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कोविड-19 के बाद के काल से संबंधित केन्द्रित हस्तक्षेप’ पर श्वेत पत्र जारी किया

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11 Jul 20
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कोविड-19 के बाद के काल से संबंधित केन्द्रित हस्तक्षेप’ पर श्वेत पत्र जारी किया

नई दिल्ली, केन्द्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और पृथ्वी विज्ञान मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज एक वर्चुअल आयोजन में टाइफेक द्वारा बनाई गई ‘मेक-इन-इंडियाः कोविड-19 के बाद के काल से संबंधित केन्द्रित हस्तक्षेप’ पर श्वेत पत्र और सक्रिय औषध तत्वः स्थिति, मुद्दे, प्रौद्योगिकीय तैयारियों और चुनौतियों से संबंधित प्रपत्र जारी किए।

इस अवसर पर डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि ये दो प्रकाशन देश के लिए मायने रखते हैं। इन्हें टाइफेक ने लगातार दो-तीन महीने तक 40 बैठकों के निष्कर्ष के आधार पर तैयार किया है। उन्होंने कहा कि कोई भी वैज्ञानिक उपलब्धि तभी प्रासंगिक होती है, यदि इसका लाभ आम आदमी तक पहुंचे और लोगों की कठिनाइयां दूर हों। इसलिये यह आव्श्यक है कि  ये दोनों प्रकाशन इन सभी लोगों तक पहुंचें, जो इसके लिए प्रासंगिक हैं, जिन्हें इनसे लाभ मिल सकता है। केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि इन प्रपत्रों की सिफारिशें कागज पर न रहें। ये प्रपत्र सिद्धांत न बने रहें, बल्कि इनका व्यावहारिक उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि श्वेत पत्र की सिफारिशें आत्म निर्भर भारत बनाने के लिए तुरंत प्रौद्योगिकीय और नीतिगत गति की आवश्यकता को उजागर करती हैं।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी 2014 से आत्म निर्भरता पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने इसी वर्ष देश के सभी उद्योग, व्यापार जगत के प्रतिनिधियों और वैज्ञानिकों के समक्ष एक सम्मेलन में मेक-इन-इंडिया की अवधारणा का विवरण दिया था। आत्म निर्भर भारत, मेक-इन-इंडिया की अवधारणा से आगे की कार्रवाई है। उन्होंने इस कोरोना काल में वर्तमान आर्थिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की थी। इस पैकेज के अंतर्गत समाज के सभी वर्गों को राहत देकर उन्हें फिर से अपने उद्योग और काम-धंधे शुरू करने में सहायता मिल रही है। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि कोविड-19 से सारा विश्व प्रभावित हुआ और कब तक रहेगा यह किसी को मालूम नहीं। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने छह महीनों में जांच प्रयोगशालाओं, चिकित्सा सुविधाओं, विशेष कोविड अस्पतालों का विस्तार किया है और वैज्ञानिक क्षेत्र में भी उपलब्धियां प्राप्त की हैं। उन्होंने कहा कि आज हमारी रिकवरी दर लगभग 63 प्रतिशत है, जो विश्व में कई देशों से बेहतर है, देश में मृत्यु दर लगभग 2.72 प्रतिशत है, जो विश्व में सबसे कम है। आज की तिथि में लगभग 5 लाख कोविड के मरीज स्वस्थ हो गए हैं और एक करोड़ दस लाख से अधिक जांच की गई है। वैज्ञानिक क्षेत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि हमने एलिसा और एंटिजेन जांच विकसित की है और लगभग हमारे छह कैंडिडेट वैक्सीन निकट भविष्य में अगले चरण में पहुंचेगे। इसलिए आज कोविड-19 के बारे में हमारी स्थिति विश्व के अन्य देशों से बहुत बेहतर है।

उन्होंने वैज्ञानिकों से कहा कि वे आज की चुनौती को अवसर में बदलें और कोविड-19 से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान की पूर्ति के लिए नवाचार आधारित समाधान विकसित करें। डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा कि टाइफेक के आज जो दो प्रपत्र जारी किए गए हैं, उनसे देश को और अर्थव्यवस्था को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की बहाली का रास्ता गैर-पारम्परिक रणनीतियों, कृषि, इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वास्थ्य, आईसीटी और विनिर्माण के लिए प्रौद्योगिकी के उत्प्रेरक बनने से निकलेगा। उन्होंने कहा कि भारत अब तक कोविड-19 के प्रभाव को सीमित करने में बड़े हदतक कामयाब रहा है।

डॉ. हर्ष वर्धन ने कहा, “वर्तमान महामारी वैश्विक है, लेकिन चुनौती से निपटने के समाधान स्थानीय होने चाहिए।” इसके लिए ढांचागत विकास, औद्योगिकीकरण, आपूर्ति श्रृंखला की व्यवस्था को मजबूत बनाने और वस्तु और सेवाओं की मांग विकसित करने की आवश्यकता है। किए। इस अवसर पर टेक्नोलॉजी इंफॉरमेशन फॉर कास्टिंग एंड एसेसमेंट काउंसिल (टाइफेक) की शासी परिषद के अध्यक्ष डॉ. वी.के. सारस्वत और टाइफेक के कार्यकारी निदेशक प्रो. प्रदीप श्रीवास्तव तथा अन्य वैज्ञानिक उपस्थित थे। डॉ. वी.के. सारस्वत ने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यह श्वेत पत्र अत्यधिक प्राथमिकता वाले क्षेत्रों, प्रौद्योगिकियों और कोविड-19 के बाद के काल के लिए विकास हेतु एक संकेतात्मक मानचित्र प्रस्तुत करता है। इस समारोह की विडियो कांफ्रेंसिंग में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, टाइफेक तथा अन्य विभागों के 450 वैज्ञानिक उपस्थित रहे।  

 
 

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