संस्कृतोत्सव के अंतर्गत श्री पौर्णमासेष्टि यज्ञ का विधिवत किया शुभारंभ

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11 Aug 25
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संस्कृतोत्सव के अंतर्गत श्री पौर्णमासेष्टि यज्ञ का विधिवत किया शुभारंभ

श्रीगंगानगर, श्री धर्मसंघ संस्कृत महाविद्यालय, श्रीगंगानगर के परिसर में संस्कृतोत्सव के अंतर्गत रविवार को पौर्णमासेष्टि यज्ञ का शुभारंभ विधिवत रूप से किया गया। इस पावन अवसर पर परमादरणीय डॉ. ओंकार यशवंत सेलुकर अग्निहोत्री (सपत्नीक) सहायकाध्यापक (श्री लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली) ने तथा ऋत्विजों के रूप में केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के छात्रों ने वहां के वेद विभाग के अध्यापक श्री अंकुर वत्स जी के मार्गदर्शन में अध्वर्यु-हिमांशु पाण्डेय, ब्रह्मा, आदित्य बुडाकोटी, होता, अभिषेक गौड तथा अग्नीध्र,रतनदीप शुक्ल ने किया, यज्ञ के माध्यम से वैदिक जीवनचर्या की वैज्ञानिक महत्ता पर प्रकाश डाला।
 डॉ. सेलुकर ने अपने उद्बोधन में कहा कि यज्ञ केवल धार्मिक क्रिया न होकर मानव, प्रकृति और ब्रह्मांड के मध्य संतुलन स्थापित करने का एक वैज्ञानिक साधन है। वैदिक परंपराओं में निहित गूढ़ ज्ञान आज के युग में भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना प्राचीन काल में था। इस आयोजन में तीन अग्नि श्रोताग्नि, सभ्याग्नि तथा गृहाग्नि का अरणी मंथन कर अग्नि प्रज्वलित की गई अवसर पर अनेक विद्वानों की गरिमामयी उपस्थिति रही। विशेष रूप से ब्रह्मचारी कल्याण स्वरूप, आचार्य अंकुर वत्स (देवप्रयाग), आचार्य अनुज वत्स जी (दिल्ली), वैदिक विद्वान श्री जितेंद्र शुक्ला, महाविद्यालय के प्राचार्य श्री मुकुंद त्रिपाठी, श्री कार्तिकेय ओझा तथा आचार्य अंगद शास्त्री जी की उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और भी बढ़ा दिया।
 यज्ञ का संचालन वैदिक विधि-विधान से किया गया, जिसमें वेदमंत्रों के सस्वर उच्चारण से सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठा। प्रबंधक ब्रह्मचारी कल्याण स्वरूप ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन न केवल छात्रों में आध्यात्मिक चेतना जागृत करते हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति की जड़ों से जोड़ने का कार्य भी करते हैं। 


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