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तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

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20 Sep 25
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तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

उदयपुर,  समाजसेवी, उद्यमी व अग्रणी कृषि रसायन कम्पनी धानुका एग्रीटेक के अध्यक्ष डॉ.  आर. जी. अग्रवाल ने कहा कि मौजूदा दौर में ‘थ्री एम‘ यानी मेज, मस्टर्ड और मूंग फसल प्रणाली पर ध्यान केन्द्रित किया जाए तो किसानों की आर्थिक उन्नति सुनिश्चित है। किसानों के लिए वर्षपर्यन्त एक ही जमीन पर लगातार तीन फसलें (मक्का, सरसों और मूंग) उगाने का एक कुशल तरीका है। यह प्रणाली कई लाभ प्रदान करती है, जिनमें फसल विविधिकरण, बेहतर भूमि उपयोग, किसानों की आय में वृद्धि, बेहतर पोषण सुरक्षा और पारंपरिक एकल-फसल प्रणालियों की तुलना में यह अधिक टिकाऊ कृषि पद्धति है।
अग्रवाल शनिवार को यहाँ राजस्थान कृषि महाविद्यालय के नूतन सभागार में बदलते कृषि परिदृश्य में सतत् पौध संरक्षण की उन्नति विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे। 
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, एन्टोमोलोजिकल रिसर्च एसोसियेशन एवं क्राॅप केयर फेडरेशन आॅफ इण्डिया, नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस सम्मेलन में देश के 18 राज्यों के 400 से ज्यादा कृषि वैज्ञानिकों, शोध विधार्थियों व कृषि से जुडे़ उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एमपीयूएटी के माननीय कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने की। 
डॉ.  अग्रवाल ने कहा कि हमारे देश का अन्नदाता किसान एक हैक्टेयर से जितना कमाता है, चीन का किसान तीन गुना कमाता है। कृषि वैज्ञानिकों को इसे चुनौती के रूप में स्वीकार करना होगा ताकि 2047 में विकसित भारत का सपना साकार हो, तब तक किसानों की आमदनी में अशातीत वृद्धि हो सके। 
सीमा पर विपरीत परिस्थितियों में जवान देश की रक्षार्थ तैनात है तो खेत में दिन-रात पसीना बहाकर देश का अन्नदाता जुटा हुआ है, तभी खाद्यान्न उत्पादन में हम न केवल आत्मनिर्भर है बल्कि निर्यात करने तक में सक्षम है। कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें अभी भी बहुत कुछ करने की प्रबल सम्भावनाएँ हैं। दुनिया का सबसे मेहनतकश किसान हिन्दुस्तान का है। उन्होंने कहा कि किसान को कीट विज्ञानी के बारे में कुछ नहीं पता, वह सिर्फ कीटों के संक्रमण का इलाज चाहता है। आज शोधकर्ता की बजाय व्यावसायिक वैज्ञानिकों की जरूरत है।
उन्होंने विकसित कृषि संकल्प अभियान के निष्कर्षों का जिक्र करते हुए बताया कि किसानों को उन्नत तकनीक का न मिलना, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में कमियाँ और बाजार में नकली खाद और कीटनाशक से किसानों को हानि होने की बात सामने आई थी। किसानों में अच्छी गुणवत्ता वाले बीज, बीज उपचार और पौध संरक्षण उपायों के बारे में जागरूकता लाने की जरूरत है। उन्होंने किसानों को जागरूक करने के लिए धानुका कंपनी द्वारा तैयार ‘‘जागो किसान जागो‘‘ विषयक वीडियो भी दिखाया। यह एक जागरूकता अभियान है जिससे देश के 14 करोड़ किसानों  को जोड़ा जायेगा। 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए माननीय कुलगुरू डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा कि सम्मेलन विशेष रूप से सतत् कृषि के अंतर्गत पौध संरक्षण की आधुनिक प्रौद्योगिकियों पर कारगर साबित होगा। वैज्ञानिकों ने तीन दिन तक विभिन्न तकनीकी सत्रों में पर्यावरण-अनुकूल तकनीकों, समेकित दृष्टिकोणों तथा वैज्ञानिक हस्तक्षेपों की महत्ता को उजागर किया ताकि बदलते कृषि परिदृश्य में विशेषकर आने वाली चुनौतियों और वैश्विक मांगों की पृष्ठभूमि में फसलों की सुरक्षा और कृषि की स्थिरता सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने सभी वैज्ञानिकों को आश्वस्त किया कि इस सम्मेलन के प्रमुख निष्कर्षांे एवं सिफारिशों को देश के 74 कृषि विश्वविद्यालयों, किसानों तथा नीति निर्धारकों के साथ साझा किया जायेगा ताकि इसका फायदा ज्यादा से ज्यादा किसानों को मिल सके।
मुख्य आयोजन सचिव एवं अधिष्ठाता राजस्थान कृषि महाविद्यालय, डॉ. मनोज कुमार महला ने आरम्भ में अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि सम्मेलन में 7 तकनीकी सत्रों का आयोजित किया गया। सम्मेलन में 5 प्रमुख विषयों  जैव-प्रणाली, पुनः उभरते और आक्रामक जीव, जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और कीटों में उभरते रुझान, सतत पौध संरक्षण के लिए जैव गहन और आईपीएम दृष्टिकोण, कीटों की जैव पारिस्थितिकी और उनके कारण होने वाले नुकसान का आकलन तथा कीट और रोग प्रबंधन में नए अणु, सूत्रीकरण और जैव प्रौद्योगिकी खोजें आदि विषयों पर गहन चर्चा की गई। इस सम्मेलन में पिछले तीन दिनों के दौरान् कुल 93 शोध पत्रों, मुख्य पत्रों, विशेष पत्रों, पोस्टर और मौखिक पत्रों का वाचन हुआ।
कार्यक्रम में ‘मेजमैन‘ के नाम से विख्यात वैज्ञानिक डॉ.  साई दास, डॉ.  एस. सी. भारद्वाज, डॉ.  पी. के. चक्रवर्ती, डॉ.  के. एल. गुर्जर, डॉ.  ऊमाशंकर शर्मा आदि ने भी सम्बोधित किया तथा खुली चर्चा में भाग लिया। 
पुरस्कार वितरण
आयोजन सचिव डॉ.  हेमन्त स्वामी ने बताया कि पौध संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए विभिन्न पुरस्कार प्रदान किए गए।  डॉ. श्रवण एम. हलधर को वर्ष का सर्वश्रेष्ठ कीट विज्ञानी पुरस्कार, डॉ. एस. के. सक्सेना को आजीवन उपलब्धि पुरस्कार, डॉ. श्रीनिवासन को युवा शोधकर्ता पुरस्कार, डॉ. बीरेंद्र सिंह को उत्कृष्ट पीएच.डी. थीसिस पुरस्कार, डॉ. सचिन महादेव चव्हाण को युवा वैज्ञानिक पुरस्कार,  डॉ. के. वनिता को वर्ष की सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पुरस्कार, डॉ. ट्विंकल को युवा महिला वैज्ञानिक पुरस्कार, डॉ. सुरेश कुमार को वर्ष का सर्वश्रेष्ठ पादप रोग विज्ञानी पुरस्कार दिया गया। डॉ.  एस. रमेश बाबू ने बताया कि इस सम्मेलन में कुल 76 पुरस्कार वितरित किए गए। डॉ. नारायण लाल डांगी ने धन्यवाद ज्ञापित किया ।

 


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