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उदयपुर में फिल्मसिटी खुले तो बढेगी रोजगार की संभावनाएं

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23 May 20
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उदयपुर में फिल्मसिटी खुले तो बढेगी रोजगार की संभावनाएं

उदयपुर। लॉक डाउन में थोडी ढील देने के बाद प्रवासी मजदूरों का राजस्थान में आना शुरू हो गया है। ऐसे में अब सरकार के सामने इन मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाना बडी चुनौती बनकर सामने आ रहा है क्योंकि राजस्थान में मुख्यतः पर्यटन उद्योग होने से सभी मजदूरों को रोजगार दिला पाना बहुत मुश्किल भरा काम है। खासकर उन शहरों में जो मुख्यतः पर्यटन पर आधारित है।

लाइन प्रोड्यूसर मुकेश माधवानी ने बताया कि इनमें मेवाड की बात करें तो उदयपुर शहर दक्षिण राजस्थान का संभाग मुख्यालय होने के साथ ही पर्यटन उद्योग पर आधारित शहर है। उदयपुर में अभी बडी संख्या में गुजरात और महाराष्ट्र से प्रवासी मजदूर अपने गांव लौट रहे हैं। उदयपुर से बडी संख्या में गुजरात और महाराष्ट्र में ग्रामीण मजदूरी के लिए जाते हैं लेकिन अब उदयपुर लौटने पर उनकी मंशा फिर से गांव से बाहर न जाते हुए उदयपुर में ही कोई रोजगार तलाशने की कही जा रही है, ऐसे में उदयपुर में बडे उद्योग नहीं होने से उनके सामने भी रोजगार की एक चुनौती बनकर उभर रही है।

उदयपुर में फिल्मसिटी दिला सकती है प्रवासियों को रोजगार-उन्हने बताया कि प्रवासी मजदूरों के घर लौटने के बाद उदयपुर में पर्यटन को बढाने और ऐसी स्थितियां पैदा करने की बात सामने आ रही है जिससे इन प्रवासी मजदूरों को उदयपुर में ही कोई रोजगार मिल सके। उदयपुर फिल्म की शूटिंग के लिए विश्व भर में विख्यात है। ऐसे में अगर उदयपुर में फिल्म सिटी की घोषणा होती है तो यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से करीब एक लाख लोगों के रोजगार का बडा साधन बनकर उभरेगी।


फिल्मसिटी की स्थापना से हर वर्ग को मिल सकता है रोजगार -राजस्थान फिल्म सिटी संघर्ष समिति के अध्यक्ष मुकेश माधवानी के अनुसार उदयपुर में फिल्म उद्योग को लेकर बहुत संभावनाएं है।लेकसिटी में फिल्मसिटी की स्थापना मुख्यतः वह साधन है जो उदयपुर के प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिलाने में कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि फिल्म सिटी में हर वर्ग का व्यक्ति किसी न किसी रूप में रोजगार प्राप्त कर सकता है, साथ ही फिल्म सिटी के आसपास भी कई लोग स्वरोजगार के माध्यम से भी अपनी आजीविका चला सकते हैं। ऐसे में अगर सरकार उदयपुर में फिल्मसिटी की घोषणा करती है तो दक्षिणी राजस्थान के प्रवासी मजदूरों के लिए संजीवनी की तरह होगी। माधवानी ने बताया कि इसके लिए स्थानीय प्रशासन की ओर से गोगुन्दा में जमीन भी प्रस्तावित कर दी गई है, बस सरकार की ओर से घोषणा की देर है।

अब तक प्रदेश लौट चुके हैं ८ लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर-राज्य सरकार की मानें तो अभी तक ८ लाख से ज्यादा प्रवासी मजदूर राजस्थान आ चुके हैं और साथ ही अभी भी बडी संख्या में इन मजदूरों का प्रदेश में आना जारी है, ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि उदयपुर में भी करीब ५० हजार से ज्यादा मजदूर उदयपुर आ चुके हैं ऐसे में उदयपुर में फिल्म उद्योग के लिए फिल्म सिटी की स्थापना रोजगार का बडा साधन होगी, जो कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था में भी अपना योगदान देगी।

पूरे दक्षिणी राजस्थान से आते हैं उदयपुर में रोजगार तलाशने-उदयपुर दक्षिण राजस्थान का संभाग मुख्यालय होने से उदयपुर में संभाग भर से लोग रोजगार की तलाश में आते रहते हैं और प्रवासी मजदूरों के आने से अब यह आंकडा और बढ जाएगा। ऐसे में उदयपुर में इतने लोगों को एक साथ रोजगार उपलब्ध कराना सरकार के सामने टेडी खीर होगी। उदयपुर में फिल्म सिटी की स्थापना होती है तो इन लोगों को रोजगार दिलाने में आसानी रहेगी। साथ ही पर्यटन बढने से होटल उद्योग भी विस्तार की राह पकडेंगे और उदयपुर के गरीब लोगों को रोजगार का साधन मिल सकेगा जिससे वे अपनी आजीविका चला सके।

अब लोग बाहर खाने, चाय पीने से भी करेंगे परहेज -कोरोना वायरस के चलते अब लोग बाहर खाना खाने, चाय-नाश्ता करने से भी परहेज करेंगे, ऐसे में अब भोजनालय, नास्ता सेंटर, चाय की थडी लगाने वालों सहित फास्ट फूड के ठेले वालों के सामने भी इनको चला पाने की चुनौती होगी ऐसे में वे भी अब किसी ऐसी नौकरी की तलाश करेंगे जहां से एक निश्चित आय आती रहे। साथ ही उदयपुर में बडी संख्या में स्टूडेंट्स रहते हैं जो कि बाहर खाना खाते थे, लेकिन अब स्टूडेंट्स की मानें तो वे खुद ही बनाकर खाना पसंद करेंगे। ऐसे में टिफिन सेंटर, रेस्तरॉ वालो के सामने भी चुनौती होगी और उन पर काम करने वाले नौकरों के सामने नौकरी को बचाने की चुनौती। ऐसे में अगर उदयपुर में फिल्मसिटी की स्थापना होती है तो यह सब वर्ग के लिए रोजगार के दरवाजे खोलने का काम करेगी।

अब उदयपुर में ही मिले रोजगार-अब तो उदयपुर में ही नौकरी देखूंगा। इतना बाहर जाकर अब जोखिम नहीं लिया जा सकता है। उदयपुर में नौकरी, काम मिल जाए तो बहुत अच्छा । हीरालाल गमेती, प्रवासी मजदूर

कम कमाएंगे, सुखी रहेंगे-ज्यादा पैसे की लालच में बाहर गए थे। परिवार से दूर रहना और इस जोखिम में अब सम्भव नहीं होगा। उदयपुर में मजदूरी करेंगे। कम कमाएंगे लेकिन सुखी रहेंगे। कैलाश पटेल, प्रवासी मजदूर।

अब खुद बनाकर खाएंगे-अब घर वाले होटल पर नहीं खाने देंगे, बाहर का सब बन्द करना पडेगा। अब रूम पर बनाकर ही खाएंगे। सुरेश स्टूडेंट।

अब कम पडेगी ग्राहकी-अब लोग बाहर को कम प्राथमिकता देंगे। ग्राहकी और कमाई कम पड जाएगी। सब नौकरों को रखना भी चुनौती होगी। जयराम रेस्टोरेंट संचालक।

पता नहीं, अब क्या होगा‘-इतने दिन तो लोग ठेले पर आकर बेझिझक नाश्ता, चाय करते थे। लेकिन अब कोरोना के बाद अब कम ही लगता है कि ठेला चलेगा। कोई नौकरी मिल जाए तो अच्छा है-सवा गमेती ठेले वाला।

 


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