उदयपुर, सकल दिगम्बर जैन समाज के दस दिवसीय पर्यूशण महापर्व के तीसरे दिन हूम़ड़ भवन में उत्तम आर्जव धर्म दिवस मनाया। इस अवसर पर आयोजित धर्मसभा में मुनिश्री धर्मभूशणजी महाराज ने कहा- आर्जव षब्द का अर्थ मायाचारी होता है। आज के दिन यह जरूर चिन्तन ओर मनन करें कि हम हमारे जीवन में कितने मायाचारी हैे। यह हमारी मायाचारी प्रवृत्ति हमको धर्म मार्ग से कितना भटका रही है और हमें इस मार्ग से दूर कर रही है। माचायार करने से, सिर्फ धन और मोह माया के पीछे भागने से पाप कर्मों का उदय होता है। ओर इन पाप कर्मों के चलते मनुश्य त्याग, साधना, आराधना और प्रभु भक्ति के मार्ग से भटक कर स्वयं के स्वार्थ में ही उलझा रहता हैं। उसे पर-कल्याण और परोपकार की भावना का भान ही नहीं रहता है। इन्हीं प्रवृृत्तियों के चलते वह अपना वर्तमान जीवन तो खराब करता ही है अगला जन्म भी पषुगति का बना लेता है। यह माया और धन कब किसके साथ गया है। मनुश्य जीवन मिला है वह अत्यन्त ही दुर्लभ है। इस जीवन में मान, कशाय, लोभ, मोह के वषीभूत होकर इसे खोओ मत और प्रभु की तप आराधना करके जीवन के कल्याण के लिए कार्य करो और सिद्ध अवस्था को प्राप्त करो।
महाराज ने कहा- कपट न कीजे कोय, चोरन पुर बसे। सरल स्वभावी होय, ताकि होय बहु सम्पदा। जो जीव मायाचारी नहीं होता है, छल कपट नहीं करता है वह इन्द्र पद को प्राप्त करता है। उसके घर में बहुत सम्पदा होती है। वह कभी भी दुख और कश्टों को प्राप्त नहीं करता है। उसके पुत्र सुपुत्र होते हैं। और वह सदगति को प्राप्त करता है।
सकल दिगम्बर जैन समाज अध्यक्ष षांतिलाल वेलावत ने बताया कि सोमवार को पर्यूशण महापर्व का चैथा दिन सत्य धर्मागाय नमः दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
प्रचार प्रसार मंत्री पारस चित्तौड़ा ने बताया कि दोपहर 2-30 बजे जिन वाणी पूजन एवं तत्वार्थ सूत्र का वाचन हुआ। सायंकाल 6 बजे श्रावक प्रतिक्रमण, 6-30 बजे गुरू भक्ति एवं मंगल आरती हुई। मंजू गदावत ने बताया कि जैन जागृृति महिला मंच के तत्वावधान में सायं 7 बजे से भव्य भक्ति संध्या हुई
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