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डॉ. नितिन मेनारिया की तृतीय कृति ’’एक सफ़र ऐसा भी’’ (यात्रा वृतांत) पुस्तक का विमोचन

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28 Sep 25
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डॉ. नितिन मेनारिया की तृतीय कृति ’’एक सफ़र ऐसा भी’’ (यात्रा वृतांत) पुस्तक का विमोचन

 

उदयपुर, अखिल भारतीय साहित्य परिषद्, उदयपुर इकाई एवं बाल विनय मन्दिर उच्च माध्यमिक विद्यालय, उदयपुर के संयुक्त तत्त्वावधान में डॉ. नितिन मेनारिया की तृतीय कृति ’’एक सफ़र ऐसा भी’’ (यात्रा वृतांत) पुस्तक का विमोचन कार्यक्रम आयोजित हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. मलय पानेरी ने की। मुख्य अतिथि राजस्थान विद्यापीठ विवि के कुलपति कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत थे। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो. सरोज गर्ग, बसंत सिंह सोलंकी, श्रीमती आशा पाण्डेय ओझा ’आशा’ थे। शंकरलाल मेनारिया का विशिष्ट सानिध्य रहा।

पुस्तक की समीक्षा डॉ. बाल गोपाल शर्मा, डॉ. निर्मला शर्मा एवं श्री विजय मारू ने की। मंच संचालन श्रीमती दीपिका स्वर्णकार ने किया।

कार्यक्रम का प्रारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं सरस्वती वंदना द्वारा हुआ। सभी अतिथिगणों को तिलक एवं उपरणा द्वारा स्वागत किया गया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद् उदयपुर इकाई द्वारा लेखक डॉ. नितिन मेनारिया एवं डॉ. पुष्पा कलाल को पगड़ी एवं उपरणा द्वारा सम्मानित किया गया।

डॉ. नितिन मेनारिया ने पुस्तक के सबंध में अपने विचार में बताया कि व्यक्ति की उम्र का एक पड़ाव ऐसा भी आता है जब वह वैचारिक प्रवृति का हो जाता है तथा हर घटना के घटित हाने से पूर्व व पश्चात् तर्कपूर्ण सोच कर उसकी विवेचना करता है। लेखक से कंही अधिक उसकी यात्राऐं पाठक को याद आती रहेगी। जीवन में सकारात्मक संचार करने का प्रयास करेगी। ’’एक सफर ऐसा भी’’ यात्रा वृतान्त के माध्यम से यात्रा के स्वयं के अनुभव को पाठकों के यात्रा अनुभव से जोड़ने का प्रयास किया गया है।

मुख्य अतिथि कर्नल प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कगा कि पहले परिवार के बड़े बुजुर्ग कहीं यात्रा पर जाते थे तो वहां से पत्र में वहां का वर्णन लिखकर प्रेषित करते थे। पत्र प्राप्त करने वाला वहां के वृतांत को समझता था। आज इस यात्रा वृतांत में सामाजिक समरसता, सवेंदना पर प्रकाश डाला गया है।

डॉ. निर्मला शर्मा ने पुस्तक समीक्षा में वणिर्त 5 यात्रा वर्णन के बारे में बताया कि लेखक ने सहजता से इसे प्रस्तुत किया है। दिल्ली की यात्रा में राजपथ का वर्णन है तो ग्वालियर यात्रा में वहां के इतिहास का वर्णन पता चलता है। डॉ. बाल गोपाल शर्मा ने अपनी समीक्षा में बताया कि यात्रा वृतांत में प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ समाज को बहुत सीखने को मिलेगा। पाठक स्वयं इस यात्रा में अपने को जुड़ा महसुस करता है। पुस्तक की व्याकरण त्रुटि पर भी प्रकाश डाला गया। श्री विजय मारू द्वारा अपनी समीक्षा में बताया कि लेखक जिसने यात्रा वृतांत लिखा है। वह स्वयं मूल रूप से कवि है। डॉ. नितिन में संवेदनाएँ है वह पाठकों को अपनी बात सहजता से बताते है। लेखक एक शिक्षक भी है अतः इस यात्रा वृतांत में लेखक ने कई पहलुओं पर प्रकाश डाला है।

सानिध्य उद्बोधन में शंकर लाल मेनारिया ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया। विशिष्ट अतिथि प्रो. सरोज गर्ग, बसंत सिंह सोलंकी और आशा पाण्डेय ओझा ’’आशा’’ ने भी विचार व्यक्त किये।

डॉ. मलय पानेरी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में बताया कि डॉ. नितिन की तीनों पुस्तकों के विमोचन की यात्रा में मैं स्वयं सम्मिलित रहा हूं। यात्रा वृतांत में रेल यात्रा का बड़ा रोचक वर्णन है। इस यात्रा वृतांत में लेखक की सहजता एवं स्पष्टता छलकती है। हिन्दी साहित्य में आगे बढ़ने हेतु शुभकामनाऐं दी गई। कार्यक्रम में स्टॉफ द्वारा डॉ. नितिन मेनारिया को सम्मानित किया गया


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