बाड़मेर। मां भगवती गौषाला एवं गौ विज्ञान केन्द्र नींबड़ी के तत्वावधान में नींबड़ी माता जी मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस गुरूवार को कथा में अमर कथा और सुक्रदेवजी के जन्म का वृतांत का विस्तार से वर्णन किया गया। कथा वाचक संत मोहित नागर ने कथा की शुरुआत करते हुए कहा कि आप सब पर ठाकुर जी की कृपा है। जिसकी वजह से आप आज कथा का आनंद ले रहे है। श्रीमद भगवत कथा का रसपान कर पा रहें हैं क्योंकि जिन्हें गोविन्द प्रदान करते है जितना प्रदान करते है उसे उतना ही मिलता है। कथा में यह भी बताया की अगर आप भागवत कथा सुनकर कुछ पाना चाहते हैं, कुछ सीखना चाहते है तो कथा में प्यासे बन कर आए। कुछ सीखने के उद्देश्य से, कुछ पाने के उद्देश्य से आएं तो ये भागवत कथा जरूर आपको कुछ नहीं बल्कि बहुत कुछ देगी। मनुष्य का जीवन सांसारिक भोग में नही कृष्ण भक्ति में बिताएं। मनुष्य जीवन विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है, लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है। उसका सारा ध्यान संसारिक विषयों को भोगने में ही लगा हुआ है। मानव जीवन का उद्देश्य कृष्ण प्राप्ति शाश्वत है। उन्होंने कहा कि हमारे जीवन का उद्देश्य कृष्ण को पाकर ही जीवन छोड़ना है और अगर हम ये दृढ़ निश्चय कर लेंगे कि हमें जीवन में कृष्ण को पाना ही है तो हमारे लिए इससे प्रभु से बढ़कर कोई और सुख, संपत्ति या सम्पदा नहीं है। उन्होंने कहा कि बिना जाति और बिना धर्म देखे इनसे आप जो मांगे आपको वो मनवांछित फल देती है और अगर कोई कुछ न मांगे तो उसे मोक्ष पर्यन्त तक की यात्रा कराती है। कथा के यजमान खरथाराम चौधरी ने गणपति पीठ पूजन, व्यास पूजन करते हुए कथा व्यास का साफा पहनाकर अभिनंदन किया। इसी क्रम में अर्जुन शर्मा, रामेश्वर प्रसाद, राम किशोर बिन्दल, राऊ राम चौधरी, भेरसिंह राजपुरोहित, डाक्टर रामकुमार जोशी ने कथा व्यास का माल्यार्पण करते हुऐ आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम अध्यक्ष ओम प्रकाश मेहता ने बताया कि इस अवसर पर पुरुषोत्तम गुप्ता, जुगल किशोर गुप्ता, ओमप्रकाश चंडक, नारायण दास राठी, पुखराज तापड़िया, चेलाराम सिंधी, सुशीला मेहता, नर्बदा गुप्ता, शोभा मुंदडा, संगीता गुप्ता, साध्वी अनु सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। मिडिया प्रभारी किशन गौड़ ने बताया कि मंच व्यवस्था किशोर शर्मा, महेश सुथार, उगमराज जांगिड़, पुजारी निम्बाराम, बांकसिंह राजपुरोहित ने संभाली।