उदयपुर। आदिम गंध के अध्येता डॉ. नरेन्द्र व्यास का 87 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्हें एक जून को सांस लेने में तकलीफ के चलते हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था जहां गुरूवार शाम 8 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनकी दोनों पुत्रियों श्रुति और नेहा ने उनकी अर्थी को कंधा दिया।
डॉ. व्यास लगभग 24 वर्ष तक ट्राइबल रिसर्च इंस्टीट्यूट (टी.आर.आई) के निदेशक रहे। यहां से उन्होंने ट्राईब पत्रिका प्रारम्भ की। आदिवासी कला, संस्कृति एवं साहित्य विषयक अनेक पुस्तकों का प्रकाशन किया। प्रकाशन सहायता दी। अनेक विद्वान तथा शोधार्थियों का मार्गदर्शन किया। कई अखिल भारतीय संगोष्ठिया, सेमीनार, अधिवेशन तथा कार्यशालाएं आयोजित कीं। स्वयं डॉ. व्यास ने इस क्षेत्र की एक दर्जन से अधिक प्रामाणिक एवं मूल्यवान पुस्तकों का लेखन कर पर्याप्त ख्याति अर्जित की।
डॉ. व्यास के अमृत महोत्सव पर "आदिम गंध के अध्येता" नाम से सन् 2008 में डॉ. महेन्द्र भानावत के सम्पादन में अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित किया गया। डॉ. व्यास की धर्मपत्नी प्रो. अरूणा व्यास ने प्रारम्भ में उदयपुर के राजस्थान महिला विद्यालय के होम साइंस कॉलेज में समाजशास्त्र की व्याख्याता के रूप में अपनी सेवाएं दीं।
उनकी शवयात्रा में सभी क्षेत्रों में कार्यरत प्रबुद्धजनों एवं परिजनों ने भाग लिया। उनमें डॉ. अरूण बोर्दिया, डॉ. महेन्द्र भानावत, प्रो. वेददान सुधीर, गणेश डागलिया, डॉ. कैलाश व्यास, प्रो. राजेन्द्र तलेसरा, डॉ. तुक्तक भानावत, डॉ. बी. भण्डारी, टीनू माण्डावत, डॉ. लोकेश व्यास, मुंबई के हर्षदभाई सर्राफ, दीपक मेहता, तनय मेहता सहित अनेक लोग शामिल थे। उठावणा शाम 5:30 बजे चौगान के मंदिर में आयोजित हुआ। इसमें प्रतिपक्ष के नेता गुलाबचंद कटारिया, इतिहासकार डॉ. देव कोठारी, भारतीय लोककला मंडल के उपाध्यक्ष रियाज तहसीन सहित शहर के कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।