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’’बी.टी. कपास फसल में कीट व रोग का निदान कैसे करे’’

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30 Jun 20
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’’बी.टी. कपास फसल में कीट व रोग का निदान कैसे करे’’

भीलवाडा / जिले में बी.टी. कपास की बुवाई लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। बी.टी. कपास की फसल में कीट एवं रोग का आक्रमण अन्य फसलों से अधिक रहता हैं। ऐसे में किसान भाई को इनके नियंत्राण के उपाये समय पर कर लेना चाहिए।
उप निदेशक कृषि एवं पदेन परियोजना निदेशक (आत्मा) डाॅ. जी.एल. चावला ने बताया कि उखठा एवं जड़ गलन रोग की रोकथाम के लिए डाईथेन एम 45 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिडकाव करें। अगर रोग का प्रकोप अधिक हो तो वहा 10 किलोग्राम ट्राईकोडर्मा प्रति हेक्टर की दर से 200 किलों ग्राम गोबर खाद के साथ मिलाकर खेत में डाले। ब्लैक आर्म रोग के निदान के लिए खडी फसल में 10 लीटर पानी में 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन तथा 25 ग्राम कोपर आॅक्सीक्लोराईड का घोल बना कर छिड़काव करें। अगर आवश्यक हो तो 10 दिन बाद दूसरा छिड़काव भी कर सकते हैं। रसचूसक कीट के लिए 1 लीटर प्रति हेक्टर मोनोेक्रोटोफास्प 36 एस. एल. या 0.2 मिली ईमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।  मिलीबग कीट के लिए 1 लीटर प्रति हेक्टर डाईमिथोएट 30 ई.सी. की दर से छिड़काव करें।
तम्बाकू की लट पत्तियों के निचले समूह पर अपने अण्डे देती हैं। बड़ी होने पर यह फसल को नुकसान पहुचाती हैं। ऐसे में किसान भाई पत्तियों की नीचे वाली सतह इकट्टा हुए अण्डों के समूह नष्ट कर देवें। इसके नियंत्राण के लिए क्योनोलफाॅस्प 20 ई.सी. 2 मिली लीटर पानी एवं क्लोरोपाईरिफास्प 20 ई.सी. 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें।        


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