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भारत ने कोविड-19 महामारी के प्रंबंधन के साथ साथ आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को भी प्राथमिकता दी

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06 Aug 20
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भारत ने कोविड-19 महामारी के प्रंबंधन के साथ साथ आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता को भी प्राथमिकता दी

नई दिल्ली, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्ष वर्धन ने आज विश्व स्वास्थ्य संगठन की क्षेत्रीय निदेशक डा. पूनम खेत्रपाल सिंह और दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र के स्वास्थ्य मंत्रियों के साथ वर्चुअल बैठक में भाग लिया। इस बैठक में कोविड-19 महामारी के संदर्भ में आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं और जन स्वास्थ्य कार्यक्रमों को बनाए रखने पर फोकस किया गया।

बैठक के प्रारंभ में विश्व स्वास्थ्य संगठन के श्री रोडेरिको ओफरिन ने कोविड-19 के दौरान प्रदान की गई लोजिस्टिक सहायता के बारे में मंत्रियों को सूचित किया और विश्व स्वास्थ्य संगठन के श्री सुनील बहल ने वैक्सीन विकास और इसकी आवंटन नीति से संबंधित विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यक्रम से अवगत कराया।

डा. हर्ष वर्धन ने भारत के कोविड-19 के साथ नियति के बारे में बात की। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने 7 जनवरी को चीन द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन को एक संक्रमण की जानकारी देने के तुरंत बाद महामारी के लिए तैयारियां शुरू कर दी थी। इससे पहले एवियन इंफ्लूएंजा, एच.वन. एन.वन इंफ्लूएंजा, जिका और निपाह की बीते समय की यादों ने संपूर्ण सरकार के दृष्टिकोण के आधार पर कंटेनमेंट और प्रबंधन नीतियों को स्वरूप देने में सहयोग दिया। उन्होंने कहा “भारत की कोविड-19 के लिए अग्रसक्रिय और बहु स्तरीय संस्थागत कार्रवाई ने प्रति दस लाख आबादी पर मामलों और मृत्यु की संख्या कम लाना संभव बना दिया हालांकि अन्य विकसित देशों के मुकाबले देश की घनी आबादी और जीडीपी की बहुत कम मात्रा के व्यय और प्रति व्यक्ति पर डॉक्टरो तथा अस्पतालों के बिस्तरों की उपलब्धता के बावजूद मामलों और मृत्यु दर में कमी लाई जा सकी”।

लॉकडाउन की प्रभावशीलता पर डा. हर्ष वर्धन ने बताया कि ये किस तरह मामलों की वृद्धि दर में कमी लाने में यह साधक रहा और सरकार को स्वास्थ्य ढांचे और जांच सुविधाओं के विस्तार का समय मिल सका। उन्होंने यह भी कहा “कि जनवरी में देश में एक प्रयोगशाला हुई करती थी जबकि आज देश में 1370 प्रयोगशालाएं है। कोई भी व्यक्ति 3 घंटे की यात्रा करते हुए प्रयोगशाला तक पहुंच सकता है। 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 33 ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह पर प्रति दिन प्रति 10 लाख आबादी पर 140 जांच की क्षमता हासिल कर ली है”। उन्होंने बताया कि कंटेनमेंट रणनीति 3 राज्यों के 50 प्रतिशत मामलों में कामयाब रही है       और शेष 32 प्रतिशत मामलें 7 राज्यों से संबंधित हैं। इस तरह वायरस के फैलाव को सीमित किया गया है।

उन्होंने कहा कि रक्षा अनुसंधान विकास संगठन द्वारा बने अस्थाई अस्पताल 1000 रोगियों को रखने के लिए पर्याप्त हैं। इसके अलावा और 100 आईसीयू बिस्तर 10 दिन के रिकार्ड समय में तैयार किए गए। अन्य गतिविधियों में राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण देना, राज्यों और फेसिलिटी स्तर पर प्रशिक्षण, वैब आधारित वेंटिलेंटर प्रबंधन पर एम्स नई दिल्ली द्वारा प्रशिक्षण देशभर के सभी अस्पतालों में कोरोना की तैयारी की मॉकड्रिल, एम्स दिल्ली में टेली मेडिसिन सुविधाओं से मृत्यु के कारणों की पहचान करने में मदद मिली और अधिक प्रभावशाली कार्रवाई करना संभव हुआ जिनसे मृत्यु दर 18 जून में 3.33 प्रतिशत से 3 अगस्त को 2.11 प्रतिशत करना संभव हुआ।

डा. हर्ष वर्धन ने 25 मार्च 2020 को प्रकाशित टेलिमेडिसिन के दिशा निर्देश पर जानकारी देते हुए बताया कि किस तरह टेक्नोलॉजी की मदद से कोविड-19 के दौरान आवश्यक सेवाएं प्रदान की गईं । यह विश्व में पहली बार वैब आधारित राष्ट्रीय टेलिकंस्लटेशन सेवा ऑनलाइन ओपीडी सेवा के माध्यम से अबतक 71,865 परामर्श दिए गए, इसी तरह डॉक्टर से डॉक्टर को भी 15000 स्वास्थ्य और आरोग्य केंद्रों में टेलीमेडिसिन सेवाएं प्रदान की गई, ऑनलाइन ट्रेनिंग iGOT के माध्यम से मेंडिकल प्रेक्टिश्नरों को प्रशिक्षण दिया गया और अग्रिम पंक्तियों के स्वास्थ्य कर्मियों का कौशल विकास किया गया, इसके अलावा आरोग्य सेतु और इतिहास मोबाइल एप से चिकित्सा क्षेत्र में बगैर बाधा उत्पन्न किए बिना संक्रमण के फैलाव को रोकने में मदद मिली।

केद्रींय मंत्री ने कहा कि रणनीति के रूप में भारत ने स्वास्थ्य सेवाओं को कोविड और गैर कोविड फेसेलिटिज में रखा। इससे गंभीर से मध्यम और मामूली श्रेणी के रोगियों के बेहतर प्रंबधन में मदद मिली और यह सुनिश्चित किया गया कि अस्पतालों में ज्यादा भार न हो ताकि अस्पताल में भर्ती रोगियों का प्रभावी उपचार सुनिश्चित किया जा सके। इससे मामलों पर मृत्यु दर को वैश्विक औसत से कम रखने में मदद मिली। आज देश में मृत्य दर 2.07 प्रतिशत है।

डा. हर्ष वर्धन ने भारत में किए गए अन्य उपायों की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की श्रेष्ठ प्रक्रियाओं को एक दूसरे के सीखने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य नवाचार पोर्टल NHInP पर अपलोड किया गया। श्रेष्ठ प्रक्रियाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने कंटेनमेंट और बफर जोन के भीतर टीकाकरण सुविधाएं जारी रखीं तथा उच्च रक्त चाप और मधुमेह के मरीजों को घर तक दवाएं पहुंचाईं । तेलंगाना ने प्रत्येक गर्भवती महिला के लिए एक ऐम्बुलेंस निर्धारित कर उसे शिशु जन्म के लिए अस्पताल तक सुरक्षित पहुचाने की व्यवस्था की। थैलेसिमिया और डायलेसिस के मरीजों को समय पर सुविधाएं प्राप्त करने के लिए एम्बुलेंस से लाया गया। ओडिशा और पश्चिम बंगाल ने कोविड और गैर कोविड आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए स्वास्थ्य कर्मी को अलग अलग निर्धारित किए इससे उनकी अधिकतम उपयोगिता सुनिश्चित की गई। आंध्र प्रदेश और उत्तराखंड ने महामारी के दौरान जन स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में पदों पर नियुक्ति की। तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और केरल जैसे राज्यों ने ई-संजीवन ओपीडी सुविधा के माध्यम से टेलिकंस्लटेशन के जरिए गैर आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कीं।


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