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23वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक किसानों के नवाचारों को लेब में रिफाइण्ड कर देशभर में पहुंचाएंः डॉ. राजबीर

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27 Jul 25
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23वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक  किसानों के नवाचारों को लेब में रिफाइण्ड कर देशभर में पहुंचाएंः डॉ. राजबीर


उदयपुर,  कृषि वैज्ञानिक, प्रसार एवं किसान यदि एक साथ मिलकर काम करे तो कृषि  के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा सकता है। सही मायने में किसान ही देश का सच्चा व अच्छा वैज्ञानिक है क्योंकि खेत पर आने वाली दिक्कतों के समाधान के लिए वह दिन-रात दिमाग लगाकर कोई न काई जुगाड़ कर ही लेता है। किसानों के इन नवाचारों को केप्चर कर लैब में लाकर रिफाइण्ड करें और कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से देशभर में पहुंचाएं ताकि सभी किसानों को लाभ मिल सके। उपमहानिदेशक (प्रसार) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली डॉ. राजबीर सिंह ने शनिवार को यहां आयोजित 23वीं प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक को बतौर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए यह बात कही।
प्रसार शिक्षा निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय सभागार में आयेाजित इस वार्षिक बैठक में विश्वविद्यालय से संबद्ध आठों कृषि विज्ञान केन्द्र क्रमशः भीलवाड़ा प्रथम, द्वितीय, डूंगरपुर, चिŸाौड़गढ़, उदयपुर-द्वितीय, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, राजसमन्द के प्रभारी, इफ्को प्रतिनिधियों व किसानों में भाग लिया।
डी.डी.जी. (प्रसार) डॉ. सिंह ने कहा इसका सबसे बड़ा प्रमाण 29 मई से 12 जून तक देशभर में चलाया गया विकसित कृषि संकल्प अभियान है। अभियान में देशभर में कार्यरत केन्द्र व राज्य की कृषि में कार्यरत संस्थाएं, कृषि विभाग और कृषि विज्ञान केन्द्रों ने सामूहिक प्रयासों से 1.35 करोड़ किसानों तक पहुंच बनाई और किसानोपयोगी योजनाओं से अवगत कराया। अभियान में राजस्थान का योगदान अकल्पनीय रहा। देश में 12 करोड़ किसान है। राजस्थान ने एक पखवाड़े के अभियान में दो लाख महिलाओं सहित 08 लाख किसानों से न केवल संवाद किया बल्कि योजनाओं की जानकारी भी दी।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में देश में 731 केवीके कार्यरत है। सभी केवीके को आत्माावलोकन व अध्ययन करना होगा कि उनकी उपस्थिति से किसान, उनके परिवार या बच्चों की जीवनचर्या में क्या बदलाव आए? भविष्य में हर कृषि विज्ञान केन्द्र को मिनी विश्वविद्यालय के रूप में तैयार करने की दिशा में प्रयास करने होंगे। केवीके भविष्य में ’हब ऑफ एक्टीविटी’ का केन्द्र बने ताकि किसानों को एक ही छत के नीचे सारी जानकारी और सुविधा मिल सके। जलवायु परिवर्तन के दौर में नवीन तकनीकों के साथ-साथ कंटीजेंसी प्लान पर भी काम करना होगा।
उन्होंने कहा कि 1984 में कृषि मंत्रालय के अस्तित्व का विस्तार करते हुए 08 मंत्रालयों यथा जलशक्ति, फर्टिलाइजर, ग्रामीण विकास, पशुपालन, फूड प्रोसेसिंग में बांट दिया गया जबकि ये सभी कृषि की ही शाखाएं है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलगुरू एवं कुलपति एमपीयूएटी डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि खाद्यान्न उत्पादन पर खूब काम हो गया। अब तो भण्डारण तक में परेशानी आने लगी है। कृषि वैज्ञानिकों व किसानों का ध्यान अब दलहन-तिलहन उत्पादन की ओर होना चाहिए ताकि खाद्य तेलों के मामले में हम आत्मनिर्भर बन सके।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024-25 के तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार भारत का खाद्यान उत्पादन लगभग 354 मिलियन टन रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 6.5-6.6 प्रतिशत अधिक है। उद्यानिकी उत्पादन 362 मिलियन टन, दुग्ध उत्पादन रिकॉर्ड 239.3 मिलियन टन व अंडा उत्पादन में रिकॉर्ड स्थापित कर चुका है। कृषि में रसायनों के उपयोग को कम करने के लिए प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा देना होगा जो उत्पादन में निश्चितता ला सकती है।
उन्होंने कहा कि एमपीयूएटी को समग्र कार्य में उत्कृष्टता के लिए राजस्थान के राज्य विŸा पोषित विश्वविद्यालयों में से 24 जून, 2022 को ’’प्रथम कुलाधिपति पुरस्कार’’ प्राप्त हुआ। एमपीयूएटी को विश्वविद्यालय सामाजिक उŸारदायित्व के निर्वहन के लिए माननीय राज्यपाल की ’’स्मार्ट विलेज पहल’’ के तहत् भी समस्त राज्य विŸा पोषित विश्वविद्यालयों में सर्वश्रेष्ठ घोषित किया गया था।
विगत वर्षों में एमपीयूएटी ने अन्तर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय व प्रादेशिक स्तर पर प्रतिष्ठित संस्थाओं की सहभागिता से शिक्षण और अनुसंधान में उत्कृष्टता लाने के लिए 81 समझौतों के ज्ञापन किये गए हैं। इनमें से 33 पिछले ढाई वर्ष में हुए हैं। खासकर वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया), सेंट्रल लुजॉन विश्वविद्यालय (फिलीपीन्स), भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के अनेक राष्ट्रीय संस्थान, विश्वविद्यालय, औद्योगिक प्रतिष्ठान आदि सम्मिलित हैं।
हमारी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की वर्ष 2021 रैंकिंग 15 है तथा इस रैंकिंग में हम राजस्थान प्रदेश के 6 कृषि व पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों में एमपीयूएटी प्रथम स्थान पर हैं। वर्तमान में हमारा शोध तंत्र भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की 27 अखिल भारतीय अनुसंधान परियोजनाओं, 3 नेटवर्किंग परियोजनाओं, 6 स्वैच्छिक केन्द्रों, 11 अन्य प्रोयाजित परियोजनाओं, 5 आरकेवीवाई तथा 45 निजी विŸा पोषित परियोजनाओं से युक्त है। हमारे शोध वैज्ञानिकों द्वारा विगत तीन वर्षों में कृषक उपयोग 280 सिफारिशों को कृषि विभाग द्वारा संभागीय पैकेज ऑफ प्रैक्टिसेज में सम्मिलित किया गया।

हाईटेक एग्रीकल्चर, कृषि पर्यटन पर जोर

विशिष्ट अतिथि प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक डॉ. चन्देशवर तिवारी ने कहा कि वर्तमान में सभी की निगाहें केवीके पर है। आदिवासी क्षेत्रों में इनोवेशन की अपार संभावनाएं है। उन्होंने राय दी कि प्रसार शिक्षा निदेशालयों को सर्टिफिकेट, डिप्लोमा कोर्स कराने चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा युवाओं को कृषि से जोड़ा जा सके।
निदेशक अटारी-जोधपुर डॉ. जे.पी. मिश्रा ने कहा कि अब समय कम रसायन वाली खेती, प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण पर ध्यान देने का है। केवीके इसमें विशेष भूमिका निभा सकते है। आरंभ में प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ. आर.एल. सोनी ने प्रसार शिक्षा परिषद् की बैठक 2024 में लिए गए निर्णयों की क्रियान्वयन रिपोर्ट प्रस्तुत की। साथ ही 2025 का प्रस्तावित एजेन्डा साझा किया। डॉ. सोनी ने कहा कि विकसित भारत 2047 के परिप्रेक्ष्य में कृषि विज्ञान केन्द्रों को और ज्यादा सुदृढ़ करना होगा। संरक्षित खेती, हाईटेक एग्रीकल्चर, जलवायु रेजीलेन्ट तकनीक, कृषि पर्यटन आदि क्षेत्रा में कार्य करने की योजना है।

प्रकाशनों का विमोचन

इस मौके पर अतिथियों ने विश्वविद्यालयों के विभिन्न प्रकाशनों विकसित कृषि संकल्प अभियान, फल-सब्जी प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्द्धन पर उद्यमिता विकास, प्राकृतिक खेती, किसानों की सेवा में प्रसार शिक्षा निदेशालय व राजस्थान खेती प्रताप के नवीन संस्करण का विमोचन किया।
कार्यक्रम में डॉ. अरविन्द वर्मा, डॉ. आर.बी. दुबे, डॉ. सुनील जोशी, डॉ. आर.ए. कौशिक, डॉ. लोकेश गुप्ता, डॉ. धृति सौलंकी, डॉ. मनोज कुमार महला, डॉ. एल.एल. पंवार और डॉ. आर.पी. मीना, सभी वरिष्ठ अधिकारी परिषद सदस्यों के अलावा केवीके प्रभारी मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन प्रो. डॉ. लतिका व्यास ने किया। आरम्भ में अतिथियों को मेवाड़ी साफा व स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

संवाद एवं अभिनन्दन समारोह

कार्यक्रम के दूसरे चरण में अनुसंधान निदेशालय सभागार में डी.डी.जी. (प्रसार) डॉ. राजबीर सिंह का संवाद एवं अभिनन्दन समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में छात्र कल्याण अधिकारी डॉ. मनोज कुमार महला एवं छात्रों ने डॉ. सिंह का मेवाड़ी साफा, उपरणा, पुष्पगुच्छ देकर अभिनन्दन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि विद्यार्थी जीवन से ही हमे इतनी मेहनत करनी होगी कि विश्व पटल पर इस विश्वविद्यालय का नाम स्वार्णाक्षरों में लिखा जाए। क्षेत्र कोई भी हो, खुदको तराशने से ही मंजिल मिलना संभव है। जब भी राजस्थान का जिक्र होता है तो एमपीयूएटी का नाम ही जेहन में आता है। कार्यक्रम में डॉ. कर्नाटक, पूर्व कुलपति डॉ. उमाशंकर शर्मा आदि ने ने भी विचार रखे।


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