उदयपुर। उदयपुर चैम्बर ऑफ कॉमर्स एण्ड इण्डस्ट्री ने दक्षिण राजस्थान एवं उदयपुर सम्भाग के समग्र पर्यटन विकास के लिये महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किये हैं। अध्यक्ष श्री मनीष गलुण्डिया एवं मानद महासचिव श्री आशीष छाबडा ने माननीय केन्द्रीय पयर्टन मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से भेंट कर उन्हें यूसीसीआई की ओर से स्थानीय प्रशासन, पर्यटन विभाग और निजी क्षेत्र के साथ समन्वय में ऐसे कदम सुझाये हैं जिनसे पर्यटन की सतत वृद्धि, स्थानीय रोजगार सृजन और क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल सके।
प्रतिवेदन के माध्यम से यूसीसीआई ने अताया है कि वर्ष 2024 में उदयपुर ने लगभग 20 लाख से अधिक पर्यटकों का स्वागत किया। यह आंकड़ा दर्शाता है कि उदयपुर शहर के पास पर्यटन को व्यवस्थित रूप से बढ़ाने की उच्च क्षमता है। यूसीसीआई का मानना है कि इसी अवसर का लाभ उठाकर दक्षिण राजस्थान को और भी व्यापक पर्यटन-गंतव्य बनाया जा सकता है।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में हालिया पर्यटन सम्मेलनों व केंद्र सरकार की नई नीतियों ने प्रदेशों को वैश्विक स्तर के पर्यटन स्थल विकसित करने का अवसर दिया है । ऐसे समय में यूसीसीआई की सिफारिशें राज्य एवं केंद्र सरकार के आगामी योजनाओं के साथ तालमेल बैठाकर तेजी से लागू की जा सकती हैं।
यूसीसीआई द्वारा प्रस्तुत मुख्य सुझाव:
1) वन्यजीव अभयारण्यों का संवर्धन व संरक्षण:
यूसीसीआई ने उदयपुर व आसपास के अभयारण्यों को पर्यटन-वितरण का केंद्रीय स्तंभ बनाने का प्रस्ताव रखा है। प्रस्तावित प्रमुख अभयारण्य:
ऽ सज्जनगढ़
ऽ जयसमन्द
ऽ सीतामाता
ऽ कुम्भलगढ़
ऽ राओली-टोड़गढ़
ऽ बस्सी
ऽ फुलवारी की नाल
ऽ माउंट आबू
यूसीसीआई का यह सुझाव है कि इन अभयारण्यों के लिए इको-फ्रेंडली एप्रोच रूट, वन-गाइड प्रशिक्षण, बोटिंग और कचरा-प्रबंधन प्रणालियाँ विकसित की जाएँ। साथ ही स्थानीय समुदाय-आधारित गाइडिंग व होम-स्टे नेटवर्क को प्रोत्साहन दिया जाए ताकि संरक्षण के साथ स्थानीय आय भी बढ़े।
2) वन्यजीव-पर्यटन सर्किट:
देश में सर्वाधिक सेन्चुरी उदयपुर सम्भाग में है। यूसीसीआई का यह सुझाव है कि वन्यजीव अभयारण्यों को जोड़कर एक वाइल्ड लाईफ-टूरिस्ट सर्किट विकसित किया जाए। उदाहरण के लिये सज्जनगढ़ → जयसमन्द → सीतामाता → कुम्भलगढ़ (आल्टरनेट एक्सटेन्शन: राओली-टोड़गढ़, बस्सी)। इस सर्किट में समन्वित ट्रेल-मैपिंग एवं समयानुकूल भ्रमण-प्लानिंग, फावनॉब्जर्वेशन-विजिट्स के लिये टाइम स्लॉट्स, सुरक्षित-आवास और फार्म-टू-टेबल स्थानीय खानपान विकल्प शामिल हों।
3) तीर्थयात्रा-सर्किट:
यूसीसीआई ने क्षेत्रीय धार्मिक व सांस्कृतिक पर्यटन को जोड़ने के लिये एक समन्वित तीर्थ-सर्किट का सुझाव दिया है:
एकलिंगजी → नाथद्वारा → रणकपुर → केसरियाजी → सांवलिया सेठ मन्दिर
इस सर्किट के लिये बेहतर रोड-सिग्नेज, तीर्थ-पर्यटन सूचना केंद्र, दर्शन-समय का समन्वय और दर्शन हेतु सुविधाजनक ट्रांजिट-पैकेज विकसित करने की अनुशंसा है। इससे धार्मिक पर्यटन का प्रवाह समान रूप से होगा व तीर्थ-स्थलों का प्रबंधन सहज होगा।
4) थीम-पार्क एवं फैमिली एट्रैक्शन:
यूसीसीआई ने शहर के निकट उपयुक्त स्थान पर एक वृहद आकार का थीम-पार्क विकसित करने का सुझाव रखा है जिसमें परिवारिक राइड्स, सांस्कृतक-शो, लोककला-वृत्तियाँ और छोटे-विनिर्माण / फूड कॉर्ब्स हों। थीम-पार्क से सीजन-लंबी पर्यटन टिकेगा और स्थानीय एमएसएमई व कलाकारों को नया बाजार मिलेगा।
5) वाटर स्पोर्ट्स:
झीलों और जलाशयों (जैसे फतहसागर, पिछोला, जयसमंद आदि) पर सुरक्षित, लाइसेंस्ड और पर्यावरण-मित्र जल-खेल सुविधाएँ विकसित करने की सिफारिश जैसे कैनॉयिंग, कयाकिंग, पैडल-बोट, एन्टरप्रेन्योर-लाइव सर्विस और ट्रेनिंग प्रोग्राम। यूसीसीआई जोर देता है कि सुरक्षा-मानक, लाइफ-गॉर्ड व्यवस्था व वाटर-नेचर का संरक्षण किया जाए।
6) एडवेंचर-स्पोर्ट्स व ट्रैकिंग साइट्स का विकास:
यूसीसीआई ने क्षेत्र में एडवेंचर-टूरिज्म पोर्टफोलियो बढ़ाने हेतु विशेष रूप से कुम्भलगढ़ व आसपास की पहाड़ियों में ट्रैकिंग / ट्रेकिंग रूट्स, रॉक-क्लाइम्बिंग, माउंटेन-बाइक पाथ और एडवेंचर-सर्टीफिकेशन सेन्टर्सं के विकास का सुझाव दिया है। इन गतिविधियों के लिये सिक्योरिटी-प्रोटोकॉल, प्रशिक्षित गाइड और आपातकालीन सेवाएँ सुनिश्चित की जाएँ।
7) लेकफ्रंट डेवलपमेन्ट एवं विरासत संरक्षण परियोजनाएँ:
उदयपुर की झीलों का प्रदूषण से मुक्त रखते हुए विकसित करना तथा ऐतिहासिक स्थलों को विकसित किया जाना चाहिये। यह दोनों क्षेत्र पर्यटन के मुख्य आकर्षण हैं, अतः इन्हें आकर्षक एवं सुरक्षित बनाने के लिए निवेश के साथ-साथ समयबद्ध कार्यक्रम आवश्यक है।
8) इको-टूरिज्म और रुरल/विलेज होम-स्टे नेटवर्क:
वन विभाग एवं स्थानीय समुदायों के समन्वय से इको-टूरिज्म को बढ़ावा दिया जाना चाहिये। समन्वित होमस्टे नेटवर्क से ग्रामीण आय में वृद्धि होगी।
9) इन्फ्रास्ट्रक्चर व कनेक्टिविटी में सुधार:
पर्यटन प्रोत्साहन हेतु बेहतर सड़क-कनेक्टिविटी, यात्री-सुविधाएँ, बहुभाषी साइनबोर्डिंग और सस्ती लोक-परिवहन सेवाएँ मुहैया करवाने की व्यवस्था की जानी चाहिये।
10) कौशल विकास व हॉस्पिटैलिटी प्रशिक्षण:
स्थानीय युवाओं के लिए निर्देशित ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरु किये जायें ताकि हाई-क्वालिटी सर्विस-प्रदान किया जाना सुनिश्चित हो सके।
11) इवेंट्स और बाय-सीजन प्रमोशन:
सालभर सांस्कृतिक-उत्सव, कॉन्फ्रेंस व व्यावसायिक कार्यक्रम आयोजित कर जिले की सीजनल निर्भरता घटाना।
12) सस्टेनेबिलिटी व स्वच्छता:
कचरा प्रबंधन, पानी-संसाधन संरक्षण और हरित प्रथाओं को अनिवार्य मानदण्ड के रूप में लागू करना।
13) निवेश प्रोत्साहन व सरल नियामक प्रक्रिया:
पर्यटन-उद्योग के लिये निवेश आकर्षित करने हेतु कर प्रोत्साहन, पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप मॉडल और लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं को सरल बनाना।
14) एकीकृत ब्रांडिंग व डिजिटल मार्केटिंग:
उदयपुर सम्भाग और दक्षिण राजस्थान में पर्यटन को बढावा देने के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों के लिए समन्वित ब्रांडिग-अभियान और लक्ष्य के साथ डिजिटल कैम्पेन संचालित किया जाये।
अध्यक्ष श्री मनीष गलुण्डिया ने बताया कि “उदयपुर सम्भाग और दक्षिण राजस्थान में पर्यटन विकास के अपूर्व अवसर मौजूद हंै। यदि हम अपनी ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण, इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेन्ट एवं डिजिटल एप्रोच के साथ समन्वित कार्य किया जाये तो यह क्षेत्र न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर और मजबूती से उभर सकता है।”
प्रतिवेदन के माध्यम से यूसीसीआई ने पर्यटन विभाग, राज्य सरकार और केन्द्रीय पर्यटन मंत्रालय से यह अनुरोध किया है कि उपरोक्त सुझावों पर गम्भीरता से विचार किया जाए और पब्लिक प्राईवेट पार्टनरशिप प्रोजेक्ट के तहत पायलट परियोजनाएँ शीघ्र आरम्भ की जाएँ।
इस दिशा में सरकार द्वारा की गई किसी भी प्रकार की पहल के कार्यान्वयन में तकनीकी और व्यवस्थित सहयोग प्रदान करने के लिये यूसीसीआई सदैव तत्पर है।