GMCH STORIES

तेजस्विता के आधार पर बढ़ता है महत्व - आचार्य महाश्रमण

( Read 12368 Times)

13 Oct 21
Share |
Print This Page
तेजस्विता के आधार पर बढ़ता है महत्व - आचार्य महाश्रमण

आदित्य विहार, तेरापंथ नगर, भीलवाड़ा (राजस्थान)महातपस्वी, दिव्य दिवाकर परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी चतुर्विध धर्मसंघ के साथ तेरापंथ नगर में पावन चातुर्मास करा रहे है। गुरुवर की सन्निधि में श्रावक समाज भी आध्यात्मिक, धार्मिक लाभ प्राप्त कर रहा है।

जैन वांगमय पर आधारित ठाणं प्रवचनमाला में महातपस्वी आचार्य श्री महाश्रमण ने अमृत देशना देते हुए कहा कि दुनिया में  शक्ति, तेजस्विता का महत्व होता है। व्यक्ति या वस्तु का आकार में छोटा या बड़ा होना महत्वपूर्ण नहीं होता है जितना शक्ति के आधार पर महत्व होता है। हाथी चाहे कितना ही विशालकाय प्राणी है परन्तु एक छोटा सा अंकुश उसको नियंत्रण में कर लेता है। सघन अंधकार व्यापक होने पर भी दीपक की रोशनी उस अंधकार को नष्ट कर देती है। छोटे बड़ो को भी नियंत्रण में कर लेते है। बड़े होने का नहीं तेजस्विता का महत्व है। साधु को महान कहा गया है क्योंकि वे धर्मोपदेश देते है। कोई-कोई को साधना द्वारा तेजोलब्धि भी प्राप्त हो जाती है।

आचार्यवर ने आगे फरमाया कि जिसके पास तेज है वह लब्धि विशिष्ट है। तेजस्विता किसी के विनाश का कारण न बने ऐसा प्रयास करना चाहिए। नवरात्रि के आध्यात्मिक पर्व अनेक साधक मंत्र आदि की साधना भी करते है। यह ध्यान रहे कि यंत्र, तंत्र  और मंत्र द्वारा किसी का अहित न हो, व्यक्ति को तंत्रमंत्र विद्या के दुरपयोग से बचना चाहिए। मंत्र जाप आदि आत्मा की शुध्दता के लिए होने चाहिए।

 

 


Source :
This Article/News is also avaliable in following categories :
Your Comments ! Share Your Openion

You May Like