उदयपुर, दक्षिण राजस्थान के हृदय उपचार क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि दर्ज की गई है। पारस हॉस्पिटल, उदयपुर के कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ. अमित खंडेलवाल ने एक जटिल हृदय रोगी का इलाज करते हुए 'ऑर्बिटल एथरेक्टॉमी' तकनीक का सफलतापूर्वक उपयोग किया, जो क्षेत्र का पहला ऐसा मामला है।
इस केस को भारत की सबसे प्रतिष्ठित कार्डियोलॉजी कॉन्फ्रेंस - CSI-NIC 2025 में प्रस्तुत करने के लिए चुना गया है। यह आयोजन 26 से 29 जून 2025 तक मुंबई के जिओ कन्वेंशन सेंटर में होगा। प्रस्तुतिकरण के दौरान डॉ. खंडेलवाल को जापान के प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. ताकाशी अकासाका से संवाद और सराहना प्राप्त हुई।
डॉ. खंडेलवाल ने बताया कि इस तकनीक के अंतर्गत Intra-Vascular Ultrasound (IVUS) की सहायता से हृदय की धमनियों में जमे कैल्शियम और प्लाक को ऑर्बिटल एथरेक्टॉमी डिवाइस से हटाया गया, जिससे स्टेंट लगाना अधिक सुरक्षित और प्रभावशाली बना। यह तकनीक उन मरीजों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है जो बायपास सर्जरी से बचना चाहते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि उनकी टीम पहले भी रोटाब्लेशन और इन्ट्रावैस्कुलर लिथोट्रिप्सी (IVL) जैसे नवाचारों का सफलतापूर्वक उपयोग कर चुकी है। इस वर्ष के केस के चयन के साथ ही यह आठवीं बार है जब डॉ. खंडेलवाल की टीम के केस को राष्ट्रीय स्तर की इस वार्षिक संगोष्ठी में प्रस्तुत किया जाएगा।
डॉ. खंडेलवाल ने अपने वक्तव्य में सभी शिक्षकों, वरिष्ठ सहयोगियों, टीम के सदस्यों, प्रबंधन, मरीजों और उनके परिवारों का आभार व्यक्त किया, जिनके सहयोग और विश्वास से यह उपलब्धि संभव हो सकी।