित हो सकेंगे। विद्यार्थी मेले का आनन्द भी ले पायेंगे। उन्होंने कहा कि आज का समय अपनी प्रतिभाओं को दिखाने का समय है। ऐेसे मंच विद्यार्थी को एक बेहतर मंच उपलब्ध कराते हैं। उन्होंने शुभकमनाएं देते हुए कहा कि इस प्रकार के मेले का आयोजन प्रतिवर्ष किया जाना चाहिए और इसके स्तर को भी वृहद किया जाना चाहिए। डाॅ. महेन्द्र सिंह राठौड़ ने कहा कि वर्तमान की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों को व्यावसायिक कौशल के साथ आत्मनिर्भर बनने का अवसर प्रदान करते हैं। श्रीमान् मोहब्बत ंिसंह राठौड़ ने कहा कि संस्थान विद्यार्थियों में व्यावहारिक दक्षता से सक्षम बनाने के लिए कृतसंकल्प है। इस प्रकार के आयोजनों से विद्यार्थियों में आत्मविश्वास प्रबल होता है। लकी ड्रा के परिणामों की घोषणा करते हुए कुलचिव डाॅ. निरंजन नारायण सिंह राठौड़ ने कहा कि मेले में विद्यार्थियों का उत्साह काबिले तारीफ है। इस प्रकार के आयोजन स्वरोजगार की प्रवृत्ति का विकास करते हैं। आगे भी इस प्रकार के आयोजनों की निरंतरता बनी रहनी चाहिए। महाविद्यालय अधिष्ठाता डाॅ शिल्पा राठौड़ ने बताया कि विद्यार्थियों में अपनी स्वनिर्मित वस्तुओं के विपणन की कला को विकसित करने के उद्देश्य से यह मेला आयोजित किया गया है। आज बदलते समय के साथ यह आवश्यक हो जाता है कि हम अपने उत्पादों को किस तरह से बेचें। इसी उद्देश्य को लेकर कमाओ और सीखो की थीम पर इस मेले का आयोजन किया गया है। यह नवाचार किया गया है। जिसमें विद्यार्थियों का अतिउत्साह देखने योग्य है। आगे भी इस तरह के मेले को विशाल स्तर पर आयोजित करने की परिकल्पना है। विद्यार्थियों ने भी उत्साह के साथ तैयारियां की हैं और वे अपने हुनर से निर्मित उत्पादों को बेचने के लिए लालायित भी दिखाई दिए। कहीं राब का धुआं सर्दी को मात दे रहा था तो कहीं चाट की खुशबू मेलार्थियों को अपनी ओर खींच रही थी। गोलगप्पे खाने की आतुरता लम्बी लाइनों से पता चल रही थी। कही रेजिन की कलाकृतियां थीं तो कहीं धागों से बने उत्पाद भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रहे थे। मेला अपने पूरे परवान पर चढ़ा हुआ था। कोई खेल में अपनी चतुराई दिखा रहा था तो कोई अपने रुपये वसूल होने पर प्रसन्न हो रहा था। मेला संयोजक डाॅ. कंचन राठौड़ व डाॅ. लोकेश्वरी राठौड़ ने बताया कि चालीस से अधिक स्टाॅल विद्यार्थियों ने लगाई है। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य विद्यार्थियों के आत्मविश्वास को मजबूती प्रदान करने के साथ एक मंच प्रदान करना है जिससे ये विद्यार्थी आगे भविष्य में वृहद् स्तर पर अपने हुनर को बिक्री के लिए तैयार कर सकें व उन्हें बेच सके। मेले में विभिन्न संकायों और विभागों के द्वारा अपने स्टाॅल लगाये गये हैं। मेले में लकी ड्रा भी निकाला गया। मेले के सफल आयोजन में संकाय सदस्यों एवं विद्यार्थियों का सहयोग रहा।