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काव्य रश्मिका की काव्य गोष्ठी संपन्न

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28 Sep 25
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काव्य रश्मिका की काव्य गोष्ठी संपन्न

 

उदयपुर, काव्य रश्मिका की काव्य गोष्ठी रवीन्द्र फाईन आर्टस् अकादमी - सहेली नगर के तत्वावधान में संपन्न हुई। मुख्य अतिथि जयपुर से आए श्री निशांत मिश्रा थे। विशिष्ट अतिथि श्रीमती पूनम भू एवं अध्यक्षता श्री अरुण त्रिपाठी जी ने की। अतिथियों का सम्मान स्मृति चिन्ह एवं उपरणा पहनाकर किया गया।

काव्य गोष्ठी का शुभारंभ सरस्वती वंदना "रौशनी के गीत गाऊं चांदनी के गांव में, शारदे तुझको बुलाऊं रागिनी के गांव में" डॉ. शकुंतला सरुपरिया के मधुर स्वर से हुआ। मुख्य अतिथि श्री निशांत मिश्रा जी ने गीत" लिखा दिल पर नहीं, रेत पर नाम तेरा" और कोविड में लिखी कविता "हर दिन देखा, मायूस उदास नाउम्मीदी से भरा चेहरा" सुनाकर कोरोना के दौर की, उन मुश्किल दिनों की याद दिला दी। विशिष्ट अतिथि श्रीमती पूनम भू ने क्षणिका में "गणित के आंकड़ों को कमज़ोर ना समझो" और "धूप के अनेकों रूप" सुना कर आनंदित किया ।वहीं अध्यक्ष श्री अरुण त्रिपाठी जी ने "जंगल में रौनक हो तो बस्तियों की बातें करना"लम्हा-लम्हा जीलो तुम फिर सदियों की बातें करना। इन पंक्तियों से व अपनी प्रेरणादायक ग़ज़लों सभी को ऊर्जावान महसूस कराया। शिक्षाविद् डॉ.श्रीनिवासन अय्यर जी ने "चिड़िया और मनुष्य के बीच के अंतर" को अपनी कविता में प्रस्तुत किया। जानी-मानी गीत और गज़लकार डॉ.शकुंतला सरूपरिया ने श्रृंगार गीत प्रस्तुत किया "पिया मेरा पिया परदेसी लौटेगा तो सौग़ात लाएगा ,नया मधुमास लाएगा" और "जीवन में पतझड़ के मौसम बोल रहे रे" -धडकन धड़कन पीड़ा में रंग घोल रहे रे''सुना कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। डॉ. योगेश सिंघल जी ने "ऑंखों के पेड़ लगाऊंगा" में कविता के नए रूप को प्रस्तुत किया और ग़ज़ल "क्या कोई हादसा हुआ है इस शहर में" सुना कर वह वाहवाही के हक़दार बने। कवयित्री ब्लब वर्ल्ड की संपादक श्रीमती वीना गौड़ जी की छोटी-छोटी कविताओं ने आनंद का अनुभव कराया "पहले सी वह बात नहीं है बारिश,मौसम, शामों में। श्रीमती शकुंतला सोनी जी ने राजस्थानी गीत सुनाकर सभी का दिल जीता "मन ऑंगन आप पधारे" और "लेखनी का दर्द" जैसी मार्मिक कविता सुनाकर सचमुच दर्द का एहसास कराया । उभरते हुए युवा कलाकार श्री जगवीर सिंह की प्रेम कविताओं ने सभी के दिल को छुआ मंच संचालन कर रही रवींद्र फाइन आर्ट की डायरेक्टर श्रीमती हंसा रवींद्र जी ने भी अपनी कविताओं "प्रश्न गूंगे हो गए" हैं और "तुम्हारी बातें पानी पर लिखी बातें थी और तुम्हारे वादे रेत की तरह"सुना कर सबका स्नेह बटोरा और अंत में धन्यवाद की रस्म उषा सांखला की। संचालन कर रही हंसा रविंद्र जी ने सभी क़लमकारों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर काव्य रसास्वादन के लिए श्री सुशील सांखला, श्री तेजस्वी चौहान,श्री सुरेंद्र सिंह चुंडावत व चारुदत्त चौहान आदि गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।


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