अजमेर ३१ जनवरी। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के ८१० वें सालना उर्स की परम्परागत मजहबी रसूमात चांद दिखने के साथ ०२ फरवरी या ०३ फरवरी से शुरू हो जाऐंगी जिनकी सदारत ख्वाजा साहब के वंशज एवं सज्जादानशीन दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान साहब परम्परागत रूप से करेंगे। इसके बाद ही उर्स की औपचारिक शुरूआत मानी जाऐगी।
दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख सज्जादानशीन, (दरगाह दीवान साहब) के सचिव एस. ए. चिश्ती ने ८१० वें उर्स का कार्यक्रम जारी करते हुऐ बताया कि ०२ फरवरी या ०३ फरवरी को चांद दिखने के बाद दरगाह स्थित महफिल खाने में उर्स की पहली महफिल होगी महफिल खाने में आयोजित यह रस्म उर्स में होने वाली प्रमुख धार्मिक परम्परागत रस्मों में से एक प्रमुख रस्म है। सज्जादानशीन, साहब (दरगाह दीवान साहब) परम्परा के अनुसार इसकी सदारत करेंग।
महफिल के दौरान मध्य रात्री सज्जादानशीन दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान, साहब उर्स के दौरान ख्वाजा साहब के मजार पर आयोजित होने वाली गुस्ल की प्रमुख रस्म करने आस्ताना शरीफ में जाऐंगे जहां उनके द्वारा मजार शरीफ को केवडा व गुलाब जल से गुस्ल दिया जाकर चंदन पेश किया जाऐगा। गुस्ल की यह धार्मिक रस्म ६ रजब तक निरंतर जारी रहेगी। इसी प्रकार महफिल खाने में महफिले समा छः रजब यानी कुल के दिन तक बदस्तूर जारी रहेगी।
५ रजब को सुबह ०९ः३० बजें बसंत मनाई जायेगी जिसमे निजाम गेट से बसंत के फूलो के गडवे के साथ सज्जादानशीन साहब की सदारत में दरगाह के कव्वाल बसंत के कलाम पढते हुए आस्ताने शरीफ तक जायेगे जहां पर सज्जादानशीन साहब बसंत के फूल ख्वाजा साहब की मजार शरीफ पर पेश करेंगे।
उन्होने बताया कि ५ रजब को दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान साहब की सदारत में ही खानकाह शरीफ (ख्वाजा साहब के जीवन काल में उनके बैठने का स्थान) में दोपहर ३ बजे कदीमी महफिले समा होगी जो शाम ६ बजे तक चलेगी जिसमें देशभर की विभिन्न प्रमुख दरगाहों के सज्जादानशीन एवं धर्म प्रमुख भाग लेंगे महफिल के बाद यहां विशेष दुआ होगी और सज्जादनशीन साहब दस्तूर के मुताबिक देश के समस्त सज्जादगान की मोजूदगी में गरीब नवाज के ८१० वे उर्स की पूर्व संध्या पर खानकाह शरीफ (मठ) (जहां गरीब नवाज अपने जीवन काल में उपदेश दिया करते थे) से मुल्क की अवाम व जायरीने ख्वाजा के नाम संदेश (दुआनामा) जारी करेंगे।
उर्स के समापन की रस्म कुल की रस्म के रूप में ६ रजब ०८ फरवरी या ०९ फरवरी को होगी जिसके तहत प्रातः महफिल खानें में कुरआन ख्वानी की जाकर ११ बजे कुल की महफिल का आगाज होगा और कव्वालों द्वारा रंग और बधावा पढा जाऐगा तथा दोपहर १ बजे फातेहाखां द्वारा फातेहा पढी जाऐगी यहां सज्जादानशीन (दरगाह दीवान साहब) को खिलत पहनाया जाकर दस्तारबंदी की जाऐगी। महफिल खाने से दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान अपने परिवार के साथ आस्ताने शरीफ में कुल की रस्म अदा करने जाऐंगे वे जन्नती दरवाजे से आस्ताना शरीफ में प्रवेश करेगे उनके दाखिल होने के बाद जन्नती दरवाजा बंद कर दिया जाऐगा। आस्ताने में कुल की रस्म होगी जिसमें फातेहा होगी ओर सज्जादानशीन (दरगाह दीवान साहब) की दस्तारबंदी की जाएगी दीवान सैय्यद जैनुल आबेदीन अली खान आस्ताने से खानकाह शरीफ जाऐंगे जहां कदीम रस्म के मुताबिक अमला शाहगिर्द पेशां ( मौरूसी अमले ) सहित देश भर की दरगाहों से आऐ सज्जादगान एवं धर्म प्रमुखों की दस्तारबंदी करेंगे।
कुल की रस्म के बाद देशभर से आऐ फुकरा (फकीर) दागोल की रस्म अदा करगे जिनके सरगिरोह की दस्तारबंदी भी सज्जादानशीन (दीवान साहब) द्वारा की जाऐगी। कुल की रस्म के साथ गरीब नवाज के ८१० वें उर्स का ओपचारिक रूप से समापन हो जाऐगा।