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मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान 22 जुलाई से

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13 Jul 19
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मीजल्स-रूबेला टीकाकरण अभियान 22 जुलाई से

बांसवाड़ा / जिला कलक्टर आशीष गुप्ता ने जिले के सभी अभिभावकों से आगामी 22 जुलाई से प्रारंभ मीजल्स-रूबैला टीकाकरण अभियान के अन्तर्गत अपने 9 माह से 15 वर्ष तक के बच्चों को टीके लगवाने की अपील की है।
जिला कलक्टर ने बताया कि मीजल्स टीकाकरण अभियान के अन्तर्गत जिलेभर में 5,80,000 बच्चों को मीजल्स-रूबैला टीकाकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके तहत अभियान में प्रारंभिक 2 सप्ताह में सभी सरकारी एवं निजी विद्यालयों, मदरसों इत्यादि में 9माह से 15 वर्ष तक के बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा वहीं आगामी दो सप्ताह में शहरी क्षेत्रों के स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों का आंगनवाड़ी केन्द्रो एवं आउडरीज स़़़त्रों पर टीकाकरण किया जाएगा।
गुप्ता ने समाज के सभी वर्गों से अपील की है कि हमारा दायित्व बनता है कि अपने बच्चों के साथ-साथ अपने आसपास रहने वाले बच्चों के माता-पिता को इस अभियान के संबंध में अवगत कराएं व निराश्रित बच्चों का भी टीकाकरण करवाकर जिले को इस अभियान के सफल संचालन में अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करें। उन्होंने आशा व्यक्त की है कि मीजल्स-रूबैला अभियान में सभी का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा, जिसके फलस्वरूप बांसवाड़ा जिले में अभियान के लक्ष्य की शत-प्रतिशत प्राप्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।
ज्ञातव्य है कि खसरा जानलेवा एवं तीव्र गति से फैलने वाला अति संक्रामक रोग है। यह रोग प्रभावित रोगी द्वारा खांसने एवं छींकने से स्वस्थ बच्चों में फैलता है। खसरा रोग के दुष्प्रभाव से बच्चों में निमोनिया, दस्त एवं मस्तिष्क से संक्रमण जैसी घातक बीमारियां उत्पन्न होने का अंदेशा रहता है तथा ये बीमारियां नवजात शिशु एवं बच्चों की मृत्यु का प्रमुख कारण बन सकता है। इस कारण प्रतिवर्ष 50 हजार बच्चे अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। 
इसी प्रकार रूबेला वायरस से गर्भावस्था के प्रारंभ में संक्रमित होने की संभावना बनी रहती है, जिससे गर्भवती माताओं के गर्भपात एवं बच्चे के मृत जन्म की संभावनाएं बढ़ जाती है। यदि बच्चा जन्म लेता है तो वह जन्म से ही बहरापन, अंधापन, हृदय की बीमारियों से ग्रसित होता है। यह विचारणीय है कि प्रतिवर्ष जन्मजात रूबेला सिंड्रोम से 48 हजार बच्चे प्रभावित होते हैं। इन दोनो रोगों से बचाव का एक सशक्त माध्यम मीजल्स-रूबेला का टीका है। यदि इसका टीकाकरण बचपन में ही करा लिया जाए तो इसके प्रसार एवं गंभीर खतरों से उसको रोका जा सकता है। इन खतरों की रोकथाम हेतु यह अभियान 22 जुलाई-2019 से प्रारंभ किया जाएगा।
 


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