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मेहता की अध्यक्षता में नदी सुधार नीति व शासन, प्रबंधन व्यवस्था सत्र का आयोजन 

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10 Oct 25
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मेहता की अध्यक्षता में नदी सुधार नीति व शासन, प्रबंधन व्यवस्था सत्र का आयोजन 

नई दिल्ली/ नदी सुधार व संवर्धन के लिए जरूरी है कि उसके फ्लड प्लेन को सुरक्षित व जैव विविधता से परिपूर्ण रखा जाए । नदी संवर्धन की शुरुआत उसके फ्लड प्लेन से होनी चाहिए। नदी सुधार नीति  में सामाजिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, पारिस्थितिकीय परंपराओं  तथा मूल्यों का समावेश होना चाहिए। 

यह विचार विद्या भवन पॉलिटेक्निक के प्राचार्य डॉ अनिल मेहता ने आई आई टी दिल्ली तथा दिल्ली फार्मास्युटिकल विश्वविद्यालय के साझे में आयोजित यमुना सुधार कार्यशाला में व्यक्त किए।

नदी के लिए नीति व शासन , प्रबंधन सत्र की अध्यक्षता करते हुए मेहता ने कहा कि  नदी का चैनेलाइजेशन करना नदी की मूल प्रकृति के खिलाफ है। साथ ही नदी में जा रहे गंदे पानी का स्रोत पर ही उपचार जरूरी है। शहरों के मास्टर प्लान रिवर सेंट्रिक होने चाहिए।   नदियों में नवीन प्रकार के इमर्जिंग कॉन्टमिनेंट्स को देखते हुए उपचार विधियों में जैविक तरीकों का उपयोग कारण चाहिए। मेहता ने नदी सुधार की हरित एप्रोच पर भी प्रकाश डाला। 

दिल्ली विकास प्राधिकरण की उपायुक्त कल्पना खुराना ने दिल्ली में नदी  की 22 किलोमीटर लम्बाई की वस्तुस्थिति का वर्णन किया।  
एन जी टी व सुप्रीम कोर्ट में पर्यवरणीय  मुद्दों के विशेषज्ञ एडवोकेट ओम शंकर श्रीवास्तव ने मौजूदा कानूनों की जानकारी रखीं। विशेषज्ञ डॉ शिखा, डॉ महावीर, डॉ सिम्मी ने भी विचार रखे।

इससे पूर्व उद्घाटन सत्र में नदी के पारिस्थितिकीय एवं  सांस्कृतिक आयामों को रेखांकित करते हुए मेहता ने कहा कि जलवायु परिवर्तन, जीवन शैली  में आए परिवर्तन तथा अंधाधुंध विकास प्रक्रिया से  नदियों को बचाना ही होगा। नदी केवल जल संसाधन नहीं वरन  जीवन स्रोत है।

दो दिन की इस कार्यशाला में आई आईं टी दिल्ली के प्रोफेसर डॉ विवेक कुमार, डॉ श्रीकृष्णनन, डॉ शिल्पी  डॉ गोसइन  सहित नीरी,  जे एन यू, सी एस ई, एन आई ए यू सहित अनेक संस्थाओं ने सहभागिता की। अध्यक्षता फार्मास्युटिकल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रविचंदेरन ने की।


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