बाडमेर । आज के समय शिक्षक जिस कारण सबसे अधिक व्यथित एवं परेशान हैं वो स्थानान्तरण स्थानान्तरण एक मौसम के बादल के समान हो गया हैं जो कि आज बरसे के कल बरसे इस आस में आज का शिक्षक भी इसी आस में दिन निकाल जा रहा हैं कि उसके स्थानान्तरण की सूची आज आ रही कल आ रही हैं मेरी राय से स्थानान्तरण नीति का निर्माण एक स्थायी शिक्षा नीति के साथ ही होना चाहिए जिससे शिक्षकों को इस बारे में बार-बार परेशान नहीं होना पडे शिक्षा नीति का निर्माण वातानुकूलित वातावरण में बैठकर नहीं होना चाहिए उसमें स्थानीय क्षैत्र, धर्म, सामाजिक रीति रिवाज आदि का भी ध्यान हो तथा विशेषकर महिला शिक्षिकाओं का क्योंकि उनके ऊपर आप से अधिक जिम्मेवारियां हैं और वो सामाजिक संगठन में एक धुरी का काम करती हैं इसलिये उनके पदस्थापन एवं स्थानान्तरण में विशेष ध्यान रखा जाय मेरी तरफ से पूर्व में भी इस हेतु प्रयास किये गये हैं और भविष्य में भी विधानसभा में जब भी शिक्षा के बारे में चर्चा होगी तो मैं इस विषय को पुरजोर तरीके से उठाऊंगा ये उद्गार कर्नल मानवेन्द्रसिंह ने राजस्थान शिक्षक संध सियाराम के दो दिवसीय शैक्षिक सम्मेलन के समापन समारोह में बतौर मुख्यअतिथि के पद से बोलते हुए कहे कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् कमलसिंह महेचा ने कहा कि शिक्षा जगत से जुडे समस्त शिक्षक एक जगह बैठकर चर्चा करे तथा उसमें जनप्रतिनिधियों का भी समावेश हो ये अच्छी परम्परा हैं शिक्षा देना एक पवित्र कार्य हैं जिसका अधिकार ईश्वर को भी नहीं हैं मगर आप बडे ही भाग्यशाली हो जो आपको ऐसा पवित्र पेशा मिला हैं अपने ज्ञान का पूर्ण उपयोग करों तथा बालको को चरित्र निर्माण में सहायक बनों वर्तमान युग में शिक्षकों की जो उपेक्षा की जा रही हैं वो घोर निन्दनिय हैं महेचा ने कहा कि एक जिला शिक्षा अधिकारी को एक अधिकारी की डांट के कारण आंखो में आंसू आते हैं ये समाज के लिये बडी ही चिन्तनीय व्यथा हैं इसके लिये कोई शिक्षक संगठन या सामाजिक संगठन नहीं बोलता हैं ये बडे ही दुःख की बात हैं सरकार शिक्षकों की संरक्षक होती हैं इनका संरक्षण करना सरकार का फर्ज हैं शिक्षा की गंभीरता का उदाहरण देते हुए उन्होने कहा कि इंग्लैण्ड में एक शिक्षा मंत्री द्वारा एक शिक्षक को अपनाति करके उसे घर से निकाल दिया तो उन्हीं शिक्षामंत्री ने जब संसद में प्रवेश किया तो समस्त पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने मंत्री जी को वहां से निकल जाने को कहा यह होती हैं शिक्षा पर गंभीरता शिक्षा जैसा विषय कोई मामूली विषय नहीं हैं इस पर पूरे देश का भविष्य टिका होता हैं। कार्यक्रम को विशिष्ट अतिथि कमलसिंह राणीागांव, प्रधानाचार्य लक्ष्मीकांत मेहता तथा जिला संरक्षक बालसिंह राठौड ने भी संबोधित किया जिलाध्यक्ष छगनसिंह लूणू ने दो दिन तक चले इस सम्मेलन का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया तथा जो भी बाते सामने आई उन्हें मांगपत्र के रूप में बनाकर राज्य सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया जिसमें मुख्यरूप से २०१२ के शिक्षा का स्थायीकरण एवं वेतन स्थरीकरण आदेश जारी करवाने तथा जरूरत पडने पर माननीय विधायक महोदय के माध्यम से विधानसभा में प्रश्न उठाने, विद्यालय समय परिवर्तन कर वर्षपर्यन्त ८ से १ बजे तक रखने, स्थायी स्थानान्तरण नीति बनाने, शिक्षकों को गैर शैक्षिक कार्यो से मुक्त रखने, एनपीएस खाते बंद करने आदि विषय पर प्रस्ताव पास करवाये गये। सम्मेलन में जिले भर से ६०० से अधिक शिक्षकों ने भाग लिया जिसमें चन्द्रवीरसिंह राव, मेताराम जयपाल, धाराराम, बाबूराम, बनेसिंह आंटा, हरीसिंह महेचा, बदनसिंह सेडवा, हडवन्तसिंह धोरीमन्ना, अजय कुमार माडेचा, शैतानसिंह राजपुरोहित, रतनसिंह सोढा, महेन्द्र जैन, जितेन्द्र दवे, दामोदर आचार्य, प्रशान्त व्यास, दिनेश पंवार, राजकमल सांवरिया, किशनलाल मेघवाल, रसीद खां गौरी उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन मुकेश व्यास ने किया।