उदयपुर, उदयपुर देहात जिला कांग्रेस अध्यक्ष कचरू लाल चौधरी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्ट किया है कि संविधान बचाओ रैली में किसी भी प्रकार की गुटबाजी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि रैली में आदिवासी समाज की अनदेखी के आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं, और ऐसा कहने वाले नेता निजी स्वार्थ और परिवारवाद के चलते कांग्रेस को कमजोर कर रहे हैं।
चौधरी ने कहा कि रैली पूरे कांग्रेस संगठन का कार्यक्रम था और उसी दिन डूंगरपुर में प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में आदिवासी सम्मेलन भी हुआ था, जिसमें अधिकतर वक्ता आदिवासी समाज से थे। उदयपुर रैली में भी कांग्रेस उपाध्यक्ष हीरालाल दरांगी, डॉ. दिव्यानी कटारा, रूपलाल मीणा और डॉ. मांगीलाल गरासिया जैसे आदिवासी नेता मौजूद थे। ऐसे में आदिवासियों की अनदेखी की बात करना अनुशासनहीनता के दायरे में आता है।
उन्होंने पूर्व सांसद रघुवीर सिंह मीणा पर निशाना साधते हुए कहा कि वो झूठा माहौल बनाकर आलाकमान को भ्रमित कर रहे हैं। कांग्रेस ने उनके पिता देवेन्द्र मीणा को चार बार, स्वयं रघुवीर सिंह मीणा को छह बार विधानसभा और तीन बार लोकसभा टिकट दिया। उनकी पत्नी बसंती देवी मीणा भी दो बार प्रत्याशी रहीं। इतना कुछ मिलने के बाद भी यदि क्षेत्र में कांग्रेस कमजोर हुई है, तो इसकी जिम्मेदारी उन्हें खुद लेनी चाहिए।
चौधरी ने यह भी कहा कि सलूंबर उपचुनाव में टिकट मिलने के बाद रेशमा मीणा ने मेहनत की, जबकि रघुवीर मीणा केवल औपचारिकता निभाते रहे। गोविंद सिंह डोटासरा की सभा में भी उनकी उपस्थिति सीमित रही। जब रैली में प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष आ चुके थे, तभी वे पहुंचे, जबकि रैली शाम 5 बजे शुरू हो चुकी थी। ऐसे में सभी को मंच पर बोलने का अवसर मिलना संभव नहीं था।
चौधरी ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी का नाम बेवजह घसीटे जाने पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि जोशी जैसे वरिष्ठ नेता का नाम लेकर ओछी राजनीति करना कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने कहा कि वे इस विषय में जयपुर और दिल्ली जाकर आलाकमान से चर्चा करेंगे।
इस बीच, सलूंबर उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रही रेशमा मीणा ने भी रघुवीर सिंह मीणा पर पार्टी को भ्रमित करने और चुनाव में सक्रिय भूमिका न निभाने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने उपचुनाव में मीणा की भूमिका की विस्तृत रिपोर्ट चुनाव प्रभारी को सौंप दी है। उन्होंने कहा कि उनके निष्क्रिय रवैये का ही परिणाम रहा कि कांग्रेस को उपचुनाव में तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा।
जिला अध्यक्ष चौधरी ने अंत में कहा कि जो नेता आज दिल्ली में जाकर आदिवासी समाज की अनदेखी की बात कर रहे हैं, उन्हें खुद सोचना चाहिए कि आदिवासी समाज ने उन्हें लगातार तीन चुनाव में क्यों नकारा। अब वक्त है आत्मचिंतन का, न कि बेबुनियाद आरोपों का।