उदयपुर। इनरव्हील क्लब द्वारा सास-बहू के स्नेहिल रिश्ते को सार्वजनिक मंच पर सम्मानित करने की परंपरा को निभाते हुए “राजमति आदर्श सास शिरोमणि सम्मान”समारोह का आयोजन 11 जुलाई, शुक्रवार को सायं 6 बजे फतहसागर झील किनारे रोटरी बजाज भवन में किया जाएगा। इस अवसर पर क्लब की नव निर्वाचित कार्यकारिणी का इंस्टॉलेशन समारोह भी होगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि समाजशास्त्री विजय लक्ष्मी चौहान और विशिष्ट अतिथि समाजसेवी सोनू सुराणा होंगी।
संस्था की संस्थापक संयोजिका माया कुम्भट ने बताया कि इस वर्ष इनरव्हील राजमति आदर्श सास शिरोमणि 2024–25 के रूप में 95 वर्षीय धापू देवी पगारिया और उनकी बहू 67 वर्षीय सुनीता पगारिया की जोड़ी को चयनित किया गया है। उन्हें विजयमल-राजमती चेरिटेबल ट्रस्ट की ओर से ₹11,000 नकद राशि सहित विभिन्न सहयोगियों की ओर से सोने का पेंडेंट, डिनर कूपन, डेंटल चेकअप, गिफ्ट हैम्पर और अन्य उपहारों से सम्मानित किया जाएगा।
चार अन्य माताओं को “आदर्श सास सम्मान” भी प्रदान किया जाएगा। इनमें लक्ष्मी देवी नाहर एवं बहू ज्योति व चेतना नाहर, उर्मिला बोहरा एवं बहू सीमा बोहरा, रतन पालीवाल एवं बहू पूजा पालीवाल व शांता देवी बाफना एवं बहू अनुपमा बाफना की जोड़ियां शामिल हैं।
संस्था की सचिव एडवोकेट बबीता जैन ने बताया कि यह पुरस्कार पिछले 25 वर्षों से प्रदान किया जा रहा है और इसका उद्देश्य समाज में सास-बहू के रिश्तों में सौहार्द, संवाद और सम्मान की भावना को प्रोत्साहित करना है। उन्होंने यह भी बताया कि इस आयोजन को लेकर समाज में विशेष उत्साह है। जब संस्था की सदस्यों ने सहयोग के लिए विभिन्न व्यवसायियों से संपर्क किया, तो अधिकांश ने बिना आग्रह दोहराए ही सहर्ष सहायता प्रदान की।
मुख्य सहयोगकर्ताओं में अलंकार ज्वैलर्स के मोहन मनवानी ने मुख्य विजेता को सोने का पेंडेंट, रूपश्री साड़ी के राकेश जैन ने साड़ियों का सहयोग, शुभलक्ष्मी ज्वैलर्स के राधेश्याम सोनी ने चांदी के फोटो फ्रेम, प्रियंका प्लास्टिक के उपेश जैन मलासिया और किचन किंग के विनोद जैन ने गिफ्ट हैम्पर, डेंटल स्पेशलिस्ट सेंटर, अशोक नगर के डॉ. सुमेर मीणा ने चयनित सभी सास-बहुओं का नि:शुल्क डेंटल चेकअप करने का सहयोग प्रदान किया है। इसी तरह, लिटिल इटली रेस्टोरेंट के अशोक जैन डोसी ने विजेता जोड़ी को छह लोगों के लिए और अन्य को 2-2 व्यक्तियों के डिनर कूपन प्रदान करने का सहयोग दिया है।
संस्था की अध्यक्ष चंद्रकला कोठारी ने कहा कि यह आयोजन केवल सम्मान समारोह नहीं, बल्कि पीढ़ियों के मध्य प्रेम, संवाद और सह-अस्तित्व की भावना को पुनर्स्थापित करने का प्रयास है। जब सास मां बनती है और बहू बेटी, तब परिवार एक मंदिर बन जाता है और यही भारतीय संस्कृति की सच्ची पहचान है।
यह आयोजन उन मातृशक्तियों को मंच प्रदान करता है जिन्होंने केवल पारिवारिक उत्तरदायित्व ही नहीं निभाए, बल्कि बहू के रूप में आई नई पीढ़ी को अपनाकर रिश्तों को ममता, मार्गदर्शन और स्नेह से सींचा।